पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष अष्टादश भाग.djvu/७७

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७४ मुद्रायन्त्र समयमें Dan Specklin ( सन् १५८६ ई०में मृत्यु हुई ) | अक्षरका छिद्र या गर्त कर लेते हैं, उसीको छेनी कहते ट्रासवर्ग नगरमें अपनी आंखों इस तरहका अक्षर देखा हैं। इस छेनीसे एक ताम्रपत्र पर पटकनेसे जो उलटा था। उन्होंने मेन्टेलिन ( Mentcline ) नामक एक अक्षर अङ्कित हो जाता है उसीको हिन्दोमें अक्षरका यन्त्र मुद्रकसे इस तरहके अक्षरोंके तय्यार करनेकी वातका या अंगरेजीमें Matrix कहते हैं। जिस यन्त्रमें जला उल्लेख किया है। इसके वाद Angelo Rocchn ने सन् हुआ सोसा ढाल कर अक्षर वन जाता है, उसको सांचा १५६१ ईमें मिनिस नगरमें सच्छिद्र सूत्रप्रथित अक्षरों , या lould कहते हैं। को देखा था। सन् २०१० ई०में Paulus Pater ने . सुसभ्य यूरोपमें छेनोके अक्षरों के तैयार होने के बाद मेन्ज नगरके फुटके कारखानेसे प्राप्त 'वस उड' , अझरोंको ढलाई करनेकी उपाय-उद्भावनकी वाधा उप- पर खोदित खण्डित सूत्रप्रथित अक्षरोंका नमूना देखा , स्थित नहीं हुई। उन्होंने क्रमशः Punch से Matris था। और पीछे fould तय्यार कर लिया। पहले वहां बालूमें पहले उल्लेख कर चुके हैं, कि बहुत प्राचीन कालमे सांचों द्वारा अक्षरोंको ढलाई ( Types cast in sand ) चीनदेशमें छापाखानेके कार्य के लिये फलकमुद्राके | होती थी। इससे प्रत्येक अक्षरको खड़ाई (Hight of बदले पहले मृदक्षर और इसके बाद तांबेके अक्षर बने| paper ) वरावर नहीं होती थी, क्योंकि उस समय उन अक्षरोंको उस समय अली मिट्टी या ढलाई तांबे चौपः , लोगोंने अक्षरके सांचे ( Forme lace ) ठोक तरहसे हली बत्तोके ऊपर खुदाई हुई थी। यूरोपके पासवर्ग और और उपयुक्त रीतिसे पकड़ना नहीं सीखा था। गलित मेजनगरमें फलाक्षर और खण्डाक्षरके मध्यवती समय सीसा ढालनेवाले सांचेको मजबूतोसे पकड़ने पर कमो में Sculpto fusi अक्षरोंका उद्भव हुआ। इन अक्षरों में | अक्षरों में कसर नहीं रह जाती और इसकी खड़ाई में कमर छिद्र करनेसे पहले हरफके यथायोग्य आकारमें एक नहीं होतो । अथवा ढालनेके समय, छिद्र करनेके समय एक चौपहली वत्ती (Shanks ) ढाल कर पीछे अक्षरोंके यथास्थान सूने या तारों से गांधनेमें कोई रुका- उसके एक मुखमें अक्षरका आकार खोदा जाता था। वद नहीं होती थी। सूतेसे गांथनेते अक्षरों के भ्रमसंशो- सन् १४७, ई०में Sensenschmid ने लिखा है, कि , धनमें बड़ो दिक्कत उठानी पड़ती थी। अक्षर बदलने Cole Justirianus और Lombardus कृत In Psn- सूताके वन्धनको खोलना पड़ता था। यह देख कर वे trium नामक ग्रन्थ इसी तरह खुद धातुके अक्षरों में फर्मा (Forme)में एक एक अक्षर समावेश कर वर्ण- ( Insculptus ) मुद्रित हुए थे। इस प्रणालोसे | माला विकाशमें यत्नशील हुए। पूर्वोक्त प्रणालोसे. अक्षरों- अक्षरोंके तय्यार करनेमें अधिक कष्ट होता था, इससे उस । का समावेश करने पर अक्षरोंके ऊ'च नोच होनेके कारण पर अक्षर खोदनेके लिये छेनी ( Punch ) की खोज ऊंचे हरूफों पर ही स्याहोका दाग पड़ता था। करनेमें मुद्रक आगे बढ़े। Sculperc, exsculpere. इस असुविधाको दूर करनेके लिये कोचड़का सांचा insculperc आदि वातोंसे मालूम होता है, कि उसो (Clay moulds ) तय्यार हुआ। किन्तु मिट्टोके सांचे. समयसे ही छेनीसे काट कर अक्षर खोदनेकी प्रथाका में दो चार वार ढालनेके बाद वह सांचा नष्ट हो जाने अवलम्ब लिया गया है। उस समय यन्त द्वारा अक्षर | लगा, इससे अक्षरोंका खुदा स्थान नष्ट भ्रष्ट हो जाता ढालनेका उपाय आविष्कृत न होने पर भी वही प्रथा था। इसके फलसे पुस्तकके एक पृष्टके अक्षरोंको मुद्राशिलपको उन्नतिकी चरम सीमा कही जाती थी। तय्यार करनेमें कितने ही सांचोंकी आवश्यकता होती हम स्कोपफारके मुद्रित Grammatica Vetus Rhyth-! थो। इससे कार्यमें विलम्ब तो होता ही था, वरं सांचे mica प्रन्थमें भी अक्षर ढलाईका (Casting of the } के परिवर्तन छोटे बड़े ऊंच नीच हो जानेके, कारण types ) प्राकान्तरसे प्रमाण पाते हैं। पुस्तकोंकी छपाईमें बड़ी गड़बड़ी उपस्थित होती थी। वर्तमान समयमें मुद्रक जो इस्पात दण्डके मुख पर इस प्रथाके अनुसार सांचा तय्यार करनेसे धूपमें