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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५३७

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। रहती है। कास ढकी रहती है। घटनेके समय या अंश फैल जाता कपास बोयी गयी थी। फल अच्छा निकला। ध्यान है। वृक्षमै खतन्त्र फूल फूटते ही कपास बोना जाता है। खेती करने पर हिन्दुःखानमें अमेरिकाको कपास खब नहीं तो धूप या भोसमें वह विगड़ जाता है। कार्पासके अपन सकती है। पुटसे वीज निकाल लेना पड़ता है। कपास खरीफक्री फसल है। वर्ष प्रारम्भ हनिमे स्थानभेदसे कार्यास वीजी बोने का समय निर्दिष्ट पपने ही जमीनको सौंच कर कपास वो देते है। प्रायः पाश्विन पौर कार्तिक मास ही वपनका अशोवरले जनवरी मास तक फसल तैयार होती है। उत्तम समय है। खाक गोवर या शोरे अथवा तीनोंकी किन्तु नर्म और रधिया कपास अपरेत और मई तक एकत्र जलमें गला उसमें वीज भिगो देते हैं। एक कोई ग्यारह महीने खड़ी रहती है। जमीनमें खाद दिन भिगोनेके पोछे वीज जलसे निकाल कर कुछ देर देना पड़ती है। धूपमें सुखाते हैं। अधिक शुष्क करना भी निषिद मायः कपासके साथ अड़हर बो देते हैं। इससे है। उसके पीछे अच्छी जोती जमीन में एक या डेढ़ कपासको धूप और ओस महीं सताती। फिर हाथके अन्तर ४५ अंगुति परिमाण गते खोद ३४ कपासमें तिल, उड़द और मंग भी डान्त देते हैं। वीन हाल जपरसे कुछ मही चढ़ा देते हैं। कपासके किनारे किनारे एरण्ड और पटसनको गोट दिन में ही पहर फट पाता है। अक्षरों में जी उत्कृष्ट होते, उनमें केवल दो उसी स्थान पर रख दूसरे कपास बोनेकै दोमास वादही फनने लगसो है। निकाल कर स्थानान्तरमें लगाये जाते हैं। पौदा जनवरी मामतक उसे बीना शरते हैं । पाला पड़नेसें निकलने पर निरर्थक वृक्ष नष्ट करना पड़ता है। कपास मारो नाती है। अच्छे खेत तीन या चार दिन कार्पासका वीज फेंक देने की चीज नहों। उसको पीछे बौने जाते हैं। बिनाई सवेरसे दोपहर तक होती खलौसे पच्छी खाद बनती है। फिर बिनौला खिलानेमे कारण उस समय प्रोसको तरी रहनेसे कपास गाय-भैंस भी बहुत देती है। किसी नमोन्में निशानन में सुविधा नहीं पड़ती। जोरसे कपास बराबर २३ वर्ष कार्पास उपजनेसे फिर उसमें अच्छी निकालनेपर रूई खराब हो जाती है। प्रायः स्त्रियां उपज नहीं होती। किन्तु बिनौलेको खली खाद को कपास धोनती हैं, उन्हें अपनी अपनी विनी कपासका तरइ डालनेसे जमीनको उर्वरताशक्ति कुछ बनी रहती ८ वा भाग या कुछ होनाधिक मजदूरीको तौर है। कपासको जमीन में सब तरहको खनी खादको मिलता है। भांति पड़ती है। खसीको पच्छी तरह चर कर चरखीमें कयास मोंट कर रुईस विनोलेको 'उसमें सूखी मही वरावर मिला एक सप्ताह रख प्रसग करते हैं। · अमेरिकाके दक्षिण राज्यों में भी छोड़ना चाहिये। फिर उसे खेतमें डायनेमे अच्छा ऐसी ही घरखियां चलती हैं। परन्तु पाजकन्न ताम होता है। प्रायः प्रति बीघे मन या प्राधान कक्षोंने भी विनोले निकाले जाते हैं। रुई उपजती है। किन्तु विशेष यत्न करने पर एक पानी भरा रहनेसे कपासको बड़ी हानि पहुंचती वधिमें छह-मन तक कपास-निकल सकती है। इसी लिये कपासके खेतमें पानी ठहरने नहीं हिन्दुस्थानमें लाखों बोधे कपास बीयी जाती है। देते। फलियां खुल जाने पर भी वष्टिये अपार शक्ति प्रति वर्ष-उसकी बढ़ती होती है। नर्म और मनुवा होती है। क्योकि पानी में भोज जानसे रंग बिगड़ दो तरहको कपास यहां उपलती है। इलाहाबादकी जाता है। और सूत्र सड़ने लगता है। कपासको पालेके राधिया कुछ अच्छी होती है। कुमायं और गढ़। पड़ने भी हानि पहुंचती है। कोड़ा और सूड़ी वालमें पहाड़ी कपास लगायी जाती है। कानपुरके लगनेसे भी कपास का संत्तानाश हो जाता है। सरकारी खेतोंमें १९८१-८२ ई. को अमेरिकाको हिन्दुस्थानके खेतीन कपास बहुत कम उपजती है। - प्रायः