पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४३०

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मुराफा ३८५ - पेभिया , जिमी वगलशी रप्तप्रयापक नाड़ोमे रह । एक जुगाफा या । यूरोपीय दूतने उम सुराफा यिययमें सञ्चित होने पर जिताका प्रायतन प्रसारित होता है। इस प्रकार वर्णन किया है-दमका शरीर घोडाका मा. रक्ताधारयोंके भरे रहने पर जुराफाओंकी जीभ उसकी गर्दन खुद लम्पो पीर मामर्नेको समि' पोकेको टागों से इच्छानुमार बढ़ सकती है, परन्तु उनके रिता हो जाने पर उचो है। इसके पुर गयादिको भौति होती है। रमशी फिर सङ्गचित हो जाती है। यह जीभमे नामारन्धोंको । ऊंचाई सामने के खुरमे ने कर गर्दन तक १५ साफ करता है। रामको जोभ इतनो महोग हो जातो हाय पोर गर्दनमे मस्तक तक १६ हाय है। मकी · है कि, यह एक छोटे छिट्रमें अासानोगे घुस सकती है। गर्दन मृगके समान पतलो है। इस मामले पोर पोछके उष्ट्र प्रादि पानीको पाकम्यग्लोमे जिस प्रकार जला. पर्शको उच्चता इतना अधिक तारतम्य है कि, प्रक्षमार धार होता है, जुराफाको पाकस्थलोम वैसा कोई जला देख कर यह नियय नहीं किया जामकता कि, यह धार नहीं होता। इसको नाड़ो बड़ो और मग श्रादिको बैठा है या खड़ा। इसके नितम्य कमग: नोचे हैं।रंग नाड़ीकी सरद पचोलो होती है। और एक नाड़ी २ फुट मोनेका-सा और गरोर पर बड़ी बड़ो मफेद धारियों में। • २ इञ्च लम्बो है। इमका मूवागय गोल नहीं है। इसके | इसके मुम्वका नोचेका हिस्सा हिरणले ममान ललाट. नयनों में एक प्रकारका चमड़ा है, जिममे यह इच्छानुसार, देश अंचा, खूप बड़ा घोर गोल तया वान घोड़े के समान नासारन्धोंको बन्द कर सकता है । यह मरुप्रदेश में रहता होते हैं। इसके मांगका पधिकार प्रयुक्त होता है। है। वहाँ पाँधोके ममय बाल उड़ती रहती है, उस गर्दन इतनी मचो होतो है कि, यह बड़ी पामानोमे समय इसके नामारधाम जिसमे बाल न घुस पाये, इसो.| बड़े बड़े नोंकी जयो गाखापोंको पत्तियों को पा लिए शायद जगदीश्वरने उक्त धर्मावरणकी सृष्टि कर सकता है। अन्यान्य पश जिन जगलो पोर मादेगोनि इसको नासारन्ध ठकनेको शक्ति दो है। जुराफाको पाखें । नहीं जाते, जराफा उन स्थानों में छिप कर रहा है। पड़ो और इस तरह उभरो हु होतो हैं कि, जिसमे पादमी देखते हो ये जोरमे भागते है। वह अपने चारों तरफ यया हो रहा है, यह जान सकता गिकारी लोग इमे छोटो उम्रा पकड़ मफते। है। और पया; वह माथिको बिना फेरे ही पीछकी | किन्तु बड़े होने पर इसका पकड़ना अत्यन्त दुकर है। चीजोंको देख सकता है। बहुत सावधानोसे इनके पास | जुराफा पहुत चा होता है। कोई को तोडगा जाना चाहिये ; क्योंकि प्रफलमान इस पर पाक्रमण होने | जचा होता है कि एक पादमो घोड़े पर सवार हो कर या किसी के भनुमरए करने पर यह बड़ी नोरसे लातफी उसके पेटके नोचेमे निकल सकता है। शराफा मोग पोट मार कर अपनी रक्षा करता है। इसके सुर चिरे हिरण के मोंगो के ममान कठिन प्रयास है, पर गठन हुए है तथा रोमन्यक पापोंके परीके बगल में जो छोटो। एकमी नहीं है। बड़े सुराफार ललाट के वोचमें एक छोटो दो भगुलियो जेपी गुठली रहती है, वह गांठ होतो है, जिसको देख कर ऐसा अनुमान होता नहीं है। कि, यहमि मोग निकलेगा। तुभिापामको शुरनापा, शरनेपा प्रथया सुर• ___ यह पण दोनेके समय संगड़ा संगहा कर नहीं' भापा कहते हैं। धमता : यरिश इतनी रोजोमे दोहता है कि, बहुत सेज पक्षसे पफरोकाके सिवा और कहीं भोजराफा नहीं। घोड़ा भी दर ममय इसका अनुसरण नहीं कर सकता। मितता या 1 जुलिया सोजरके गासनकाससे पहले यह दौड़ते समय यह कमो माधारप गतिमे घनता पौर पशटलो प्रदेश नहीं मिलता था। कभी पूद कूद कर घोकड़ी भरते हुए भागता : मामने. ___ काष्टाइलराज दारा प्रेरित दूत जिस समय पारस्यो । के को उठाते समय प्रवेश द्वार गर्दभशो पोती राजदरपार जा रहा था, उप ममप विसनमें सन्त- पोर फेरता रहता है। समोनको घाम गात ममय पर तानके दूतके साथ इमको मुलाकात हुई, इसके माप / घोड़े को तरह एक घटनेको मुल टेदा करता है और Tol. VIII. 37