पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१२६

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[ 88 शित इस तिकिरा' को, जिसे त क्राइ शु' अराइ हिन्दी’ ‘हिन्दुस्तान नधियों का विवरण भी कहा जाता है मेरे ‘इस्बार द ल लिजेयूर दुई ऐ ऐदूस्तानी' के प्रथम संस्करण से अनूदित कहा गया है, किन्तु यह एक विल्कुल भिन्न रचना है । मेरा जो कुछ लिया गया है वह आजकल बिहार शिक्षाविभाग के इन्सपेक्टर श्री एफ़० फ़ालन ( Fallon ) द्वारा लिखित रूप में मुसलमान विद्वान् को दिया गया है । २३, ‘तबकात-इ सुनन'वाटुता की श्रेणियाँमेरठ के इश्क (गुलाम मुहीउद्दीन ) कृत । इस ‘त किरा’ में, जिसे मैं प्राप्त नहीं कर सका, सौ रेड्रता कत्रियों से संबंधित सूचनाएं हैं । २४. तस्राइ श्रनेतर' (वाजिद अलो, कहा जाता है फ़ारसी और हिन्दुस्तानी कवियों से संबंधित पाँच हज़ार सूचनाओं का वृहत् जीवनीग्रन्य है । रचयिता अवश्र के अंतिम बादशाह के अतिरिक्त कोई दूसरा नहीं है, जिसको अनेक रचनाएँ मेरे पुस्तकालय में हैं, किन्तु यही नहीं है । २५. ‘त किराइ आजुर्द’ (सदरुद्दीन), शेफ़न द्वारा उल्लिखित । २६. तबुकिंग-इ आशिक' ( महदी अली ), दिल्ली के। २७. ‘त फिराइ इमामघर श’, कश्मीर के, मस इंफ़ो द्वारा उलिखित, जो इस जीवनीग्रन्थ द्वारा आक्रमण किए जाने की शिकायत करते हैं । २८. सफिराइ इश्की’ (रहमतुल्ला)। मैंने स्क्रूगर (Sprenger) के कैिलौग घाव दि लाइब्रेरी आव द किंग व अवध' के माध्यम द्वारा उसका अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया है । अँगर के पास जे० बी० इलियट की प्रति थी जिनके यहाँ हिन्दुस्तानी हस्तलिखित प्रतियों का सुन्दर संग्रह है। । २e . तकिरा-इ म्लाकसार’ (मुहम्मद यार), शो रिश द्वारा उल्लिखित । ३०. ‘तज्ञकिरा-इ गुरदेज़ों’ फ़तह अली हुसेनी), उन जीवनग्रों में से है जिससे मैंने अत्यधिक सहायता ली है ! ३१. तक्रि-इ जहाँद’ ( जवान-), जिसका अनु ऊरंण ३, २६. और (४१ को छोड़कर ) नीचे वालों में किया गया प्रतीत होता है। ।