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पृष्ठ:हितोपदेश.djvu/७८

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तृतीय खण्ड विग्रह हंसः सह मयूराणाम् विग्रहे तुल्य विक्रमे । विश्वास्य वंचिता हंसाः काकः स्थित्वारि मन्दिरे ।। हंस और मोर का युद्ध होने पर कौए ने शत्रु के शिविर में घुसकर विश्वासघात किया और उन्हें ठग लिया।