पृष्ठ:हिंदी साहित्य की भूमिका.pdf/९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१०


३ सन्त-मत

योगी जाति—कबीरका इससे संबंध-निर्गुणमतका बौद्धमत और नाथपंथसे संबंध-कबीरके जातिविरोधी विचार विदेशी नहीं हैं— सहजयान साधकों और अश्वघोषके जाति-प्रथाके विरोधी विचार— नाथपंथियोंका अक्खड़पन और कबीरका फक्कङपन-दृष्टकूट और उलटवासिया—सन्धा भाषा-साखी क्या है-निर्गुणिया भक्तों और पूर्ववर्ती साधकोंमें साम्य- सहज पंथ-शून्यवाद—निर्गुण मत-सबद, सुरति और निरति-सीमा-असीमका द्वंद्व-लौ शब्दका अर्थ-कबीरके रूपक-निर्गुण मत प्रभावशाली क्यों हुआ ?

......पृष्ठ ३०-४३

४ भक्तोंकी परम्परा

भारतीय साहित्यमें अभिनव तत्त्व-आलवार भक्त-दक्षिणके वैष्णव आचार्य-श्रीसम्प्रदाय-रामानंदकी भक्त-परम्परा, निर्गुण और सगुण-ब्राझ सम्प्रदाय-रुद्र सम्प्रदाय-वल्लभाचार्यकी शिष्यपरम्परा--सनकादि सम्प्रदाय -गुरु नानक और अन्य भक्त- गण—सूफी साधनाका आविर्भाव-पद्मावतकी छन्दःप्रथा भारतीय है।

......पृष्ठ ४४-५९

५ योगमार्ग और सन्तमत

परमपद-प्राप्तिके तीन मार्ग-सहजयान, तंत्रमत, नाथपंथ और निर्गुण मतके सिद्धोंकी अभिन्नता–योगियोंकी करामात-महा- कुण्डलिनी शक्ति-षट्चक्र-इडा-पिंगला-सुषुम्ना-नाद और बिन्दु -स्फोट-षट्कर्म-गोरखधंदा-सद्गुरुकी महिमा-कबीरदास और योगमार्ग-कबीरकी सहज समाधि और उनसुनी रहनी-सहज योग-वीरसाधना।......पृष्ठ ६०-६९

६ सगुण-मतवाद

शास्त्रीय भतकी जानकारीकी आवश्यकता-भागवत पुराण-भाग- वतकी रचनाके काल और देश-अवतार क्या है-लीलावतार चौबीस-अगुण और सगुण-अवतारका मुख्य हेतु-भगवान्की