पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६२

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श्री लाल ( पंडित ) [ ३०७ पुस्तकों पर विद्यार्थियों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की माला ४० पृष्ठों लगभग की यह एक पुस्तक है जिसका १८५२ में उल्लेख मिलता है। । १८, ‘भाषा चन्द्रोदय'-—भाषा के चन्द्र का उदयदेशी लोगों के लाभार्थी हिन्दी व्याकरण के आगरा, १८६०, १०३ अठपेजी पृष्ठ, ‘कवायद उलूमुतदी’ से अनूदित। १. ‘बुदि वियोवत’ (viddhyodyat) आदेश और शिक्षा ’ के लाभहिन्दी में अनूदित और विवेचितपद्म में संस्कृत वाक्यों का संग्रहजिसके कईकई हजार प्रतियों के कई संस्करण हो चुके हैं। मेरे पास, बनारस से मुद्रितचौथे संस्करण की एक प्रति है, १६ , अत्यन्त छोटे चौपेज पृष्ठ। २०. दिहाली ( Dihali) दीप' -नापों की ज्वाल , अर्थात हिन्दी और उर्दू में, नापों और तोलों को लिखित रूप में बताने की विधि । २१. ‘जमींदार के बेटे बुध सिंह का वृतांत --धान ( Dhan ) राम जमीदार के बेटे, बुध सिंह के जीवन का विवरण । २२. आराम'—बाग -हिन्दी में नैतिक दोहे और किस्से । २३. बिधांकुर’ या विद्यांकुर- ज्ञान-संबंधी प्राथमिक बातें रचना जिसका संबंध भौतिक जगत के तथ्योंतारों तथा सौर जग, गर्मी, प्रकाश, वातावरणपाता, बादलप, बनस्पति और खनिज जगन् से है । यह रचना जो ज्ञान का संक्षिप्त कोष है, और जो कहा जाता है बंसीधर कृत ‘हकायक उलूमौजूदात’ शीर्षक उर्दू रचना का अनुवाद है, वास्तव में भूगोल वृत्तांत’ और बाबू शिव प्रसाद कृ त ‘मालूमात ' का संशोधित रूप है। ये रचनाएँ चैम्बर्स लत .udinments of Knowledge १ ‘रिपोर्ट अति इन्डिजेसस पेज्यूकेशन, आगरा, १८५२, ३० २१४ ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।