पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/६९०

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ज्योतिष : यह गति निहारण करने दो नियम 2। एक नियम माया ममान है, तथा एक नामधिक पावर्तनके ममय यद्यपि Apollonins के नोचोचष्ठत्तके समान था. तथापि (mean sidereal revolution ), पर्यात् चन्द्र की गति प्रभेद भो बहुत घा। टूमरा नियम सम्पण मित्र प्रक्षति । एक तारकापुनसे नगा कर पन्द्रको उम तारकापुनमें का था। पहन नियमको विशिष्टता यह यो कि. | लोटनमें २७ दिन लगते हैं। यहाँ भग्नांगको याद हिन्द पौने नोपोहतको परिधिको परिवर्तनगीन मान | देनेमे २८ दिमकी जगष्ट २७ दिन ही होते हैं। इन लिया था। २७ चान्द्रविभागीको मचित करने के लिए हिन्दुपौने हिन्द जयोतिपको पोर एक विशिष्टसा है-गणिवन- २७ तारकापुन्नीका निर्णय किया था। प्रति पुन का दादय गगियों में विभाग। Knye मायने इस उमचलतम मतको वे योगतारा कहते थे पोर ममय जगह भो विना किमो युतिका दिग्दर्शन कराये, एक | विभागको नक्षत्र मह योगतारा प्रति विभाग प्रादिमान्त धारगो या मिशान्त कर लिया है कि "हिन्दू-जमि. की सूचना करना था। इस तरह प्रत्येक विभाग, विदोंने यह ग्रीकोसे सोग्वा है।" ग्रहण गपनाम कान्तियत्त विभागीय नक्षत्रोंको तरस निर्दिष्ट स्थानको पधिकार ( Ecliptic) वा मयं कक्षा पोर राशिचक्र-(Zodiac) | किये रहता था पीर छम निर्दिष्ट विभागों को सहायता के विभागको विगैप पावग्यकता है। हिन्दुमि गणना | से चम्ट्रको दैनिक गतिका निर्णय किया जाता था। कारनेको दो विभिव पदतियां घी - एक चान्द्र-तिथिके | वायट मानका कहना है कि पहले धोनो ज्योतिपि. द्वारा होतो थो और दूसरी रागिको सहायतामे । हो । योने सिएन ( Sion ) के नाम मे फ्रान्तिहप्तके विभाग इतमा भयग्य है कि पहतो पति दूसरोसे बहुत पहले पावित किये थे। वो उमको महायतामे हिन्द पो- प्रावित हुईयो । क्योंकि तारकापुनम चन्द्र के दैनिक के नक्षत्र पौर परमियों को मनिने का पाविष्कार प्रवस्थान या गतिका, हम प्रत्यक्ष पर्यवेक्षणके द्वारा दुपा है। परन्तु प्रध्यापम येवर माहइने यह प्रमाणित निर्णय कर सकते है। किन्तु दैनिक गसिके हारा झोन कर दिया है, कि पीनवामियों का मिएन पीर पर. वानी मयं को तारकापुनमें नियमित अवस्थितिका यियों को मलिन हिन्द जोसिपके परवर्ती काल विभा निर्णय परोन प्रमाण हारा हो हो मकता है। हेतु या| गों मे गृहीत हुई है। हम विभागमें उपनीम होनेमे • कि, म र्य के प्रबर भानोकके कारण उसके निकटवर्ती। पहम हिन्द-ज्योतिपको विविध मागेका पतिक्रम तारकापुन भी दिगनाई नहीं दे मले। किन्तु तो करना पड़ता है ।ममे उन्होंने कहा है, कि घन्ट्रो गति. भो विविध वाघ-गशिपुन भाकर्पगमे चन्द्रको गति निष यो लिए तिधि-विभागका पाविष्कार हिन्दपीको मार्य को गतिकी तरह एक गृहस्ताक पधीन नहीं है। हो गवेषणाका फन है। यार्समें परववामियों ने मो. परन्तु हमारो दैनिक पमित्रता के साथ, मार्य की गतिका के पनुवारण पर पमो मनिन जधिकस को निहारण करना विनकुन मनिट है। इसलिए ये मा. किन्तु इस विषय अध्यापक वेवाका यह कहना है, निफ सप्प पायिकार के लिए गियरा लोसिप | शिवयिननदेश जोतिपियों ने परम पहन रस विभाग गणना नितान्त पनियाय होने लगता है, तया पूयोमा प्रचालोका पायार किया था। किन्तु या मिशान्त नियिविभाग क्रमगः पाचोन परतिम परिगघिस होने | विधानमम्मत नहीं है, क्योंकि पिननदेगडे जगेति. लगा। हिन्द मोग पन्द्रको दैनिक गतिका निर्देग करने पिद म य को देनकगतिक माय मम्बन्ध रप कार उमा के लिए काम्सिशको पहले २८भागाम, फिर २७ भागोंम फा विभाग करते हैं।पाना पिन्टुपों का प्रयास विभाग farm करते हैं एय' प्रत्येक विभागको म.चित करने | घन्ट्रको दैनिक गति पर निर्भर हे पोर इसके बाद लिए एक एफ तारकापुनका निर्णय करते हैं। उनका हिन्दयों के निचक्रका विभाग पावित पाया। पविभाग ही अधिकतर विधान-मम्पत करिममे. परयो युग हे ज्योतिषिदीको रखनामि एम भान एक एक विभागका परिमाप चन्द्रकी दैनिक गति! सकते हैं कि मामीन हिन्दू ध्योतिपियाँको शिकविः