पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टम भाग.djvu/७६७

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10 पगम्नि--वरापक्ष पराजि (मं.) या पग्निरिय । स्वरूप अग्नि। इस प्रकार-गंधक, रोहितमय मिला और पि का पर्याय-पाधिमन्य। प्रत्येकका तोना; घिरिसाना शामि मा .पु. ) फकी जातिको क धाम जिममें : ताम २ ताना; इन पोजोको एफर पोरे पोर दिसत मुगभाती । या धाम उत्तर भारत में कुमायं गढ़। नोदूम २१ धार भावना ३ फर उमको १। पानी में कर पंगायर तक अरपत्र मोती से चार ; गोलियां बना लें । पनुपानांनी इसमें भी पार फाममे उसनी नहीं पाती। हमको हम नौवमा प्रकारका वा नष्ट होता है। भपरपर.) सुगम पाई जाती । ज्यगाको अढ़ धौर इंटन : राष्ट्रो (म यो ) नापति पद-पच गोगादि.' द्वारा एक प्रकार का मगन्धित तेल बनता है। इसका सेन त्वात डीप । भद्रदन्तिया अंडोकी जातिमा एक पेड़। मरयत भादिम पटना है। प रम से।। रात ( म० पु.) अरगेगा। ध्यगगाम (म.पू.) म्यरम्य प्राण व ग रमः । सर । स्वगतोमार (म. पु. ) वायुको पनीमारः। ज्वरयुग्म भाग एक प्रोपध। शतप्रणामी-पाग. गन्धर और , एक प्रकारका पतोमार रोग। यदि शिमला वि. विप. प्रकका २ माम, धतके वीज ६ मामे, सिंकटः अन्य पतोमार अथवा पतोमारगेगमें उपर उपस्थित हो. दुर्ण . ४ माम, इन ममको एक घोट कर २२२ रसिकी नो दोष घोर दुयके माम्यमायके कारण उम मिनित गोम्नियो बनाई। अनुपान-नीतू बोजाको गगे और ' रोगहयको ज्वरातोसार पाहा ला मकता है। गुरु घर प्रदानका रम। राम मय समष्टका बर नष्ट होता है। और राद पतोमा लिए जो पौषधिया यतन्नाई गई २य प्रकार-म १ भाग, गन्धक २ भाग, मुमगिका व्यरातोमाग्में उनको व्यवस्था नदेनी चाहिये, पाकि फूना भाग विभाग, टन्तोयों ५ भागदनको एकय परम्परयईफ हैं ! उबरन घोपधिमिमे प्राय: ममो चुर्ण करें । पनुपाम-मामा चीनो! औषध मेयन करने' भेद है. पतौमारको पौषधियाँ धारक, म. के बाद कुछ पानी पीना चाहिये। यह भेदिग्वाम लिए स्वरघ घोषधक मेवनमें पतोमारको र मामम प्रमिह । यह चराग विदीप बरमागक है।। पौर पतोमाकी भोप मेगनगे पयरको पद श्य प्रकार -नाम १ भाग घोर करिताम्म २ भाग, पोतो . । ज्यरातोमारो के लिए परमे नाम पर इनको एकत्र बन कोनाक रममें घोंट कर भूधरानमें पाचक पोधि व्यवस्य य १, क्योंकि बिना रमई पाक सरं। फिर मिज गोंदर्भ घोट कर भूधरयन्तम् । सम्बन्धी घर या पमोमारकी पनि ना ही को। पार करके उमको २१२ रत्तोगी गोनिया घना ने मान पोर पाचन डाग रमका परिपाक को कर रोगके पनपान-प्रदरशारम म पोपटका मेवन नेमे यमका जाम रोशाता है। । ... bafeकारिक वार्षिक पातुर्य और समय (मपपरम्नापली मानमर) मागो। . विषमज्वर गोध प्रगमित होता है ! . , , व्यरान्तफ म.पु.) परस्य मन्तक य. सत् । - प्रकार-पारद २ सोना, गन्धक २ सोला, गोठ, नेपाम्नमिय, चिरायता।२ पारग्वध, पमनताम | सहा मरिताम पौर विष सोना. इनको एक स्वरानकरम (म.पु.) वरम्य अमाश पव यः समः। माधमोट कर माग सममें तोन दिन सक मायमा ध्वरमागका मोषधविगेप । मत प्रणालो-ताम्म, गया है. चौग टिम तोकी गोलियां बनाई । अनुगम- पारस, मौराष्ट्रपतिका मालिक, लोहहिंगुन, म, पनका पूर्ण पोर माया विपन्चरका नाम रमाग्रम और मग मघको धराशायरायर में कर ५ प्रकार-मरिक, मामा, वाद, गधक पोर गर्म कर; फिर भूनिम्माटिके काय टिम भागना है विरको एप घौट रसोको गोपि | फर २२२ रसोको गोलियां धमा में पान-ग। पमा । पनुपाम-पानका रम पम पाठी प्रहाहा! रममे नाना प्रकारका ज्वर नट होता (मरमर) . ज्यर नर ता . . .:: रार (.5ो.) घर पनि नागमति र