पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१

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1 ४ ) छोड़ा न जा सका। उन्हें कहीं-कहीं पर कथोपकथनों के रूप में अथवा कहीं-कही उनके अंशों को उसी रूप में उद्धृत कर दिय गया है । हाँ, उनका विस्तृत अनुवाद करके पुस्तक का कलेव नही बढ़ाया गया। मुख्यकथा के तारतम्य को श्रृङ्खलाबद्ध रख का प्रयास किया गया है। आशा है, पाठक इसकी शिक्षाप्र और मनोरंजक कथाओं से अवश्य लाभ उठायेगे। 1