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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/६४

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मुद्रातत्त्व ( यूरोपीय) प्राचीन ग्रोक-शिल्पके अनुकरण पर मुद्रातलमें प्रसिद्ध ! रहा था। ३य एडवर्डके शासनकालमें सबसे पहले घटनावलीका उज्ज्वल चिन बड़ो निपुणतासे अङ्कित , अंगरेजी वर्णमुद्राका प्रचार हुआ। इसका परिमाण किया था। राफेलके अनुकारकोंने भी मुद्राशिल्पको और ८ पेन्स था। इस समय ले कर ट्यु उरवंश- यथेष्ट उन्नति को श्री। १६वीं सदीको शिल्पभूषित के शासनकाल तक मुद्राशिल्पमें कोई परिवर्तन नहीं सैकड़ों मुद्रा और पदक पाये गये हैं। ये सब पदक, देखा जाता । ३य एडवर्डकी मुद्रामें अर्णवपोत पर आरूढ़ शिल्पनैपुण्यमें अनुपम हैं। उस समय फ्रान्सदेश भी उनकी प्रतिमूर्ति अडिन है। मुद्राविदोंका कहना है, शिल्पकार्य, उन्नति कर रहा था। उन शिल्पियोंमें | कि यह १३४० ई०के लुईस युद्धका विजयचिह्नमान है। दुप्रे और वारिन ( Dupre & IVarin ) के नाम विशेष ८म हेनरीके शासनकाल में इस शिल्पका बहुत हेरफेर उल्लेखनीय हैं। हुआ तथा सोने और चांदोके सिक्कोंका प्रचार बढ़ पुर्तगालको मुद्रा पर १८वीं सदीके प्रारम्भमें मतुल गया । इसी समय अंगरेजी 'सोभरिन' प्रचलित ऐश्वर्य तथा स्पेनको मुद्रा पर अद्वितीय वाणिज्यवृद्धि । हुआ। और राजोचित आउम्वरका पूर्ण परिचय पाया जाता रानी इलिजावेथके समय गात्रिकशिल्पके आदर्श पर है। वार्सिलोना नगरीकी मुद्रा पर अनेक राजाओंके । जो सिक्का ढलता था वह बन्द हो गया और उसके बदले नाम हैं। फ्रान्समें विविध प्रकारके रुपये देखे जाते हैं। आजकलके जैसा ढलने लगा। इस समय टकसाल- उनमेंसे कुछ वाइजन्तियमको मुद्राके अनुकरण पर वने , घर भी कई जगह खोले गये थे। प्रथम चार्लस्की मुद्रा हैं। १३वीं सदी में फ्रान्समें मोहरका प्रचार पहले पहल पर गृहयुद्ध (Civil war ) के विविध चित्र देखे जाते आरम्भ हुआ। ६ठे फिलिपके शासनकालको मोहर और , हैं। इस समय राजकोष सोनेसे खालो हो गया तव रुपये अत्यन्त सुन्दर हैं। १०और २० शिलिङ्ग रुपयेका प्रचार हुआ तथा 'काउन १४वें लुईको मुद्रासे अनेक ऐतिहासिक तत्त्व जाने | मुद्राका आकार घटा दिया गया। इस समयको आक्स- गये हैं। नेपोलियनके समय भी इस शिल्पको यथेष्ट फोर्डनगरमें प्रस्तुत एक मुद्रा बहुत आश्चर्यजनक है। उन्नति हुई थी। वहांकी मोहर और रुपयेका शिल्पनैपुण्य ; उसके एक भागमें घोड़े पर सवार प्रथम चासकी प्राचीन ग्रीक मुद्राकी तरह है। मृत्ति और दूसरे भागमे आक्सफोर्डका घोषणा-पत्र है। इगलैपडकी मुद्रा। क्रोमवेल के समय कुछ मुद्राओंका विशेष शिल्पनैपुण्य ब्रिटेनसे रोमकोंके आनेके समय ४५० ई०से ले कर देखा जाता है। इसके पश्चाद्भागमें तृतीय विलियमको स्वी सदीके साकसनवंशीय राजाओ राज्यकाल तक | वीरत्वव्यञ्जक प्रतिमूर्ति है। रानो आनो ( Anue ) के यहां दो प्रकारको मुद्रा प्रचलित थो, १लो रोमक ताम्र शासनकालमें डिन खिफ्ट ( Dean Sivilt )-की आज्ञा- खण्डके अनुकरण पर निमित और २रा स्केट्टा (Scetta) से मुद्रा पर ऐतिहासिक घटनाके चित्र छपने लगे। नामक प्राचीन रौप्यखण्ड। यथार्थमे हेपटाकींके समय प्रसिद्ध ताम्र फार्दिङ्गको उत्पत्ति उन्हींसे हुई है। इसके इङ्गालैण्ड में मुद्राका पहले पहल प्रचार हुआ। गार्सिया, बाद जार्जगणके शासनकालमें अंगरेज-शिल्पी Pistrucci केएट, इष्ट आंग्लिस और नहास्त्रिया आदि स्थानोंको मुद्राशिल्पका अच्छी तरह संशोधन करके उसमें उन्नति मुद्रा पाई गई है। इनमेसे केवल मार्सियाराज अफा | दिखा गये हैं। ( Affa ) की मुद्रा ही सुन्दर और ऐतिहासिक तत्त्वको अंगरेजो पदकोंमे प्रसिद्ध प्रसिद्ध घटनाओंके सिवा उपयोगी है। इन्हें रौप्य 'पेनो' कहा जा सकता है। कोई विचित्रता नहीं देखी जाती। ट्युडर वंशके पदक इसके बाद यार्क और केण्टरवेरीकं प्रधान पादरी-पुङ्गव- बहुत हो सुन्दर हैं। Trezzo तथा हालैण्डवासी का रुपया मिलता है। नर्माणोंके शासनकालमे तथा stephen को खोदित प्रतिमूत्ति निपुणताको उज्ज्वल प्लाण्टाजेनेटवंशके समय भी यह शिल्प पूर्ववत् चलता | निदर्शन है। किसी पदकमे स्कारको रानी मेरीकी सुन्दर Vol, XVIII. 16