पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/१६४

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अली मौलवी कनिंघम, हिस्ट्री ऑव दि सिक्ख्स’, को ये नाम काल्पनिक प्रतीत होते हैं, उनका कथन है कि गुरु विलासमें इन कवियों में से केवल आठ का उल्लेख है, और बल्ल को छोड़ कर इन आठों के नाम भी बिल्कुल भिन्न हैं । ६. ‘भोग का बानी’--मानंद की बात अर्थात् 'प्रन्थ' का निश्चित उपसंहार या अंत उसमें केवल सात पृष्ठ हैं, जिनमें हैं : (१ ) पहली स्त्री या बाँदी का भजनश्लोक मेहिल ( Meihl ) पैहला ; (२ ) नानक का मल्हार राजा को उपदेश; ( ३) ‘रतन- माला’- ( सच्चे भक्क की ) रत्नों की माला, नानक कृत) और (४ ) 'हकीकत, अर्थात् लंका के राजा शिवनव ( Sivab ) की कथा गोबिंद के समकालीन भाई भन्न ( Bhannu ) कृत पोथी प्राण सिंहली’ के अनुकरण पर। अली" ( मौलवो ) ज्ञान दीपक '- ज्ञान का प्रकाश के संपादक हैं. पत्र जो १८४६ में कलकत्ते से हिन्दीबैंगला, फारसी और अँगरेजी में निकलता था। । लोकप्रिय गीतों के रचयिता हैं जिनमें से अनेक डब्ल्यूः प्राइस द्वारा ‘हिन्दी ऐंड हिन्दुस्तानी सेलेक्शन्स' में प्रकाश में लाए गए हैं। ब्राउटन ने उसका एक रसादिक उद्धृत किया है, उनके सेले पशन्स ऑघ हिन्दू पोयट्री' का ० ७० । " १ अ० ‘उठा हुआ, उच्च आदि । यह शब्द बहाँ और s से तटोद के साथ लिखा गया है। इस हिंजे के साथ वह मुहम्मद के चचेरे भाई और दामाद का व्यक्तिवाचक नाम भी है । २ भा० मेरा विचार है आनंदकद' आनंद को जड़-—के लिएअर्थात् 'विष्णु'