पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष एकविंश भाग.djvu/८३४

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७३० विहारी--मिहत णिनि। १ परिक्रमी, परिभ्रमण करनेवाला। २ विहा- पारितोषिक दिया था 1 . विशेष विवरण विहारीमान शब्दमें रक, विहार करनेवाला। देखो। विहारी (स.पु.) १ विहार देशके अधिवासी ! २ श्री. विहास (सं० पु०.) विगतः हासो यस्य । हास्यादित । कृष्णका पक नाम। ३ विहारिन् देखा। विहिंसक (सं० नि०) वि-हिन्स-पपुल । विशेषरूपसे विहारीभाषा-विहार देशमें प्रचलित मापा। यह नागरी, हिंसाकारी, नाशकारी, नाशक । ( भागवत ११०.२७) मैथिली और कायथी मापासे स्व. व है। किन्तु यदि विहिसता (सं० स्त्रो०) विहिंससा भावो धर्मो वा नल.. अच्छी तरह भालोचना की जाये, तो उनमें बहुत कम प्रमेव टाप । विहिसका भाव या धर्म, अनियमिन्ता। ' मालूम पड़ेगा। नेपालके तराई प्रदेशस्थ कोशी, गण्डक, ! (भारत ३१२६६.) नदातटसे समस्त तिरहुत, भागलपुर, मुङ्गर, मुजफ्फरपुर, विहिंसन (सं० लो०) वि-हिनस् न्युट् । विहि'सा, दिमा, दरभङ्गा, पटना, गया, शाहाबाद, छपरा, चम्पारन आदि अनिष्ट चेष्टा । जिलेमें इस भाषाका प्रचार है । पाश्चात्य पण्डित | बिहिःसा (सं० स्त्रो० ) धि-हिन्स-टोप्। हिसा: प्रियारसन साहवने बिहारी भाषाकी एक विस्तृत शब्द. विहिसिन ( स० वि०) हिसाकारो। ... तालिका संप्रद कर गवेपणका यथेष्ट परिचय दिया है। विहिन (सं०नि०) वि-हिन्सर । दिसायुक्त, हिमा विहारदे शयासो प्राचीन कवियों के प्रन्योंमें भी अनेक | विशिष्ट । ( भागयत ३२२२:१६ ) .. . . विहारो शब्दोंका प्रयोग देखा जाता है। यहां तक कि, विहित (सं०नि०) यि-धा त, धामो हि इति हि मादेशः । विहारी भाषामे पदरचनाका भी गभाव नहीं है। विशेष १ विधेय, शास्त्रमें जिसका विधान किया गया हो। २ विपरया नागरी, मैमिली, कायणी और शब्दतत्त्वमें देखो। अनुष्ठित, मृत, किया हुआ। ३ दत्त, दिया हुआ। विहारी मल्ल (राजा)-अम्बर या जयपुरके कच्छवाइ. विहितसेन (सं० पु०) राजपुत्रमेद । (कथासरित्सा० १७३४) चंशीय एक राजा। मुसलमानी इतिहासमें ये 'भारमल' विहिति ( सं० स्त्री० ) पि-धा-क्तिन् । विधान, कोई काम और 'पूरणमल' नामसे भी प्रसिद्ध हैं। १५२७ ई०में करने की आशा। . . . इन्होंने मुगल सम्राट् वायरशाहकी अधीनता स्वीकार को । विहिनिम (सं० त्रि०) वि-धानिमक धामो हि । विधान . सम्राट अकबरशाहके साथ भी इनकी गहरो मित्रता द्वारा निवृत कर्म, जो काम विधानानुसार किया गया थी। इस मित्रताको द्रढ रखने के लिये राजाने सम्राट हो। (भदि १३) . के हाथ अपनी कन्या समर्पण की । उसी राजपूत रमणी- विद्दान (सं० त्रि०) वि-हा-क्त। १' विशेषरूपसे होन, के गासे युवराज सलीम (जहांगीर)का जन्म हुआ। रहित, धिना। २त्यक्त, छोड़ा हुआ। . . राजा विहारीमल्ल और उनके पुत्र भगवान दास वादशाह विहीनता (सं० स्त्री०) विहीनस्य भाधो धो वा तल के सेनाविभागमे च सेनापति के पद पर नियुक्त थे। । टप। विहान का भाव या धर्म । ' भगवान दास देखो। विहानर ( सं० पु०) ऋषिभेद। पाश) . बिहारीलाल-सुप्रसिद्ध हिन्दी कवि। आप सुललित विहीनित (स त्रि०) वियुक्त। विविध पदोंकी रचना कर भारतवर्णमें यशस्यो हो गपे विहुण्डन । स० पु.) शिवानुघरमेद, भगवान् शङ्करके है। इनकी रचनाका देख कर पाश्चात्य पण्डित गिल: एक अनुचरका नाम । • • . ' ' . खाइटने इन्हें 'The Thornson of the Hitidius मांख्या-बहुत्मत् (सं० वि०) विशेषरूपसे होमविशिष्ट या आहाम- से सम्मानित किया है। ये सोलहयों सदीम जयपुरराज युक्त। (ऋक् ११३४६) अयंशाफे अधीन प्रतिपालित हुपं । इनकी कविता पर विहत (सं० क्लो०) यह-क्त । १ साहित्यमें नियों के प्रसन्न हो कर प्रतिपालक राजाने इन्हें माजोवन मासिक "श प्रकारके स्वाभाविक अलंकारों से. एक प्रकारका पृत्ति और "सतसई" नामक प्रग्यके लिये लाम' रुपयेका अलंकार। २ स्त्रियोंका यिहार विशेष । ।