पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३६

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जबतब। निरर्थक.शब्द। कला-कमर अनुसार सेनानी अपना वेतन पहले ही जमीन्दारसे | कनस्तान (फा० पु.) तावास, गोरिस्तान, बहुतसी पाता, पीछे भूमिके करसे उतना धन आता या न कब्रोंको जगह। भाता। अमानी या वसूलीके अनुसार सेनानी यथा- कभी (हिं. क्रि-वि) १ पूर्व, एकदा, पेस्तर, किसी शक्ति धन ग्रहण करता था। फिर वह सैकड़े पीछे समय। २ कचित्, कदाचित्, गाहगाह, बान १) रु. कमीशन भी पाता रहा। ४ आनापनविशेष, औकात्। ३ कदापि, कहिचित्, किसी वक्त । एक हुकानामा। इसीके अधिकार पर मुसलमान कभी कभी (हिं. कि० वि०) कदा कदा, गाहे, बादशाहोंके समय सेनानी अपना वेतन जमीन्दा से ग्रहण करता था। बलपूर्वक अधिकार करनेको कभू, कमी देखो। 'कन-बिल-जव' पौर पूर्ण अधिकारको 'कन-प्रोकम् (सं० भव्य० ) १ जन, पानी। २ मस्तक, मत्था । दखल' कहते हैं। ३सुख, धारामा ४ मङ्गत, मलाई । ५ पादपूरणार्थ कसा (अ.पु.) १ मुष्टि, गिरफ्त, चुङ्गल, पला। २ दण्ड, दस्ता, बेंट। ३ वारसन्धि, नरमादगी, कड़ा। कम (फा०वि०) १ प्रत्य, थोड़ा। २ गा, खराब । यह लौह पित्तल प्रभृति धातुसे बनता है। कन में दो यह शब्द उपरोक्त दोनों अर्थमें क्रियाविशेषणको भांति चतुष्कोण खण्ड संयुक्त रहते, जो सूचीपर चल सकते भी पाता है। हैं। यह कपाट एवं पेटिकादिमें सन्धिस्थान घुमानेको | कम-प्रसल (फा० वि०) अकुलीन, वर्षासहर, हरामी, लगाया जाता है। ४ ग्रहण, दखल। ५ उपरिस्थ | कुमूत, घटियन्त । बाहु, कपरला बाज, भुजदण्ड । ६ मनयुद्धका कूटो- कमक (सं० वि० ) कम्-णि भावे अच् स्वार्थ प्रक् । पायविशेष, गट्टा, पहुंचा, कुश्तीका एक पेंच । १ कामुक, खाहिशमन्द, चाइनेवाला। (पु०) २ गोत्र- कुश्तीमें एक पहलवानको दूसरेका गट्टा पकड़ते, | प्रवर्तक एक ऋषि । उसके हाथपर चोट चलाने, झटका लगाने और | कम कम (फा० क्रि-वि०) अल्प-अल्प, थोड़ा थोड़ा। अपने हाथको छोड़ा लानेका नाम कला है। कमकस (हिं• वि०) अलस, सुस्त, जोरसे काम न कलादार (फा०वि०) १ अधिकारी। २ कना लगा करनेवाला। हुवा, जो कनेसे जुड़ा हो। कमखाव (फा० पु०) वस्त्रविशेष, एक कपड़ा। यह कुनियत (१० स्त्री०) मलावरोध, कुल, दस्त साफ गाढ़ एवं स्थल रहता और कोटसूत्रसे वमता है। न उसरनेकी हालत। फिर इसपर सुवर्ण एवं रजतके सूत्रसे प्रसून भी बना वजुलवसूल (फा० पु.) पत्रविशेष, एक कागज । देते हैं। किसी कमखाब. पर एक ओर पौर किसी इसपर येसन लेनेवाला अपने हस्ताक्षर करता है। पर दोनों ओर कलाबत्तूके वेलबूटे रहते हैं। यह कब्बल-महिसुर राज्यका एक कोणाकार गिरि। यह बहुमूल्य वस्त्र है। इसका खण्ड (थान) चार या मालवली तहसौलमें सिङ्गसां और भकंवती नदीके मध्य साढ़े चार गज पड़ता है। काशौमें कमखाब बहुत तैयार होता है। पक्षा० १२ ३०३० तथा देथा. ७७° २२ पू०पर अवस्थित है। पहले महिसूरके हिन्दू और मुसख- | कमखोरा (फा• पु०) पशुरोगविशेष, चौपायोंकी एक बीमासे। यह रोग पाके मुखमें होता है। इसके. मान राजा दोषी व्यक्तिको इसी गिरि पर ले जा कर बन्दी बनाते थे। इस स्थानका वायु प्रखास्थ्य प्रभावसे पशु अपना मुख चला नहीं सकते और भूखे. रहते हैं। कर है। इससे पपराधीका जीवन शीत निःशेष कमर (हिं. पु.) १ का ककार, कमानगर, चाप हो जाता था। बनानेवासा।.:२:पखियोजयिता, इण्डियां जोड़ने .या. इन (प: स्त्री०) शवखान, समाधि, सुरवत, मवार।