पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१९०

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लन्दो पाना २६५ र दौरा-युरप्रदशक हरायुर तिरेको ढकी तहसीर | लपटाना ( हि नि०) १ अङ्गोंसे घेरना, चिमटाना। फे भातर्गत एक नगर। यह भया० २६ ४८३० तथा • मालिहुन करना, गले लगाना । ३ परिवेष्टित करना, देशा००७५८ पृ०फे म प मढकासे २॥ कोम दक्षिण पूपमें घेरना। ४ किमी सूनको सी यस्तुशे का पेरे परके मास्थित है। इस नगरमें एक दुग है जिमपे चारों! टियाना वा वाधना लपेटा। ५ सलग्न, सरना। ओर एक साई दौड गह है। दुईप सरदार रामदयाल उलझना, फस। सिइके गूजर नातोय आत्मीय म्यजनोंका यहा वासरपटीया (हि.पु.), एक प्रकारका जङ्गली तृण है। सिपाही विद्रो के समय गुनरों भारी अत्यागार निमको पार पहमें लिपट या फस जाती है और किया था, इस कारण नगर आग लगा दी गई थी। कठिनतामे छूटती है। (नि०)२ लिपटनेवाला, चिम लप (हि. पु.) १एक प्रकारको घाम । इम 'सुरारी' भी कहते, टनेवाला। ३ सटा या लिपटा हुगा। है। दोनों हथेलियों को मिल कर बनाया हुभास पुटपन (सको०) लप्यनेऽनेनेति लप करणे ल्युट । जिसमें कोई यस्तु भरी पा सके, अचली। ३ सजगे| १ मुष, मुह । २ भाषण, कथन । भर वस्तु । (स्रो० ) ४ बेत या लचीला छडोको | रुपना (दि० कि०) १ येत या लचीली छहीका एक पकडकर हिलानेसे उता दया घ्यापार | ५ उरी, छोर पक्ष्ट कर जोरसे हिलापे नानेसे इधर उधर झुकना, सरार आदिको चमकी गति । मोकके साथ इधर उधर लचना। २ मुरुना, लचना । लप (हि. स्त्री०) १ ज्याला, रपट । २ ली या ३ल्पना, लल्चना, हैरान होना, परेशान होना। उपटका तरह निकरने या चलनेश तेजो, पेग । ३ चमक | लपलपा (हि. कि०) १येत या चोली छडी, काति। ४ चरनका येग, पुरती। टहनी मादिका एक छोर पक्ड पर बोरसे हिलाये जाने एपना ( हि • फ्रि०) १ चटगर या तजोसे चल पडना, से इधर उधर मुक्ना मोक्के साथ इधर उधर रचना। तुरत दौर पटना। • आफपणक लिये दौड पढना, २क्सिी रवी कोमल वस्तुका इधर उधर हिलना झपरन । ३ वेगमे गमन सा, नजीमे जाना या चलना। दोना या किसी "तुके अदरसे वार यार निकलना। ४ कोइ यस्तुर लिये झटस हाय पढाता। ३ छुरो, तलवार मादिका मना, झलकना । ४ झोंक लपकी (दि. स्त्रा०) पर प्रकारकी मीघी मिला। के साथ इधर उधर रचाना, रपाना। किसी लबी लप (हिपु०) सिस्मिक पहाडोको एक जगरी परम चीजको इधर उधर हिगना दुाा या किसी जाति। लेप्छा दया। वस्तु के अ दरसे वारपार रिना। ६छुरी, तलवार लपझप (दि. यि०), चचर चर २ तेज पुर आदिको निकार कर चमकाना चमचमाना। साला!३ चुपचाप न बैठनपाल अधोर। स्परपाहर (दि यो०) पलपानेकी मिया या भाय, लपट (हि • घा०) १ भागके दहास उठा हुमा जलती पर छोर पकड कर मोरसे गिर जाते हुए येत आदि पायुका स्तूप, आगला हो। २ तपी हुइ घायु, हयाम पामोश।२चान झलक । फैली हुइ गरमो। ३ गध, महक । ४धिमा प्रकार। हासा (हि. स्त्री०) । भुने हुए आटेंमें चीनीका धारयत गधस भरा यायुका मका। लपटना (दि० मि०) १ अगाँसे घेरना, मालिंगन करना। डाल कर पाई हुई वहुत गाढो लें जो ग्राइ जाती है, २ उरमना, पसना । ३रिसो सूतकी सा वस्तुका घोडे घोका तुग। २ पानी में भीगया हुमा माटा जिसमें नम मिला होता है और जो जेगमें कैदियों को दूमरो यस्तुफ चारों भोर कर गेम येरना। ४ लग जाना, सरन ET! ५ गा रहमा रत रहना। दिया पाता है। इसे रूपटा मो करने हैं। ३ गोली गादी ६परिधेनिहोना, चिर मामा! वस्तु। रपट (हि.पु.), गाढा गाग यस्तु । २पठा। | पहा दि.०) पाएका एक रोग, पानकी गेर। इलामी, |लपाना (हि.मि.) १ चोली छडी आदिको मांकले