पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४८०

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अकुल' अक्रांति अाकुल --वि० [सं०] [मझा कुलना] २ उपग्र । घबराया हुप्रा । कर्पण । ३ धनुप की डोरी का बिचना । ४ तत्रोक्त उ०---'भारत अब 'मी प्राकुल विपत्ति के घेरे मे ।- दिल्ली, कर्पणक्रिया को०] । पृ० २१ । २ ८१९ । बिखरा हु प्रा । जैसे,--केश । ३ अाकेकर--वि० [सं०] अर्धामीति (नेत्र) (फौ] । उद्विग्न । क्षुः । ४. विह्वन । कातर । ५ अस्वस्थ । ६. आकोकर-- सज्ञा पुं० [म०] मकर राशि (को॰] । व्याप्त । सकु न । ७ तारतम्पहीन । जिमका कोई ठीक मि न प्रकोप-- सज्ञा पुं० [सं०] ईपत् कोप । जरा सा गुस्मा [को०] । सिला न हो [को॰] । ८. जगली । ऊवडे खावड (को॰] । अकौशल--सज्ञा पुं० [सं०] कुशलता का प्रभाव [को०] । कुल’--संज्ञा पुं० [१०] १ खच्चर । २ अावाद जगह (को०]। अक्र द सज्ञा पु० [सं० आन्द] १ रोदने । रोना । २ चिल्लाना । श्रीकुलता--संज्ञा स्त्री॰ [म॰] [वि० श्रीकुलित] १ व्याकुलता । घब चीखना । चिल्लाहट । ३ बुलाना । पुकार । ४ मित्र । भाई। राहट । उ०—वह आकुलता अब कह रही जिसमें सब कुछ वधु । ५ चोर युद्ध । कडी लडाई । ६ ध्वनि । अावाज। ही जाय भून कामायनी, पृ० १४५। २ व्याप्ति । • शब्द । ७ ग्रहयुद्ध में किसी एक ग्रह के दूसरे ग्रह की आकुलत्व-सया पुं० [सं०] दे० 'अकुलता' (को०)। अपेक्षा बलवान् या विजयी होने की अवस्था । ८ प्रधान शत्रु अकुलित - वि० [सं०]१ व्याकुन । घबराया हुआ। उ०--2व साध्य | के पीछे रहकर सहायता करनेवाला शत्रु राजा या राष्ट्र ।। | मनय प्राकृतित दुकून कलित हो, यो छिपते हो क्यो ।-चंद्र० *दन--सज्ञा पुं० [सं० आक्रन्दन] १ रोना । २ चिल्लाना । | पृ० ६३। अक्रि दिक--वि० [सं० श्राक्रन्दिक] उस स्थान पर पहुँचनेवाला जहाँ झाकूणित-वि० [सं०] ईपतु सकुचित (को॰] ।। | से चिल्लाहट सुनाई दे [को०] । झाकूत--संज्ञा पुं० [म०] १ अाशय । अभिप्राय २ हादिक भावना अाक्र दित--वि० [सं० प्रक्रिन्दित] १ जोर जोर से रोने चिल्लाने[को॰] । ३ कामना इच्छा (को०] । | वाला। २ ग्राहूते सहायतार्थ) (को०)। श्रीकृति - सच्चा पु० [सं०] १ अभिप्राय । अाशय । मतलवे । २. श्राक्र दित---सझा पु० १ जोर की चिल्लाहट। २ पश्चात्ताप। रोना पुराणानुसार मनु की तीन कन्यायो में से एक जो रुचि प्रजापति पीटना (को०)। को व्याही थी। ३ उत्साह । अध्यवसाय । ४ सदाचार । अाक्रदी--वि० [सं० प्रकन्दिन्] रोने चिल्लानेवाला [को०] । अाप्तीति । ५ कमेंद्रिय [को०]। ६ वायुपुराण के अनुसार एक आक्रम -सच्चा पु० [ ५० ग्राम = परास्त फरना 1 १ पराक्रम । कल्प का नाम (को०] । शूरता । (हिं०) । २ ६० ‘अाक्रमण' । झाकूती-सज्ञा स्त्री० [सं० आकूति] स्वायभुव