पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग 8.djvu/५७२

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लोट । लोवा' ४३३७ लोहमारक' लोवा-सज्ञा पुं॰ [ मे० लव, हि० लवा ] तीतर की जाति का एक विशेप-वैद्यक मे इने कृमि, वात, पित्त, शूल, मेह, गुल्म और पक्षी । लवा। शोथ का नाशक लिखा है। इसका स्वाद मधुर और कटु तथा विशेष—यह बटेर मे छोटा होता है और कश्मीर, मध्य प्रदेश प्रकृति उप्ण मानी गई है । इने मदर भी कहते हैं । तथा सयुक्त प्रात मे पाया जाता है। नर प्राय मादा से कुछ पर्या-किट्ट । लोहचूर्ण। अयोमल । लोइन । कृणचूर्ण । अविक बडा होता है। शिकारी इसका शिकार करते हैं। इसे गुरगा भी कहते हैं। लोहकुभी-सज्ञा स्त्री० [ स० लोहकुम्भी ] लोहे का वह पान जिम्मे लोशन-सज्ञा पुं० [अ०] अधिक पानी मे घुली हुई प्रोपधि जो शरीर कोई वस्तु खोलाई जाय । कटाहा (को०] । मे ऊपर से लगाने, किसी पीडित अश को धोने या तर रखने लोगध-मज्ञा पुं॰ [ स० लोहगन्ध ] महाभारत के अनुसार एक श्रादि के काम में पाती है। जाति का नाम । लोहघातक-सज्ञा पुं॰ [ स० ] कर्मकार नामक जाति । इस जाति लोप्ट-सज्ञा पुं० [सं०] १ पत्थर । २ ढेला । डला। ३. लोहे का मोरचा (को०)। के लोग लोहे को तपाकर पीटते हैं । लाहार । यौ०-लोष्टगुटिका = मिट्टी की डली या गोली। लोप्ट्यात = ले लोहचर्मवान्–वि० [सं० लोहचर्मवत्] (व्यक्ति) जो लोहे का कवच से मारना। लोप्ट भजन, लोष्टभेदन = जिससे मिट्टी के ढेले तोडे पहने हो [को०] । जायं। पटेला । लोष्टमर्दी = (१) ढेला तोडनेवाला । मिट्टी के लोहचारक-सञ्ज्ञा पु० [स०] एक नरक [को०) । डले तोडनेवाला । (२) दे० 'लोष्टध्न' । लोहचालिका-सशा पुं० [सं०] एक प्रकार का वख्तर जिमने सारा लोप्टक-सञ्चा ० [सं०] १ मिट्टी का ढेला । २ घना। ३. किसी शरीर ढका रहता था [को०। चिह्न या निशान को बतानेवाली वस्तु [को०] । लोहचून-सञ्ज्ञा पुं० स० लोहचूर्ण ] दे॰ 'लोहचूर्ण' । लोटन- सज्ञा पु० [स०] खेती का वह औजार जिससे खेत के ढेले लोहचूर्ण-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] १ लोहे का बुरादा या चूरा। लोहे की फोडते हैं । पटेला । पाटा। रेत । २ मोरचा । मैल [को॰] । लोष्टभजन-सञ्ज्ञा पु० [सं० लोष्टभञ्जन ] दे० 'लोटन' (को०) । लोहज-सझा पु० [स०] १ कसकुट । कोसा। २. लोहे का चूरा लोष्ट - -सज्ञा पुं० [स०] दे० 'लोष्ट' । [को॰] । लोहडा- सज्ञा पु० [सं० लौहभाण्ट या हिं० लोह + डा (प्रत्य॰)] लोहजाल-सज्ञा पुं० [स०] कवच । जिरहवस्तर [को॰] । [ स्त्री० लोहंडो ] १ लोहे का एक प्रकार का पात्र जिसमे लोह जित् - सज्ञा पु० [सं०] हीरा [को॰] । खाना पकाया जाता है। कभी कभी इसमे दस्ता भी लगा लोहदारक सज्ञा पुं० [स०] एक नरक का नाम । दे० 'लौहचारक' रहता है। २ तमला। उ०-चु बक लोहडा प्रौटा खावा । [को॰] । भा हलुवा घिउ केर निचोवा ।- जायसी (शब्द॰) । लोहदावी-सज्ञा पुं॰ [स० लोहद्राविन् ] १ मोहागा . २ अम्नवेत । लोह'- १- वि० [सं०] १ लाल रगवाला। तामडा। ३. तांवे का बना लोहनाल सञ्चा पु० [सं०] नाराच नामक अन । विशेप द० 'नाराच' । हुआ । २ लोहे का बना हुआ। लोहनिर्यास-सज्ञा पुं० [सं०] दे० 'लोहकिट्ट' [को०] । लोह २-सज्ञा पुं० [सं०] १. लोहा नामक प्रसिद्ध धातु । २ रक्त । खून । ३. लाल बकरा । ४ तांबा (को०)। ५ इस्पात (को॰) । लोहनी-सञ्ज्ञा स्त्री० [हिं० लोह + नी (प्रा.) ] लोहे का तसला ६. कोई धातु (को०)। ७ सोना (को०)। ८ शस्त्र । हथियार । जिससे मल्लाह नाव का पानी उलीचते है। लोह गहे लालच करि (जय को औरी सुभट लजावं । लोहपृष्ठ-सज्ञा पुं० [ सं० ] सारम । बगुला [को॰] । सुरदास प्रभु जीति शत्रु को कुशल क्षेम घर आवै । —सूर लोहप्रतिमा- ज्ञा स्त्री० [सं०] १. निहाई जिसपर तपाया हुग्रा (शब्द)। ६ मछली पकडने को कॉटिया (को०)। १० शगुरु । लोहा रखकर पीटते हैं । २. लोहे को बनी मूर्ति (को०) । अगर नामक गधद्रव्य (को०)। लोहवदा -सज्ञा पुं० [हिं० लोहा + बांधना ] यह डहा या छठी लोहकटक- सज्ञा पुं॰ [ स० लोहकण्टक ] मदनफल का वृक्ष । मैनफन जिसका सिरा लोहे से मढा हो। का पेड । २ लोहे का कांटा (को०] । लोहबद्व-वि० [ मं० ] लोहे से मढे हुए सिरेवाला को०] । लोहकटक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ सं० ] लोहे की साँकल । सिक्कड [को॰] । लोहबान-सचा पु० [अ० लोबान ] दे॰ 'लावान' । लोहकात-सज्ञा पुं० [सं० लोहकान्त] चुवक । अयस्कात । लोहमणि 1- सक्षा पुं० [सं० ] सोने का पामा [को॰] । लोहकार-सधा पुं० [स०] लोहार । लोहमल-संज्ञा पुं० [सं० ] दे० 'लोहकिट' को०] । लोहकापण-सशा पुं० [स०] लोहे का सिक्का या वाट । लोहमात्र-सञ्ज्ञा पुं० [० ] भाला । वर्धा (फो०] । लोहकिट्ट-सझा पुं० [सं०] लोहे को कीट या मैल जो मट्ठ मे डालकर लोहमारक'—वि० [सं० ] लोहशोधक फि०] । लोहे को गलाने या ताव देने से निकलती है। लोहमारक-सञ्ज्ञा पुं० [सं० ] एक साग (को०] । उ०-