पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/४६

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नम्ब नदी-नम्व खामो जम्बूनदी (सं० स्त्री०) १ जम्बुद्धीपस्य विशाल जम्बुक्षसे । चढ़ानेका चरख । ३ मस्तूल पर पाड़ा लगा रहनेवाला , पतित अमुफल-रमजात नदी, जम्बुद्दीपके विशाल जामुन | लकड़ीका बता जिस पर पालका दांचा रहता है। के पेड़के रस निकली हुई नदी। सुनारी वा लुहारों का एक बारीक काम करनेका पौजार ... "जम्बुद्वीपस्य सा सम्पूनामहेतुर्महामुने । जिससे वे तार भादि पकड़ कर तिते, ऐठते वा घुमाते . . . महागजप्रमाणानि जम्नास्तस्याः फलानि वै ॥ है। इसका प्राकार कामके अनुसार छोटा बड़ा भी ... पतन्ति भूमतः पृष्ठे शीयमाणानि सर्वतः। होता है और अकसर करके यह लकड़ी के टुकड़ेमें जुड़ा

. . .रसेन तेषो प्रख्याता तत्र जम्बूनदीति वै ॥" हुआ रहता है। इसमें चिमटेको भांति चिपक कर बैठ

. . (विष्णुपु० २।२।१९-२०) जानेवाले दो चिपटे पर होते हैं। उन पलों के पार्ष में बघतोकसे प्रवाहित समनदीके अन्तर्गत एक नदी, एक पेंच होता है, जिससे पल्ले खुलते और कसते हैं। बालीकसे निकली हुई सात प्रधान नदियों में से एक मदो। इसको बांक भी कहते हैं। , · "ब्रह्मलोकादपकारता सप्तधा प्रतिपयते । | जम्बूराज (सं० पु० ) राजजम्बू, गुलाब जामुन जातिका ' घस्वोकसारा नलिनी पावमीच सरस्वती ॥ एक फस्त। नसूनी चीता च गंगा सिन्धुध सप्तगी॥" जम्यूल (संपु.) १ नम्वूहक्ष, जामुनका पेड़ा केतक- . .. (भारत १६ अध्याय)- वक्ष, केतकी। (क्ली.)३ वरपचीय स्त्रियों के परिहास जावमार्ग (में पु०) पुष्करस्थ तीर्थमद, पुष्करके एक वचन, वर और कन्यापक्षका परस्पर हास्य परिक्षास । सौर्य का नाम । इस तीर्थ में जो भ्रमण करता है उसे जम्बूलमालिका ( स स्त्री०) १ यर और कन्यापक्षका भवमेध यन करनेकी फस होता है और यहां पांच रात | परिहास वचनसमूह । २ कन्या पौर परको मुखचंद्रिका। वास करनेसे वह समस्त पापोंसे विमुक्त हो कर पन्तौ | ३ जम्बूलपुष्पको माला, केतकी फ लकी माला । मोष पाता है। .. | जम्ब वनज (स० लो० ) खतजवामुप, सफेद पड़ोल । "नम्मा गमिष्यामि जम्मार्ग पसाम्यहम् । जम्वुवनज दे।।। एवं कपमामोऽपि लोके महीयते ॥" जब राक्ष (संपु०) जम्ब नामका एक सक्ष, जमुनीका (हरिवंश in.) । पेड़ । जम्बू देखो। नम्बर (फा० पु.) १ बरक, पुरानी छोटो तोप नो जम्बू स्यामो-जैनियों के अन्तिम तकवली, इनका जन्म अकसर करके जटी पर लादी जाती थी। २ जमुरका राजा येषिकके राजत्वकालमें पहचास सेठको स्त्री जिनः जवरा । ३ तोपका चरख। . . . दासौ गर्भ से हुमा था। जम्बूर-दाक्षिणात्य के कोड़ग प्रदेशमें नवराजपत्तन · प्रप्ति जैनाचार्य गुणमंटू स्यामों पपने उत्तरपुराणमें तालुकका एक मध्यस्थित ग्राम । . यह पक्षा. १३३४ | लिखते हैं-पाटलोपुवके अन्तर्गत राजय नगर में १०.और देशा० ७५ ५३ पू. में प्रवस्थित है। प्रत्येक | विपुलाचल पर्वत पर सुधर्माचार्य गणधरके उपदेशसे हस्पतिवारमें बाजार लगता है। यहां कोड़गाधिप जव स्वामीको यौवन अवस्याम ही वैराग्य पा गया। सिंहराजका समाधि मन्दिर बना है।'; ... : इन्होंने पिता माता आदि परके लोगीसे दीक्षा ग्रहण जम्न रक (फा. पु०) १ तोपका चरख ।२ पुरानी छोटो करने के लिए पाना मांगी, किन्तु जनों ने पाना मदी, सोप जो प्राय: सटी पर लादी जाती धो। मवर | मत्यु स कहा कि,--"इम भी थोड़े वर्ष याद तुम्हारे साथ दीक्षा धारण करेंगे।" इसके उपरान्त इनके पिता म्न रची (फा पु.) १ सिपाही, यन्दाज, तुपकची। माताने इन्हें मोक्षजालमें फंसाने के लिए बहुत कुछ २ जम्बरक नामक छोटो तोपका चलानेवाला, तोपचो। प्रयत्न किये। किन्तु उनके मनको गतिको किसी तरच जब रा ( फा:पु.) १ भंवरकलो, भवर कड़ी । तोप भी फिरा न सके। . Vol. VIII. 11