पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/१९२

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महागोर १६६ मेमा भजो। नर्मदा नदी के किनारे कालिया नामक | धनका अपव्यय किया था पोर राजधानीम वादगारका 'स्थान पर दोनों पक्ष के तम्यू तन गये और महाबतखाँके । प्राय: हरतो नहीं भेजा था। १६२६ ई में महावतको प्रयत्नसे युद्ध के समय शाहजहांके विश्वम्त अनुचरवर्ग। प्रागरा बुलाया गया । महायता समझ गये कि, वेगम परिनिजकी तरफ आ मिन्ने । उधर गुजरातके शामन- नूरजहान् पोर प्रामफन्डोके उत्तेजित करने पर वादगाह- कनि शाहजहांका पक्ष छोड़ दिया। इमसे शाहजहान् ने उन्हें अपमानित करने के लिए हो बुलाया है। द्रम डर कर बुरहानपुर भाग गये। यहाँ पाने पर खानखा- लिए वे ५००. राजपूतों के साथ पागराकी तरफ चल नान्ने महावतकी तरफ मिलने के लिए उनके पास एक दिये । मुगलों में ऐमा नियम प्रचलित था उच्च पदस्थ दूत भेजा। वह दूत शाहजहाँके अनुचरों द्वारा पकड़ा। कर्मचारियों को अपनो कन्याके विवाह स्थिर करने से गा। शाहजहाने क्रोधित हो कर खानवानान्को कैद पहले वादगाइका हुक्म लेना पड़ता था। महायतदान कररक्खा । परन्तु अन्तमें अत्यन्त दुर्द शामें पड़ कर उन्हें ऐसा न कर बरकरदारके साथ अपनी कन्याका वियार मुक्त कर दिया। खानखानान दोनों पक्षमें सन्धि करानकी स्थिर कर दिया था। कहावत राजाशाके मिलने पर बेटा करने लगे। एक रात्रि के समय कुछ साहसो बाद बादशाह के पास उपस्थित हुए। मघाट, उम ममय नर- शाही सैन्यने अकस्मात् विद्रोहियों पर आक्रमणपूर्वक | महान् के साथ कावुल जा रहे थे । विपाशा नदोके किनारे उन्हें परास्त कर खानखानान्को महताबके सामने उमके डेरे लगाये गये थे। महावतने चिर-प्रचलिन निय. उपस्थित किया । शाहजहान् तेलिङ्गाको भाग गये। उम | मको भन' करने के कारण अपने भावी जामाताको क्षमा स्थानमे १६२४ में वे बङ्गालमें आये । स्थानीय शासन प्रार्थनाके लिए बादशाह के पास भेज दिया। युवकको कर्ताओं ने उनका साथ दिया। जिससे उन्होंने राज. मम्राट शिविर में प्रवेग करने पर हाथीसे उतार दिया महलके शासनकर्ताको परास्त कर उस प्रदेश पर कमा! गया, पोशाक खोल कर भही पोशाक पहनाई गई और कर लिया। इधर परविज पोर महायत उनके पोछे | सबके सामर्म उनके शरीरमें काटे जुभाये जाने लगे। 'पोछे इलाहाबाद तक पाने पर गाजहान्के साथ युद्द | पोछे उन्हें एक दुधले घोड़े पर-पूछको तरफ मुंहचढ़ा 'एमा । किन्तु अन्त में वे पराजित हो कर दाक्षिणात्यको | कर चोरों तरफ घुमाया गया । बादशाहने उनको 'तरफ भाग गये। वहां जा कर घे मालिक अम्बरसे मिन्न सम्पत्ति राजकोषमें मिला ली। गये। मालिक अम्बरके माथ उन्होंने बुरहानपुर घेर | ___महावतके पागे बढ़ने पर उन्हें शिविरके भीतर लिया । परन्तु मर-बुलन्दरायके वोरवसे वे उक्त प्रदेशको जाने से रोक दिया गया । महायतन रम तरह अपमा- • क्षोत न सके। इधर परविज और महाबतखां नर्मदा नित शेकर और पपने प्राणनाशको तय्यारियों को देख तक पग्रसर हुए । शाहजहां इस खुबरको पा कर बहुत कर बादमाइको व लाने को ठान लो । बादशाहन डर गये भोर १६२५ १ में उन्होंने अपने पितासे जमा विपागा नदीको पार करने के लिए मो पुल धमयाया था प्रार्थना की। बादशाहने उनके पुत्र दारा पोर भौगङ्ग महायतने उस नष्ट कर देने के लिए अपने अनुचरों को जेवको प्रतिभूस्वरूप रख उनके तमाम दोप क्षमा कर पाना दे दो चौर घे रात्रि ममय १०० अनुचरोको साथ. दिये। शाहजहानने अपने अधिकृत प्रदेशको छोड़ ले सम्राट -शिविरमें घुस पड़े। वादगाद मो रहे थे, जगने दिया। बादगाहने वालाघाट प्रदेश सनको अर्पण पर उन्होंने अपने को महावतको मेना द्वारा परिवेष्ठित किया। पाया। उन्होंने महायतमे पूछा-"विखारघासक सेरा • धर महायता सामान्य के भीतर प्रत्यन्त धमता पभिप्राय क्या है ?" महायाने उत्तर दिया-"मैंने भाली हो उठे। उसमे न रजहानको पत्यन्त ईर्षा और अपने जोवनको रक्षाके लिए ऐसा किया है।" कुछ भी पाशा हुई। बङ्गटेगमें रहते समय महावत के विश । हो, हादशाहको विशेषरूपसे सम्मान कर उन्द हाथी पर बहुतसे पमियोग उपस्थित हुए थे। उन्होंने दादमाइक | 2ठ कर अपने शिविरको ले चले। कुछ दूर पग्रमर होने Vol. VIII.13