मनु की तीन कन्याओ मे अाक्रमण-सज्ञा पुं० [सं०] [ बि० अाक्रमणीय, प्राक्रमित, आकति ] १. वलपूर्वक सीमा का उल्लंघन करना । हुमना । चढाई । धावा । आकृत- वि० [म०] व्यवस्थित । निमित । गठित। २ समीप लाया जैसे,-- महमूद ने कई बार भारत पर आक्रमण किया । २. हुग्रा (को॰] । अाघात पहुचाने के लिये किसी पर झपटना। हमला । जैसे,— आकृत --संज्ञा स्त्री० [सं० श्राकृति] मूति । रूप । डाकुप्रो ने पथिको पर आक्रमण किया । ३ घेरना । छेकना । प्राकृति-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ वनावट । गढने । ढाँचा । २ अवयव । मुहासिर । ४ अक्षेप करना। निदा करना । जैसे,—इस लेख विभाग । उ०—जानु सुजघन कर'मकर प्राकृति, कटि प्रदेस में लोगो पर व्यर्थ आक्रमण किया गया है । ५ निकट जा किकिन राजै ।-सूर०, १। ६६ । पहुचना: (को॰] । ६ मोजन (को॰] । ७ शक्ति [को०] । विशेप--इसका प्रयोग हिंदी में चेतन के लिये अधिक और जड़ अाक्रमणकारी-वि० [सं० आक्रमणकारिन्] [स्त्री० अाक्रमणकारिणी] के लिये कम होता है । आक्रमण करनेवाला । अाक्रामक । २ मृति 1 रूप । ३ मुख । चेहरा । जैसे,—उसकी आकृति वडी आक्रमित--वि० [सं० आरुमिता] जिस पर प्राक्रमण किया गया हो। भयावनी है।४ मुख का भाव । चेष्टा । जैसे,—मरते श्राक्रमितानायिका-सज्ञा सौ० [सं०] वह प्रौढ नायिका जो मनसा, समय उम मनुष्य की प्राकृति बिगड़ गई। ५ २२ अक्षरो | वाचा, कमणा अपने प्रिय को वश में कर। का एक बर्णवृत्त । मदिरा । हेंमी । भद्रक । मदारमाला इमका प्रक्रिय-सज्ञा पुं० [सं०] १ व्यापारी। २ व्यापार (को०] । भेद है। यह यथार्थ में एक प्रकार का सवैया है । उ०-- आक्रात-वि० [सं० श्राक्रान्त] १. जिसपर आक्रमण किया गया हो । ममित गौरि गुसइन को देर राम धनू दुई खेड कियो। मालिनि जिमपर हमला हुआ हो । २ घिरा हुआ। प्रवृत्त । छिका को जयमाल गुहो हरि के हिय जानकि मेनि दियो । रावन । हुआ । ३ वशीभूत । पराजित । विवृण । ४. पीडित । दलित । की उतरी मदिरा चुपचाप पयाने जो लक कियो। राम दबाया हुआ । ५ व्याप्त । अकीर्ण । ६ प्राप्त (को०] । ७. वरी मिंय मोदभरी नभ मे सुर जै जैकार कियो 1-- (शब्द॰) । ६ जातिविशेष [को॰] । ७. (गणित मे) २२ की यौ०-क्रातनायिका = वह नायिका जिसका प्रेमी या पति जीत सख्या [को०] । लिया गया हो। फ्रातमित = जिनकी मति मारी गई हो । यौ०-प्राकृतिगण । प्राकृतिच्छत्री । प्राकृतियोग। शाकाति--सशास्त्री० [माक्रान्ति ! १ उथन पुयल । उपद्रव । २. प्रकृिष्ट--वि० [सं०] खीचा हुआ । आकपित । अधिकार करना [को॰] । ३ दबाना । चना [को॰] । ४. अकृष्टि-सच्चा स्त्री० [सं०] १. खिंचाव । २ (ज्योतिष मे) गुरुत्वा ऊपर चढना [को॰] । ५. शक्ति । नाकत (को०] । से एक ।। जिजत [को०)। खेत में) २२ की