पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/११९

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वमनोजल 'याहा करते थे। रोमन लोग र मर्मन कहते थे। इस मरी (Eि नोक) योरता, सहादुरी, मापन! . . का कारण यह था कि उनके प्रतिवादी ग ने उन जर्राइ (प. पु.) गास्त्रचिकित्मक पक्ष जो चोर फार. सक नाम रहा था। | का काम करता हो। रोमनों भमणकारी ऐतिहासिक टसिटम जमन | नरहो (प. स्त्रो०) मानचिकिरमा, चौर फाड़का या नामका एक इतिहास लिख गये हैं। उनका कहना है नबर (म. पु. ) एक नागपुरोहित । इन्होने या कर.' कि. जर्मन लोग स्वयं कक्षा करते हैं कि उनका यह के माँ को मरनेमे बचाया था। नाम नया है। टमिटम इस बातको ईसाके जन्ममे पहले | जाईल (म. पु.) प्ररण्यतिन्त, जाली तिला हो लिख गये है। उनका और भी कहना है कि, टनिः । | जल (म० की. ) जलप्ति जीवयति लोकान्, अनति - यन ( lungrians ) नामक जिम जातिने गलों को भगा। आच्छादयति भूम्यादीन् वा जन पचाय च । १ या तरस . पदार्थ नो प्यास लगने पापोने और मान करने पादि दिया घा, पहले उन्हों लोगोंका नाम जर्मन धा। पोहे आम भाग्याविशेष नामको ममप्र जर्मन नातिने अपना काममें पाता है, पानोय, पानो, पाम । जल के भारत । लिया। जर्मन नाम भौति सत्पादक है, इसीलिए विजय पर्याय ये-अप, याः, यारि, मनिम्न, कमन, पय, कोलाम । अमृत, जोवन, धन, भुवन, कवन्ध, उदक, पश:.gr, योनि पहल पहल उस नामको प्ररण किया था। सर्वतोमुख, प्रभा, पणः, तोय, पामोय, तोर मोर, यूरोप प्रतिष विधान लाथाम के बलने अपने "storne Fernles" नामक प्रन्यको भूमिकाम लिखा पम्पुमम्बर, मेघपुष्य, धनरम, पाप, मरिन, मन, जड़, क. पन्ध, कपाध, उद. दक, नार, गम्बर, प्रताप, . है-प्रथम पवम्यामें जर्मनीको शाबाजातियों के भिव एत, पोप्पल, कुश, विष, कागड़, मवर. तर, कपीट, प... मित्र नाम थे। यदि कोई उस समय उन्हें जर्मम कहता रम, मदन, कईर, व्योम, मम्म, सरस, रा, वाम तामर था, तो उसे समझ न पाते थे। धयोंकि वह माम कम्पल, स्यन्दन, मम्यान, जलपीय, घर, शत, असे, कोमन ..- मिर्फ लाटिन भाषा और रोमनों में ही प्रचलित था। गोम। वेदोक पाय अप दाद ।। दानिक मतले उसके सिया उनका ऐमा.सिदान्त है कि-"जर्मन जाति यह पञ्चभूतममे एक है। अन्तम रूप, द्रवत्व प्रा . कभो भी प्राचीन कालमै पपनको जर्मन कहती थी, योगिव पौर गुरु रम है। ममें चौदह गुण --प... इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता। झां यह पमन्य संग्या, परिमित, पृयमा, संयोग, दिमाग, परवा मही शे मकता कि कोई नगण्य शाखा उम मामले पपरत्व, वेग, गुरुत्व. पल, प, रस पोर सी . परिचित यो । टनमोके कपनामुमार यह नाम जलका वर्ण शक, रम मधुर और 4 गौतम । 'मशीका था और पन्याग्य जातिके सहयोग स्ने पीर द्रयत्व रसका सामायिक गुण है। परमाण: समय पर भारावर नदीके किनारे एक छोटे मे स्यानम | रूप जल तो निप्ता और पपययविगिट पनिता । या उपरान्त पाम तीन में मका वाम या पमिला जन जगेर, इन्द्रिय पोर यियय न होम गदीमे उपरोह मतों में प्रमाणित होता है कि बहुत ममय मे यिभर है। प्रयोनिनकी गरीर, रमपक्षकारी रमन .. विगियों पारा बारम्बार बर्मन माममे पुकारे ज्ञान के । को इन्द्रिय पोर मरितममुद्रादिक अलको विषय करी । बाद, उन लोगों ने शर्मम माम ग्रहण कर लिया। है। (भाषापरि.) at (म.वि.) जमाना हा पुरा। गादत भावमे गदगुण पाशाग, गद सम्मान मधित .. (प.पु.) पण। २ छोटे छोटे क्षण शो सूर्पके पगममात्र द पीर पर्श गुण याग. दोरम - कागते हुए दी जो मी भागी मन्माय मतिरूपमासमे गद, स्पर्ग मोर g. से एक भाग ४ कोटा रहा। विगिट नमः, उ. प्दप चौर यसमा मष्तिष anit (प. विकमिट, प्रम। ३ योर, वारा मागे पद पर पमामिगर कम पर . रा ( A )