पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३०

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( २३ ) ५५।८४७ नन्दी पति ५६।८५५ परमुल्ल ५७१८५९ प्रेमकेश्वरदास . ५८1८६५ बरगाम ५९८७३ बुलाकीदास ६०१८८१ भंजन मैथिल ६११८८२ भड्डुरि ६२।८९० महिपति मैथिल ६३।९०० रमापति मैथिल ६४१९११ रमाकान्त ६५१९३० सरसराम मैथिल इस प्रकार ग्रियर्सन नै ९५१-६६ = ८८६ कवियों का उल्लेख एक मात्र सरोज के सहारे किया है, जो कुल का ९४ प्रतिशत है। सरोज में कवियों की कुल संख्या १००३ है। इनमें से ४६ कवियों को ग्रियर्सन ने गृहीत नहीं किया है। सरोज के कुल ९५७ कवि ग्रियर्सन में उल्लिखित हैं, जिनमें से ८८६ को तो एक एक स्वतंत्र अंक दिया गया है, शेष ७१ कवि अन्य कवियों में मिला दिये गये हैं ।। | इन ४६ अस्वीकृत कवियों में से ११ का तो सरोज में सन् सम्वत दिया हुआ है और ४ को “वि०" ( विद्यमान ) कहा गया है। शेष ३१ तिथिहीन हैं। इनकी सूची यथास्थान आगे दी गई है ।। । सरोज के १००३ कवियों में से ६८७ कवि तिथियुक्त हैं, ५३ कवि ‘वि०' हैं। और २६३ कवि तिथिहीन हैं । ६८७ स-तिथि कवियों में से ६७५ ग्रियर्सन में स्वीकृत हैं। इनमें से ४३८ सम्वत् भी ग्रियर्सन ने स्वीकार कर लिये हैं । इन ४३८ संवतों में से ३८५ जन्म संवत् माने गये हैं और ३७ उपस्थिति संवत् । १५ संवतों के सम्बन्ध में ग्रियर्सन यह नहीं निश्चय कर पाये हैं कि इन्हें जन्म संवत् माना जाये अथवा उपस्थिति संवत् । आगे दी हुई सारिणी से स्पष्ट हो जायगा कि किन किन संख्यावाले कवियों के संवत् सीधे सरोज से स्वीकार कर लिये गये हैं। सारिणी में संदिग्धावस्था वाले संवतों की संख्या १७ है। इसका कारण यह है कि ४४३ और ४४७ संख्यक कवि सरोज के एकही कवि सोमनाथ हैं, जिन्हें सोमनाथ और ब्राह्मणनाथ नाम से दो मान लिया गया हैं। इसी प्रकार ६३५ और और ६३६ संख्यक दलपतिराय एवं वंशीधर वस्तुतः दो कवि हैं । ग्रियर्सन में इन्हें दो अङ्क दिये गये हैं, सरोज में एक ही । इसीलिये इन संख्याओं को कोष्टक में रख दिया गया है । २७८ संख्यक कर्मच कवि के सम्बन्ध में भी सरोज में दिया सम्वत स्वीकार किया गया है। पर इन्हें उक्त सम्बत् ( १६५३ ई०.) के पूर्व उपस्थित कहा गया है ।