टकसाल अकबरके समय में दिलो-निवामो मौलाना अली अहमद ____ सोने चाँदोसे सिक्के बन जाने पर उनका जो मून्य नामक एक अति सुटन खोद कार बम्पातका मांचा बढ़ता था, उसमे कुछ अंश कर्मचारियों के वेतममें खर्च बनाता था। होता था और बाकीमसे महामनको कुछ दे कर सब १३ । मिकाचो-यह व्यक्ति गोलाकार धातुखण्ड को राजकोष जमा किया जाता था। ले कर दो मॉचोंके बीच में रखता और दूमग आदमी ईमाको १६वीं शताब्दोंके मध्यवर्ती ममय तक यूरोप ( पाट कचि ) हथौड़े से उस पर चोट करके धातुम्खण्ड में मिकका विशेष उत्कर्ष माधिन नहीं हुआ था। उस पर मुद्रासित करता था। ममय तक धातुको चहरको काट छॉट कर तथा यौड़े. १४ मब्बाक-विशुद्ध चोदीको गोल चद्दर बनान- । मे चोट दे कर हाश्रमे भी मिक्क बनाये जाते थे। कहना वाला। फजल है कि, इस तरहको प्रणालीमे सिक्कं ठोक मोल १५ । कर्शकब-यह व्यक्ति विशुद्ध चाँदीको चहरको नहीं होते थे और न उनके दोनों तरफ ममान दाब को जला कर पीटता रहता था। जब तक उममें मीसको लगती थी। १५५७ ई में एक फरामोमो ग्बोदकारने गन्ध रहतो, तब तक उमको बारबार पोटा जाता था। स्क्र के जरिये दाच कर छाप उतारनको तरकोब निकालो। १६ ! कसनिगीर-यह व्यक्ति मोने चांदो को विशुद्ध- १६२ ई० में इङ्गल्लेगड़ की टकमान्नमें वाष्पोय यन्त्र हाग ताको परीक्षा करता था पोर विशुद्ध न होने पर इच्छा- परिचालित एक बड़े हथौड़े से मिक्क बनाये जाने को नुसार विशुद्ध करा लिया करता था। प्रथा उद्भावित हुई । यही अभो सर्वत्र प्रचलित है। इम १७। नियारिया-यह व्यक्ति स्वर्णाटिको खाधो ममय जिस प्रणालीसे मिक्के बनाये जाते हैं, उसका कर उसमेंमे स्वण पृथक करता था। मक्षेपमें वर्णन किया जाता है। स्वर्ण रौप्यादिको विशुद्ध करने के लिए ताँबा, मोमा, जिम मोने वा चॉदोसे मिक्क बनगे उनके थान गन्धक, सुहागा पादिको काममें लाया जाता था। टकमालमै पाते ही पहले एक सुदक्ष स्वर्ण परीक्षक १८ । मिश्रित चाँदीको गाद गला कर चाँदी निका. प्रत्ये क थानकी परीक्षा कर उसकी विशुद्धता लिख लेते लनेवाला। हैं। इसके बाद सोनेके थान मजबूत पात्रमें गलाये जात १८ । पैकार-- नगरस्थ स्वर्णकारोंसे धूल आदि खरीद कर उसमें से सोना चाँदी निकालनेवाला। यथोपयुक्ता ताम मिला कर मर्निको निर्दिष्ट मिथित अवस्थाम परिणत किया जाता है। २२ भाग विशुद्ध स्वर्ण २०। निकोईवाला-पुराने तांबे के सिकीका मंग्रह ओर २ भाग ताम्म मिला कर इंग्लैण्डके सिक्के बनाये कर उनको गलानेशला । जाते हैं । चाँदी के मिकों में २२२ भाग चाँदो और १८ भाग २१ । ग्वकशो-टकमालमें झाड़ देनेवाला । यह टक- सोबा डाला जाता है। यथोपयुक्ता मिश्रण होने पर सोने सालको ठूलको घर ले जा कर उसमेसे सोना चांदी वा चाँदीके श्राकार और परिमाणके भेदानुसार लोहेके निकालता था। इसमें उसको खूब भामदनी होती थो। साँचे में ढालनेके नाना प्रकार थान बनाये जाने है। इन पकबर बादशाहकै समयमें अति विशुद्ध सोने चांदो थानों को पायोय यन्त्र द्वारा परिचालित पूण्य मान मे सिक्के बनते थे। इन्होंने उत्कृष्ट शिल्पियोंको नियुक्त कर रस्सातकी मजबुत चक्कीमें बार बार प्रेषित करके मिकाको बनावटमैं पहलेसे बहुत कुछ सुधार किया था। पसला किया जाता है। इन पत्तियों को सर्वत्र समान अकबरको टकसालमि २६ प्रकारके मोनेके मिक, करने के लिए पुनः पागमें जला कर एस्पातको जाँतमसे ८ प्रकारके चोदोक पौर ४ प्रकार के तॉब के मिर्ज बनत खींचते हैं। कामके लायक पतला होने पर वे पत्तियों एक थे । उनमें कुछ गोल और कुछ चौखटे होते थे! . परीक्षकके पास भेजो जाती है। परीक्षक प्रत्येक पत्तो- मुद्रा देखो। मैले एक एक बड़ा काट कर वजन करता है। यदि
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