पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/८५

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पघातर्क ५९६ उपर्चेर्तन की क्रिया 1 २. इंद्रियों को अपने अपने काम में असमर्थ होना । ब्रजसुदर मगल साज सँवारे । हैम कलस सिर पर घरि अशक्ति । ३ रोग 1 व्याधि । ४ इन पाँच पातकों का समूह पुरन काम मत्र उपचारे --सूर (शब्द॰) । उपपातक, जातिव्र तीकरण, संकरीकरण, अपात्रीकरण, उपचारक’--वि० [सं०] [ी० उपचारिका] १ उपचार करने मलिनीकरण -स्मृति । ५ प्राधात् । प्रहार (को०)। ६ वाला। सेवा करनेवाला । २ विधान करनेवाली । ग्रक्रमण । हुमला (को०) ।। चिकित्सा करनेवाला । दवा करनेवाला । उपघात--वि० [स०] [जी० उपघातिका १ नाशकारक । २ । उपचारका पु० [स०] अजिजी। विनीतता । नम्रता [को०] । पीडा देनेवाला । उपचारच्छल--संज्ञा पुं० [सं०] न्याय मे विकल्प यी विरुद्ध कार्य के उपधाती--वि० [सं० उपघातिन्] [स्त्री० उपघातिनी] १ नाश- निदर्शन द्वारा सनाव या अभिप्रेत अर्थ का निषेध करना। का । १ पीडा पहुचानवान्ना । जैसे,—वादी ने कहा कि ‘गद्दी से हुकुम हुआ'; इस पर प्रतिवादी पृE-सवा पु० [सं०] १ अप्रिय । सहारा ! २ शरण ]ि । कहै कि 'गद्दी जड है, वह कैसे हुकुम दे सकती है ?" तो यह उपच---सा जी० दे० 'उपज' । ३०-क्या अविर प्रा क्या, फिर उसका उपचारच्छल है। कोई उपच की ली । तैर०, पृ० १३ । उपचारछल-सज्ञा पुं० [सं०] वादी के कहे वाक्य मे जोन बूझक़र उपचय-संज्ञा पुं० [३०] [वि० उपचयित, उपचित] १ वृद्धि । अभिप्रेत अर्थ से भिन्न अर्थ की कल्पना कर दूपण निकालना, उन्नति । वरती । २ संचय | जमा करना ! ३ कृडली में नग्न जैसे,-किसी ने कहा कि 'ये नव (नौ) कवल हैं इसपर से तीसरा, छठा, दसवां यो ग्यारहवां स्थान । ४ चुनना। दूसरा कहे कि ‘वाह ये नए कहा हैं ?" चयन (को०)।५ ढेर । राशि । अवार (को०)। उपचारना -क्रि० स० [स० उपचार से नाम०] १. व्यवहार में उपचर-झा पु० [मृ०] उपवार ! देवा । इलाज (को०] । लाना । काम में लाना । २ विधान करना। उ० - घर घर उपचग-सज्ञा पुं० [सं०] [वि० उपचारित, उपचय) १ पास ते अाई जसुदरी मगल साज सँवारे, हैप कलस सिर पर जाना । पहुँचना । २ सेवा पूजा करना। ३ चिकित्सा करना। धरि पूरन काम मंत्र उपचारे । —सूर (शब्द०)। शुश्रूषा करना (को॰) । उपचारी--वि० [स० उपचारिन्] [वि॰ स्त्री० उपचारिणी] १. उपचरित-वि० [सं०] १ सेवित 1 पूजित । लक्षण से जाना हुआ । उपचार करनेवाला । सेवा करनेवाला । २ चिकित्सा या उपचय संज्ञा स्त्री० [सं०] १. सेवा (रोगी की) । २ चिकित्सा । इलाज करनेवाला । उपचायी–वि० [सं० उपचापिन् उपचय करनेवाला । बढानेवाला । उपचार्य १–वि० [सं०] १ उपचार या सेवा के योग्य । २ चिकित्सा [को०)। । । के योग्य । उपचाय्य--पुं० [स०] १ यज्ञ की अग्नि । यज्ञाग्नि के संग्रह करने उपचार्य-सहा पु० [सं०] चिकित्सा । | का कुछ कि०] । उपचित'–वि० [सं०] १. बढा हुआ। समद्ध । २. सचित । इकट्ठा। उपचार--संधा पु० [सं०] [वि॰ उपचारक, उपचारी, उपचारित, ३ शक्तिमान् (को०)। ४ ढका हुआ । ग्रावरण में लिपटा हुआ अौपचारिक] १ व्यवहार प्रयोग । विधान । २. चिकित्सा । (को०)।४ जला हुआ । दग्ध (को०) । देवा । इलाज । उ०—ग्रह ग्रहत पृनि वात बत, तेहि पुनि उपचिति- संचा क्षी० [सं०] १. सग्रह । राशि । २. वृद्धि । ३ वीछी मार ।। ताहि पियाइन्न वानी, कहहु कौन उपचार - प्रतिष्ठा ।४ लाभ ये०] । मानस, २ । दो० १८० १ ३ वेवा । तीमारदारी। ४. धर्मा- उपचित्र--संज्ञा पुं० [सं०] एक वर्णर्थ समवृत जिसके विपम चरणो मे नुष्ठान । ५ पूजन के अग या विधान जो प्रधानत सोलह तीन सुगए और एक लघु तथा एक गुरु हो एव सम चरणो माने गए हैं जैसे,—वाहन, असन, अर्घपाध, याचमन, में तीन भगण और दो गुरु हो। जैसे,—करुणानिधि माघव मधुपर्क, स्नान, वस्त्राभरण, यज्ञोपवीत, गध, (चदन), पुष्प, मोहना। दीनदयाल सुनो हमारी जू । कमलापति यादव धूप दीप, नैवेद्य, तावूल, परिमा , वदना । इ–के पूजन सोहनी । मैं शरणागत हौं तुम्हारी जू -छद०, पृ० २६६। को उपचार नै चाहति मिलन मन मोहुई।—भारतेंदु ग्रं०, उपचित्रा संज्ञा स्त्री० [सं०] १ चित्रा नक्षत्र के पास के नक्षत्र, हस्त मगि १, पृ० ४५५ । और स्वाती । ३ दती वृक्ष । ३ मूसाकानी का पौधा । ४, यौ-योड़ोशपचार। १६ मात्राग्री का एक छंद जिसमें आठ मात्रा के बाद एक गुरु ६ किसी को संतुष्ट करने के लिये उसके मुंह पर झूठ बोलना। होता है और अंत में भी गुरु होता है। यह एक प्रकार की खुशामद । ७ पूछ । रिश्वत 14 एक प्रकार की सुधि जिसमें चौपाई है। जैसे, मोरी सुनु चित दै रघुवीरा, करु दाया मी पै विसर्ग के स्थान पर श या स हो जाता है जैसे,—नि छल से बलबीर-छद०, पृ० ४५ । निश्छन । न चन्देह से निस्संदेह । ६. सामवेद का एक उपचूलन-सा पुं० [सं०] गर्म करना । जलाना [को०)। " परिशिष्ट । उपचेतन–सच्चा पु० [सं० उपवेतना] मन का एक माग। चेतन उपचारना)---क्रि० स० [न० उपचार] १. व्यवहार में लाना । और अचेतन से भिन्न मानस के बीच की एक अवस्या । उ०—- काम में लाना । २ विधान करना । उ०—-घर घर ते आई यह क्षितिज पार के स्वर्ण स्वप्न, यह कला अछूती उपचेतन । । "५।