कारण उस समय नोना। कहत्व-कल्लोलिनौ ई. ८वें शताब्दमें विद्यमान रहे। ससे स्वजातिके निकट उतना ही पादर और सम्मान काश्मीरमें काट नामक एक शेव राजा राजत्व करते मिलता है। यह शिवको पूजा करते हैं। किसीके थे। सम्भवतः मन्दसर्वखकारने उक्त राजाके नामसे मरनेपर शव जलाया या भूमिमें गड़ाया जाता है। ही अपना अन्य निकाला होगा। स्पन्दसूत्रके वार्तिक कलमूक (सं० वि०) वधिर एवं मूक, जो का मन कार भास्करभट्टके मतानुसार वसुगुप्तने कमटको न सकता हो। शिवसूत्र बताया था। फिर इन्होंने स्पन्दसूत्रको कार (हिं. पु.) १ कल, खारी महो। २२, कारिकाके साथ उसे जनसमाज में प्रचार किया। ३ अनुबंरा भूमि, असर। काटने स्पन्दसत्रको एक लघुत्ति भी बनायो | कला (हिं. पु.) १ पार, किना। २ कुसर, थी। मैवदर्शन देखो। कुवां, गट्टा। यह भोट पर पान सौचनेको कत्ल (सं० ली.) कास्य भावः, कल्ल-त्व । १खर खोदा जाता है। ३ कपोलके अभ्यन्तरका अंग, भेद, आवाजका फ़क। २ वाधिर्य, बहरापन, सुन जबड़ा। ४ विवाद, झगड़ा। ५ भरोरका स्वान न पड़नेको हालत। विशेष, निस्पका एक हिम्सा। जबड़े के नीचे गलेतक कहन-दक्षिणापथकी एक प्रसभ्य वणवणं नाति । कहा रहता है। तामिल, तेलगु (तिलङ्गी) प्रभृति भाषाके अनुसार कलांच ((हिं० वि०) १ दुष्ट, लुच्चा। २ दरिद, 'कलन'का एक पथ चोर या डाकू है। सम्भवतः कलाल । यह तुर्कीके 'कला' शब्दका रूपान्तर पूर्वकालमें छिपकर माल मारने डाका डालनेसे यह मात्र है। नाम निकला होगा। मदुराराज्यमें इस जातिका कलातोड़ (हिं० वि०) प्रबल, जोरावर, जो बराबरी वास है। किसी समय कमान लोग बबालोंसे कुछ कर सकता हो। स्थान छोन स्वाधीन भावमें रहते थे। अंगरेजोंके कलादरान (फा० वि०) कर्कशवादी, मुजोर, कड़ी पानसे पहले यह जाति मदुरा और निकटस्थ बात कहनेवाला। राज्यमें बड़ा उत्यात उठाती थी। १८०१ ई की कलादराजी (फा० स्त्री.) कठोर वचन, मुंजोरी, मदुरा अंगरेजोंके अधिकारमें आयो। फिर इन कड़ी बात। लोगोंका वह प्रभाव और दौरात्म्य घटने लगा। कमाना (हि.क्रि.) खुजलाने अथवा जवानाने फिर भी उचत स्वभाव, अतुल साहस और शरीरका चर्ममें असह्य पीड़ा होना, चमड़ा जलना। तेजाज भी वैसा ही बना है। कल्लि (से. अव्य०) पागामी दिवसको, कक्ष। कान जातिके विवाहको पदति अति चमत्कारक | कलिनाथ { सं० पु.) एक प्रसिद्ध सङ्गीतशास्सरचयिता। हैं। एक रमणी अनायास दो-से दश तक पति ग्रहण कन्नू (हिं० पु० ) वष्णवर्ण विशिष्ट, काले रंगवाला। कर सकती है। किन्तु एक एक जोड़े पति रखना यह शब्द प्रायः काले प्रादमियों या कुत्तोंका नाम होता है। पड़ता है; जोड़ा फूटनेसे काम बिगड़ता है। इनके सन्तान अपनेको छ,आठ या दश लोगोंके नहीं-पाठ कलोल (सं० पु.) कल बाहुलकात् पोलच । १ महा और दो, छह और दो या चार और दोके पुत्र बताते तरक, बड़ा लहर। २ हपं, खशौं। ३ मनु, दुश्मन । हैं। भनेक पिता रहते भी कोई गड़बड़ नहीं होती। (वि०) ४ यत्नुता रखनेवाला, जो दुश्मनी मानता कारण सन्तान सबके समझ जाते हैं। फिर सवको | कमोलित (स.वि.) कहोलोऽस्य संजातः, कहोस- उन्हें पासना पड़ता है। इतच । तरयुक्त चहर सेनेवाला। कलन अपने पुत्रोंको शैशवकालसे ही चौयवति | कमोलिनी (स. स्त्री०) कमोलोऽस्त्यस्याः, कसोड- सिखाते हैं। इस कार्य में जो जितना परिपक्क पड़ता, । इनि-डी। नदी, दरया। 3B r
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२४७
दिखावट