पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/६३

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अंकिका अकगणित अकगणित--सा पुं० [सुं० अङ्कगणित] सख्याअों का हिसाब। सख्यो अपरिवर्तन--सहा पु० [सं० अपरिवर्तन] १ एक अोर से दूसरी अोर पीठ करके सोनी । करवट लेन। करवट बदलना। करवट की मी मासा। वह विद्या जिससे समायो का जोड, घटाव, गुणा, फिरना । ३ गौद के घच्चे को एक बगल से दूसरी घगल भाग आदि किया जाता है। हिसाव ।। करना । ३ एक अक की समाप्ति के बाद दूसरे अक का प्रारंभ अकगता--वि० स्त्री० [ अड़ 4- गती | पाश्र्व में स्थित । उ०--- ( नाटक }। अकगता तुम करो विश्वभगल सदों )--पार्वती, पृ० १४३ । क्रि० प्र०--करना। --होना ।। अज--सच्चा पुं० [सं० अङ्कज ] पुन । सतीन । उ०—विधि अकज । अकपलई--संज्ञा स्त्री० [सं० अद्भुपल्लव ] वह विद्या जिसमें भको को उपदेस दिय रघुपति गुन जस गाव --प० ०, १।२। अक्षरो के स्थान पर रखते हैं और उनके समह से उमी प्रकार अकतत्र--संज्ञा पुं॰ [सं० अङ्कतन्त्र ] सध्याग्रो की विद्या । अकगणित अभिप्राय निकालते हैं जैसे शब्दो र वाक्यों से। इसमे इकतीस और वीजगणित।। अक्षर लेकर उनकी सरूपाएँ नियत कर दी गई है। जैसे १ से 'प' अकति-- सच्चा पुं० [सं० अङ्कति ] १ ब्रह्मा । २ बायु । ३ अग्नि । अक्षर समझते हैं । | ४ अग्निहोत्री [को०] । अकपालिका-- सह झी० [सं०] दे० 'अकपाली' । अकधारण--सधा पुं० [सं० अद्भधारण] तप्त मुद्रा के चिह्नो का दग- । अकपाली--सई सी० [सं० प्रपोली 1१ दाई । धाय। २. प्रालिगन वाना । शख, चक्र, त्रिशूल आदि के साप्रदायिक चिह्न गरम धातु ( को० ) ३ वेदिका नाम की गद्रव्य (को०)। से छपवाना । अकपाश-सच्चा पुं० [सं० अङ्कपाश ] गणित ज्योतिष में सख्या को क्रि० प्र०—करना। विशिष्ट ढग से रखने की एक क्रिया [को० ] । अक धारणा-- संज्ञा सी० [ से अड़धारणा ] शरीर या अक को घारण | अकमाल--सझा पुं० [सं० अङ्क+माला 1 चालिग ने । भेट । परिकरने की स्थिति कौ०] ।। रभण । गले लगना । ३०---'भगति हेत भगता के घले, कमाल अकधारिणी-- वि० स्त्री० [सं० प्रधारिणी ] १ शरीर मे धारण ले बीठ मिले |--२० बानी, पृ० ५७ ।। करने वाली । उ---असख्या पन्नावलि अकधारिणी ।—प्रिय प्र०, मुही--अक्माल देना= अलिंगन करना । मॅटना । गले लगाना। १० १०२ । २ हप्त मुद्रा के चिहन धारण करने वाली । ३० उ०-अाजु अाए जानि सध अव माल देत है ।—तुलसी ग्र०, *अकधारी' । पृ० १७० । अकधारी-- वि० [सं० अधारिन् ] [ स्त्री० अङ्कधारिणी ] तप्त मुद्रा के अकमालिका--संघ जी० [ से० अङ्कमालिफा ] १ अलि गन । मैट । चिह्न धारण करनेवाला। शख, चक्र, त्रिशूल आदि के साप्रदायिक । २ छोटा हार । छोटी माला । चिह्नो को गरम धातु से अपने शरीर पर छपवानेवाला ।। अकमुख--सधा पुं० [सं० अनुख ] नाटक की अारभिक अश जिसके अकन--सद्या पुं० [सं० अडून ] [ वि० अङ्कनीय, अति , अडुचे] द्वारा सभी अक तथा बीज रूप में कथानक सूचित किया जाता १ चिह्न करना। निशान करना । २ लेखन । लिखना। जैसे-- है, जैसे-- भवति के मालतीमाधव नाटक का प्रथम अक (सा० ‘चित्रीकन', 'चरित्नाक्न' में 'अकन' । ३ शख, चक्र, गदा, पद्म या दर्पण) । विशूल आदि के चिह्न गरम धातु से बाहू पर छपवाना । अकविद्या-सच्चा स्त्री० [सं० अङ्कविद्या ] ४० 'अकगणित' । विशष---वैष्णव लोग शुख, चक्र, गदा, पद्म अादि विष्णु के चार अकशायी--विर पुं० [सं० अङ्कशीथिन् ][स्त्री॰ शायिनी ] अक या यधो के चिह्न छपवाते हैं र दक्षिण के शैव लोग त्रिशूल या | गोद में सोनेवाला । उ०--अब शायी तुम बनोगे दूर होंगे जैश शिवलिंग के । रामानुज संप्रदाय के लोगों में इसका चलन बहुत सशय [-ववासि, पृ० ११६ । है। द्वारिका इसके लिये प्रसिद्ध स्थान है । अकस'---सया पुं० [सं० अङ्कस] १ शरीर। देह । जिस्म । तन २. चिह्न । ४ गिनती करना। ५ श्रेणीनिर्धारण (को०)) निशान [को० ]।। क्रि० प्र०—करना ।---हीना ।। अकस----वि० चिह्नयुक्त [को० ] । अकना--क्रि० स० [सं॰ अडून] १ निश्चित करना। ठहराना। अकार्क-सा पुं० [ सै० अङ्काइ] जल । पानी [को॰] । कन। उ०-इहै बात सची सदा देव अकी ।--पृ० रा०, अकावतार--सूझा पुं० [सं० अङ्गावतार ] नाटक के किसी अर्क के प्रत २।२११ । २ ढकना । मुद्रित करना। मूंदना। उ०-समझि मे कथा को विच्छिन्न किए बिना आगामी अक के बारभिक दासि सिरवर तिन ढवयो । करपल्लव तिन द्वग वर अक्य (=-पृ० दृश्य तथा पात्रो की सूचना या अभास देने वाला अश रा०, ६१७१९ । ( स० दर्पण ) । अकनीय- वि० [सं० अङ्कनीय ] १ अकन के योग्य चिह्न करने क्रि० प्र०——होना । योग्य । २ छापने लायक । ३ चित्रण करने योग्य । । अकास्य-संवा पुं० [सं० अस्यि 1 अंक के अंत में प्रविष्ट किसी पात्र अक् पट्टी--- सझ जी० [सं० अ+ हि० पट्टी 1 काठ की लवोतरी चिक्नी के द्वारा विच्छिन्न अतीत व था का अागामी ससूचक असे ( स० पटिया जिसपर बालक आरम में अक्षर लिखना सीखते हैं । | दर्पण, दश० )। | पाटी । उ०—यही पर भगवान कृष्ण अकपट्टी पर लिखना सीखे अकिकासा जी० [सं० अड्किा ]१ चिह्न रखने वाली । १ गिनत घे ।-प्रेमघन॰, मा० १, पृ० १३४। करनेवाली । ३ हिसाब रखनेवाली ।