पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२१५

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२२० लवणोदक-लव्यय लवणोदक (सं० पु०) १ लवणमिश्रित जल, नमक मिला | अडे देती है। जाडे के दिन मे इस चिड़ियाके के हुआ पानी। २क्षारसमुद्र। झुड झाडियों और जमीन पर दिखाई पड़ते है। यह लवणोदधि (सं० पु०) लवण समुद्र। दाने और कोडे वाले हैं। लवन (सं० क्लो०) लू-भावे ल्युट । १ छेदन, कारना। लवाई (हिं० वि० ) १ हालकी व्याई हुई गाय, वह गाय २ खेतकी कटाई, लुनाई । ३ ग्वेत काटनेकी मजदूरोमें दिया जिसका बच्चा अभी बहुत हो छोटा हो। (स्त्री० )२ हुआ अन्न, लौनी। खेतकी फसलकी कटाई, लुनाई। ३ फसल कटाईकी लवना ( हिं० क्रि०) १ पके हुए अन्नके पौधों को खेतोंसे मज़दी। काट कर एकत्र करना, लुनना। २ लोना देखो। लवाक ( स० पु० ) लवरथै छेदनार्थ अकनीति अक- लवनि (सं. स्त्री०)लवनी देखो। अच् । छेदनद्रय्य, कारनेकी चीज । लपनी ( हिं० स्त्री० ) १ खेतमें अनाजकी पकी फसलकी लवाजमा ( अ० पु० ) १ किसीके साथ रहनेवाला दलबल कराई, ल नाई। २ वह अन्न जो खेत काटनेवालोंको और साज सामान, साथमें रहनेवाली भीड़ भाड़ या मज़दूरीमें दिया जाता है। असबाव । २आवश्यक सामग्रो, वह सामान जो किसी लवनी (सं० स्त्री० ) फलवृक्षविशेष, शरीफेका पेड़ या वातके लिये जरूरी हो। फल। लवाजमात ( य० पु०) सामग्री, उपकरण । लवणीय (सं० त्रि० ) लू अनोयर् । छेदनीय, काटनेके ल्याणक ( स० पु०) तृपनेऽनेनेति लू ( आपणका लू ध. लायक। शिन्धिताभ्यः । उण २८३ ) इति आणक । दानादि लवन्य (स.पु. ) पक जाति । ( राजतर० ७.१२।४१) छेदनद्रध्य, हसिया। लवराज (सं० पु० ) काश्मीरके एक ब्राह्मण। लचित्र ( स० क्लो० ) लूयतेऽनेनेति ल ( गति लू धू (राजतर० ६।१३।४७) सूखनसहचर इन। पा ३।२।१८४) इति इत्र । दात्र, हंसिया। वली (सं० स्त्री० । लव लेशं लातीति ला-क, गीरादि- लवेरणि (सं० पु०) एक ऋषिका नाम । ( सस्कारकौमुदी) त्यात दीप। १ फलवृक्षविशेष, हरफारेवरी नामका लन्दरिया-१ सिन्धप्रदेश के शिकारवर जिलाatia ne पेड और उसका फल । पर्याय-सुगन्धमूला, शन्दु, कोमल तालुक । यह अक्षा० २७ १५ से ३१ उ० तथा देगा० वल्कला। इसके फलका गुण हृद्य, सुगन्धि और कफ ६८२ से ६८ २३ के मध्य यवस्थित है। भ परिमाण वातनाशक माना गया है। (राजनि०)२एक विषम २०७ वर्गमील है। वर्णवृत्त । इसके प्रथम चरणमें १६, दूसरे में १२, तीसरे २ उक्त तालुकका एक नगर । यहां दो फौजदारी अदा- मेंट और चौथे चरणमें ३० वर्ण होते हैं। लवलीन (हिं० वि०) तन्मय, मग्न । लब्धिसागर-श्रीपालकथाके प्रणेता । लवलेश (सं० पु०) १ अत्यन्त अल्प माना, बहुत थोड़ी लय (सं० लि०) छेदनयोग्य, काटने के लायक । मिकदार। २ जरा-सा लगाव, अल्प संसर्ग। लव्यय-मन्द्रास और वम्बई प्रेसिडेन्सीमे रहनेवाली एक लववत् (स० त्रि०) क्षणस्थायी, थोड़ी देर तक रहने- मुसलमान जाति । मलवार उपकूलमें भी इस जातिका वाला। पास देखा जाता है। इस जातिके लोग अरव और लवशस् (सं० मध्य० ) खंड संड; मूहर्त के लिये। पारस देशके औपनिवेशिक सुसलमानोंके सन्तान हैं। लवा (हि • 'पु०) तीतरको जातिका एक पक्षो। यह अधिक सम्भव है, कि ७वीं सदीमें इराकके शासनका तीतरसे बहुत छोरा होता है और जमीन पर अधिक हजाज-श्वन् यूसुफके अत्याचारसे तंग आ कर उस रहता है। इसके पंजे वहुत लम्बे होते हैं। नर और देशके अरवी और पारसी लोग इस देशमें आ कर वस मादामें देखने में कोई भेद नहीं होता। मादा भूरे रंगके | गये हों। इसके अलावा जो सब अरवी और पारसा