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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/१२६

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उपाय के साथ अपाय भी सोचो उपायं चिन्तयन्प्राज्ञो हपायमपि चिन्तयेत् । . बुद्धिमान् को चाहिए कि उपाय के साथ ही उससे सम्बंधित दुष्परिणामो का भी विचार करले। . . . . उत्तर दिशा मे गृध्रकूट नाम का एक बड़ा भारी पीपल का वृक्ष है । उस पर किसी समय बहुत से वकुले रहते थे। वृक्ष के नीचे एक सांप भी रहता था जो सदा उनके बच्चो को खा जाता था। बच्चों की मृत्यु पर वह वकुले विलाप करते थे। उनके विलाप को सुनकर एक बकुले ने उन्हे सलाह दी कि तुम मछलियाँ पकड़कर नेवले के बिल से लेकर सर्प के विल तक उनकी पक्ति वना दो। इस भांति नेवला उन्हे खाता हुआ सर्प के विल तक आयेगा और सर्प को भी मार डालेगा। बकुले ने ऐसा ही किया। नेवला मछलियों को खाता हुआ आया और उसने सर्प को भी मार डाला। परन्तु अगले दिन नेवले ने जव पीपल पर वकशावको का कोलाहल सुना तो उन्हें भी मारकर खा लिया। ( १३१ )