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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/१०५

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सागर करुणाविप्रलम-करेटव्या करणाविप्रथम, करुणप्रिलम्भ देखो। एक बन्द। इसके नोकदार किनारे मुंड़े रहते हैं। वसात्ति, करपा देखो। इससे काठ या पत्थर जोड़ा जाता है। करुणावेदिता (सं० स्त्री० ) करुणवेदिन्न देखो। करू (हिं०) कटु देखो। करुणासागर (सं० पु०) करुणायां करू (सं० स्त्री.) क-ज। १ कर्तन, काट-कांक। उपमिः। दयाका समुद्रखरूप, निहायत मेहरबान्। २ कत्त, कटा हुवा। करणे (सं० पु.) करुणा पस्त्यस्य, करुणा-नि। कहकर (वै० लो०) ग्रीवा तथा कोलकाका ग्रन्थि, सुखादिभ्यय । पा पारा१२॥ १ करुणायुक्त, दयावान, मेहर गर्दन और रीढ़का जोड़। बान्। २ शोकात, पुर-अफसोस। (स्त्री.) ग्रीम- करूलती (वै• त्रि० ) नष्टदन्त, दंतटुटा। पुष्पी, गरमीमें फुलनेवाला एक पेड़। इसे कोण करूचा (हिं• पु०) १ कणविशेष, हायका कड़ा। ककरखिल्ली कहते हैं। करुयोका संस्कृत पर्याय २ खर्णविशेष, एक सोना। इसमें सोले पौछ ४ रत्ती ग्रोणपुष्पो, रापुष्पो, चारिणी, राजप्रिया, राजपुष्पो, चांदी रहती है। ३ कुल्ला। सूक्ष्मा और बचारिणी है। यह कटु, तित, उष्ण करूष (सं० पु०) व-जषन्। जनपदविशेष, एक मुल्क। और कफ, वायु, प्राधान (पेट फूलना), विषवमन दन्तवक्र इस देधक अधिपति थे। (भात, समा ४०) तथा जबखासनाशक होती है। (राजनिघण्ट) वर्तमान शाहाबाद जिले का ही नाम करूप है। करस्याम (सं० पु. ) तुर्वसुवंशीय टुमन्त रानाके एक रामायणने इसका अवस्थान गातट पर सिखा पुत्र। (हरिवंश ३९०) है। पहले करुषमें वन अधिक था। ताड़का करना (हिं.) बरुणा देखो। रामो यहीं बसते रहो। करन्धक (सं० पु०) सूरके पुत्र और वसुदेवके भ्राता। करूषक (सं००) १ वैवखत मनुके पुत्र । २ फा- काश्रम (म. पु०) तुर्वमुवंशीय त्रैमाएके एक विशेष, फालसा। पुत्र। (रिवय १९०) करुवज (स.पु.) करुपदेशे जायते, कल्प-जन-ड। करम (वै. पु.) अथर्ववेदो पियाच विशेष । दन्सवका "ताविहाय पुनभांती मिपालवरी।" (मारत, दि) "ये शाला: परिनत्यन्ति सायं गदमनादिनः । कुमूला ये च कृषिलाः ककुभाः करुमाः सिमाः। करूयाधिपति (सं० पु.) कापत्र तबामकजन- तामोषधे लगन्धेन वियूचोनान् विनाय" (अप १०) पदस्य पधिपतिः, तत्। १ करुष देशके राजा । करर (हिं.) कटु देखो। २दन्तवना। करेंसो (खी• Currency ) १ प्रचार, रिवान, करवा (हिं.) देखो। करुवा (हिं. पु.) विशेष, एक पेड़। यह दार- चलन। २ प्रचसित मुद्रा, सिक्का, चलता रुपया, सरकारी छोट। चीनौसे मिलता जुलता है। दाक्षिणात्यक उत्तर कनाड़ेमें कडुवा उत्पन्न होता है। इसके सुगन्धि करना (हिं. पु. ) यक्ष, कलेजा, दिल । वलाल तथा पत्रका तस शिपीड़ादि रोगपर व्यव- करेजी (हिं० स्त्री० ) परको यत्का मांस, जानवरके कलेजका गोश्ता बानाको तामें जो हार किया जाता है। फल दारचीनीको अपेक्षा सोधी पपड़ी रहतो, . उसे जनता 'पत्थरको करजो' वृात् पाता और काखी दारचीनी कहाता है। करती है। करवायो (हिं. स्त्री० ) कटुता, तोखापन। करवार (हिं. यु.) १ नौदहविशेष, मावका एक करीट (स• पु०) करे कराङ्गुलियु, पटति उत्पयते, करेषट्-पच् पलुक्समा। नय, नाखून । डांड़। पत्तेका वांस अधिक सम्बा लगता है। बेपत- वारको नाव इसीसे बचायी जाती है। लोडेवा | करटवा (पु.) कर.पटं पटन पति, करे-