पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

नमैनौ ..८३ 'पीछे ८८ ज्यादा हैं। पिछले युद्धमै बहुसख्यक पुरुषों के ] वास था और उसके समान सैन्यवल एवं सयामेन अन्यत्र मर जानसे स्त्री-पुरुषों की संख्या में इस तरहका वैपाय कहो भो न था। इसलिए पूसियाका राजा हो जम । उपस्थित हुआ है । किन्तु यह तो निश्चित है कि युद्धसे नौके सम्राट पद पर अधिठित किया गया था। पहले भी जर्मनी में स्त्रियों को सख्या अधिक थी; क्यो। __मानाजा-स्थापनके उपरान्त जर्मनोमें असाधारण १८१०ई०की गणनाके अनुसार भो स्त्रियां हजार पौके अयन तिक और अन्य प्रकारको विविध उमतियां होने २६ अधिक थी। लगों, जिससे उक सामाजा पर लोगों को धारणा अच्छो १८१० ई०को गणनाके अनुसार प्रतिशत ६१६ । हो गई। जितने भो छोटे छोटे राजाको ने कर यह मनुष्य प्रोटेष्टाष्ट वा एभेन जेनिकल मतवादी, ३३७ । साम्राजा संगठित हुया था, वे सभी मित कर माम्राजा. रोमन कैथोलिक धर्मावलम्बी ओर ०४४ ईसाई धर्म की | को उवतिके लिए कोई जा करने लगे। अन्यान्य शाखात्रों के अनुयायो थे। इसके सिवा फो-मदो। ___ गत महासमरके बाद जमनोने ऐमा पलटा खाया कि ८.५ मनुष्य यहूदी धर्म के माननेवाले थे। १८१८ ई० जर्मनों को अपने उडारके लिए नाना उपायों का प्रव- को गणनामें दम विषयका विशेष विवरण नहीं मिलता। लम्बन करना पड़ा । एक पक्षवाले कहने लगे कि जम कारण, नवीन नियम के अनुसार वर्तमानमें जर्म नौका नोको युतात्व छोड़ देना चाहिए । प्रत्येक प्रदेशको कोई भी व्यक्ति अपना धर्म मत बतलाने के लिए वाध्य स्वतन्त्रतासे शव से विरुद्ध खड़े हो कर स्वाधीनताको नहीं है। रक्षा के लिए प्रयत्न करना चाहिए । दूमरे पक्षवाले कहने ___ वर्तमानमें जर्मनी के अधिकांश लोग गिन्प और लगे कि रुमियामें जैसे समस्त क्षमतापन्न व्यक्तियों को व्ययमायके कार्य में नियुक्त हैं बाकीके लोग खेती करते । मार कर ममम जनमाधारण के हाथ में शासनका भार दिया है। १९१६ ई०को गणनाके अनुसार जर्मनी में | गया है, उसी प्रकार जर्मनीमें भी बोलविक प्रणालीम ४०,६४,०२८ अादमी बेकार बैठे हैं। राष्ट का संगठन होना चाहिए। इन दोनों ही मतों में ____ नव्य जर्मनी की शासनादति--१८७१ ई में जब फारस आपत्ति थी। इमसे यथार्थ मार्ग पर पाने के लिए एक विजयके बाद नव्यजर्मन-मानाजा गठित हुपा था, मात्र जातीय गणतन्त्र धारा शासित राष्ट स्थापन करने के उम समय उसको शासनपतिमें तोन प्रधान शक्तियां मिवा दूसरा कोई उपाय ही नहीं था। गणतन्त्र के लिए थों जैसे-केसर उपाधिधारो मम्राट्, युव सामाजा जर्मन लोग बहुत दिनोंसे पाशा लगाये हुए थे। विस : सभा (Federal council) और प्रतिनिधि-समा। महा | मार्कने अपनी कूटनीतिक द्वारा गणतन्त्रको गति रोकनेके मति बिस्मार्क ने उस समय जिम पतिको सृष्टि को लिए काफी प्रयाम किया। किन्तु यह समय ऐमी थी, उममें गापतन्त्रवादका प्राधान्य नहीं था। हां । विपत्तिका था कि स्वतन्त्र राष्ट्रको चमताको कायम रख उन्होंने चतुराईके साय, १८४८ ई में जर्मनीके तरुण ! कर किसोने भी उनको पद्धतिका अनुसरण नहीं किया। सम्प्रदायने जो प्रतिनिधि सभाके लिए जोर दिया था, वे समझ गये थे कि समग्र जमन जातिको एक राष्ट्रमें उसको स्थापना कर दो। परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि ! बिना बांध उनको शक्ति कभो भो केन्द्रोभूत हो कर युगसाम्राजा-सभाको प्रतिनिधि सभाको अपेक्षा अधिक । शव का सामना नहीं कर सकतो। प्रसिया पर बहुत क्षमता दे कर उन्होंने गणतन्त्रको गति मन्द करनेका ममयसे लमनोके नेटत्वका भार था, किन्सु.पव जातिय प्रयास किया था। उस पद्धतिम मियाको हो सबमे | कर्तव्य के सामने उसका वह सम्मान भो जाता रहा। अधिक क्षमता प्राप्त हुई थी। उसके मतके विरुद्ध किमी | १९१८ में ३० नवम्बरको जर्मनोमें नव-शासन. कान नका चन्लाना या किमो नवीन कार्य में हस्तक्षेप | परिपके संगठन के लिए एक सभा संगठित हुई। वोम करना असम्भव था। इसका कारंगा यह था कि उम वर्ष से ज्यादा उसयाले प्रत्येक पुरुष और स्त्रीने अपनी समय प्र.सियामै समग्र जर्मन साम्राजाके पंश लोगोंका/. सम्मति देकर उस समामे प्रतिनिधि भेजे । मापनपद्धतिके Vol. VIII. 24