कालज- ५(३. -कालवयदर्शन । अल्प पाहारादि द्वारा सन्तुष्ट, जो वक्त पर थोड़ा खाना | कालतिन्दुक (०. पु.) कालचासौ . तिन्दुको ति, कर्मधा । कुपोलु हर किसी किस्म का पावनूस पानसे खुश रहता हो। (पु०.)२ गोपविशेष । कालज्ञ (सं० पु०) काल उषादिसमय जानाति, कास- कालतिल (सलो०) कालच्चासौ तिलच्च, कर्मधा। वष्य तिल, काला तिल । जाक । कुक्कट, मुरगा।(त्रि०)२ उचित समयवत्ता, ठीक वह समझनेवाला। ३ ज्योतिषी, नजूमौ । कालतीर्थ (सं० क्ली. ) कोशलास्थित एक तीर्थ । इस तीर्थ का जल स्पर्श करनेसे एकादश वृषके दानका फल कालज्ञान (लो) कालो ज्ञायते पनेन, काल-ज्ञा मिलता है। करणे ल्य ट् । १ ज्योतिषशास्त्र, नजूमा । (भावे त्य द) "कोशलान्तु समासाद्य फालतीर्थमुपस्प शेत् । २उपयुक्त समयका ज्ञान, ठीक वक्त की पहचान। (कालो सषकादशफल' लमते भाव संशयः ॥" (भारत, बन ८५५०) मृत्युञ्जयते अनेन) ३ मृत्यु बोधक चिह्न, मौतको फालतुण्ड (स'• लो०) कृष्णागुरु, काला अगर। बतानेवाला निशान् । ४ चिकित्साशास्त्रविशेष । इससे | कालतुलसी ( स० स्त्री०) काली तुलसी । काल समझ पड़ता है। ५ रुविनश्चय-शास्त्रविशेष, कालतुल्य ( स० वि०) मृत्यु के समान, मौतको बराबर, बीमारी पहचानने की एक मिताभ, इसे शम्भ नाथने मार डालनवाला। बनाया था। कालतुष्टि (स० वि०) समयापची सन्तोष, वक्तको • कालन्नर ( स० पु०) कालं जरयति काख-जु-णिच्-अच् कनात । सांख्यमें समय पानसे खत कार्यको सिद्धि हो बाहुलकात् मुम् । १ योगिचक्रमेला भैरव विशेष। जानका सिधान्त "कालतुष्टि कहाता है। (कालेन जीर्यति) ३ मेरुके उत्तरका एक पर्वत । (विध कालतीयक (सं० पु०) प्राचीन जनपद विशेष, एक पु: पुराण ।।२८) ४ नगर विशेष, एक शहर । कालिजर देखो। रानी वसती। महाभारत और ब्रह्माण्ड . प्रभृति पुरा. ५ शिव। (वि०) ६ मृत्यु निवारक, मौतको हटानेवाला। णों में यह स्थान प्राभोर तथा अपरान्तादि जनपद के साथ ७ सकल्प छोड़ सत्व गुणमात्रमें मनोनिधेशकारक । उता हुवा है। टोलेमिने भी कोलक और एरियान् "चाव्य सर्वसहखान् सत्वे चिन' निवेशयेत् । सले चिच' समाषग्य तवः कालपरी मरत' (भारत यासि २४ प.) कोकल नामक जनपदको बात लिखी है। (Pto- 'कालचरक (सं०नि०) काखमर-बुन् । पबहादपि बहुवचन- lemy, Geog. VII. ch. I. p. 58; Arrian, Indika विषयान् ।पा।११-१२५। कालवर नामक जनपद Sec. 21.) असा उभय नाम कालक वा कामतीयक सम्बन्धीय। शब्दके रूपान्तर समझ पड़ते हैं। कराची उपसागरके कालनग (स० स्त्री०) कालं जरयति, कात्तम्-- उपकूलमें कालकन्न वा काकन्न नामक एक जिला है। णिच अच-टाप, मुम् । चण्डिका, दुर्गा देवी। इसी स्थानको पुरापोत काखतोयक जनपदका अंग कालवरी (सं• स्त्री०)कासन्नर-डीप । शिवपत्नी, चण्डी। मान सकते हैं। कालतम (स.नि.) यमेषामतिथयेन कालावष्ण कालत्रय (स' ली.) कालस्य विरवयवः, कालःविषयच् । वण :, काल-तम । अतिपय कणवर्ण, निहायत विविम्या तयस्यायचा। पा श५३ । वर्तमान, भूत एवं भविष्य काला। तीनों काल, हाजिर, माजो और आइन्दा जमाना । कालतर (स.वि.) कालो प्रतिशेते कालीम् कालो-कालत्रयज्ञ (सं० वि०) कालत्रयं जानाति, कालवय- तर,। हितीयांमार पतिथथ्यमामात् (पा३।३।५५ । वार्तिक ६) शाक। वर्तमान, भूत एवं भविष्य तीनों कालका कालीको अपेक्षा भी अधिक कृष्णवर्ण, ज्यादा काता। विषय जाननेवाला, नो हाजिर, माजी और आइन्दा कालता (स्त्री०) काशस्य भावः काल-तल । तीनों जमानेसे वाकिफ हो। कासका भाव, बरवक्तगी। कात्रयदर्शन (सं० लो०) कालवयस्य दर्शनं प्रत्यक्ष कालतास (स० पु०) कालताय कृष्णत्वात् प्रलति वत् अवलोकनम् ६-तत् । प्रत्यक्षकी भांति कालत्रयके पर्याप्नोति, कालता-पल-पञ्च । तमाल वृक्ष । विषयका अवलोकन, तीनों जमानेका देखाव ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५६२
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