पृष्ठ:हिंदू राज्यतंत्र.djvu/४०२

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[ ३ ] श्रा इ आख्यान-३४४. इंद्र-१४७. आचारांग सूत्र-३२; १५३; इंद्रपूरक-कुल-२१५. १५६, १५६, १६४. इक्ष्वाकु-३१०. आजीवक-४५, ३५४. इलाहाबाद-२५२. आनंद-६६, ७०. ई आपत्ति-२५. ईशान-१८. आपस्तंब धर्मसूत्र-४, १६, ईश्वर (शासक के अर्थ में) ३२२. ३४३. उज्जैन-२६१. आपिशालि-११३. उग्ग-दे० "उग्र आभीर-२५७, २५८. उग्र-१६४, १६५. श्रायुधजीवी-४६,५०,५१, ५३; उग्रसेन बच-६१, ६२, ३१४. ५४, ५८, ६२, ६३. भारकन-७८. उत्तमभद्र-२५०. प्रार्जुनायन-५६; ८८; ११७, उत्तर कुरु-१४६; १५०; १५१; २१७, २२१, २३७, २५१%B १५२. २५३, २५४, २६४, २६६, उत्तर मद--६०; १४६ १५३, ३११. उत्तर- -वलिस्सह गण-२११. बालकंद-३५२. उत्तरापथ-२३३. आश्वलायन गृह्यसूत्र-४. उत्सव-२५८. आषाढ़-३५३. उत्सव संकेत-२५७; २५८ श्रासन-१७०. प्रासन-प्रज्ञापक-१७०. उदयगिरि-३६८. पाहुक-२६०, ३१४. उदयपुर-२५६. २८६. आर्यदेव-२८१. २५६.