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राजपुत्रों ने पण्डित विष्णुशर्मा को नमस्कार किया और कहा: गुरुदेव, हम क्षत्रिय है। क्षत्रिय स्वभाव से ही युद्धप्रिय होते है । अतः आज हमारी इच्छा युद्धनीति सुनने की है। विष्णुशर्मा : अच्छा, तो हम आज आप लोगों को विग्रह प्रकरण सुनाते है।