पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५२६

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५२४ गोपालन्द-गोइठौरा १७५८ ई०को नदीमुख पर पञ्जीम या नये गोप्रामें | वाणिज्यका शीर्षस्थान अधिकार किया है। यहां इष्टन राजधानी स्थापित हुई जो ३रा गोत्रा कहलाता है उत्ता | बेङ्गाल ष्टेट रेलवेका अन्तिम ष्ट मन और आमाम जाने वर्ष येशुट लोग भाग गये, इनके माथ माथ गोपाका | पानेके लिये ष्टीमर छोड़नेका अड्डा है। नदीको दुर्धर्ष वाणिज्य जगत् भी अन्धकार हो गया। नये गोपा हो | गतिमे नगरको अवस्था क्रमशः बढ़ती जाती है । इस अभी पोर्तगीज भारतको राजधानी है। पञ्जीम्, रिवन्दर | नगरमें रलवे कम्पनीका ष्ट मन, वाजार और दोनों नदी- और पुराना गोपाका कुछ अंश निकले हुए नगर ६ मील | के सङ्गम स्थान पर वालुकामय जमोनके ऊपर अदालत विस्टत और माण्डवी नदीके वामकून पर अवस्थित हैं। हैं। टीमर या नौकासे रेलगाड़ोमें माल लदनके लिये पूर्व ममय पञ्जीममें सिर्फ वीरजातिकै मनुष्य रहते थे, | शीतकालमें नदीके कूल पर रेलपथ दिया रहता है, किन्तु यमफ आदिल शान यहां एक टुर्ग निर्माण किया था। आषाढ़ और थावण माममें जब नदीको बाढमे निकट १८४३ ई से यह दुर्ग पोत गीज राजप्रतिनिधिका मुंदर वर्ती ग्राम जलमग्न हो जात तब वह रेलपथ उठा लिया वामभवन हो गया है। इनके अतिरिक्त यहां उच्च अदा. जाता है। एक माह पहले जिम नदीके कल पर सर्वदा लत, मेमनकोट, शुल्कग्रहणालय, पलिम, डाकघर, टेलो मान ले रेलगाड़ी जाती आती थो. कुक्क दिन बाद वह ग्राफ आफोम, विश्वविद्यालय, पाठागार, माहित्य और स्थान ममुद्रकी नॉई देख पड़ता है। इम समय नदीके विज्ञानममिति सैनिक अस्पताल, कागगार, बहुतमे उत्तर अथवा पर्व अंशको और दृष्टि करनसे लगभग बाजार और नमक के गोले हैं। अगरेज गवम गटने यहाँ ३४ माइन विस्त त अग्वगड़ जन्नराशि हो दीख पड़ती। नमक प्रस्तुत करमका ठीका लिया है। यहां प्रायः पन्द्रह तूफान आने पर द शीय मांझी नौकाओंको किमी दूर- हजार मनुष्य रहते और लगभग चार हजार घर हैं। वर्ती खंतमें रख छोड़त हैं। मभय ममय पर ष्टोमर भी गोपालन्द-१ बङ्गालमें फरिदपुर जिलेके अन्तर्गत एक उप- कुष्ठिया हाटमें रखे जाते, क्योंकि वहां तुफानसे कोई विभाग। यह अक्षा० २३३२ तथा २३ ५५ उ० और | उपद्रव होनेको मम्भावना नहीं रहती है। १८७० ई०. देशा० ८८ १८ एव' ८८.४८ पू०के मध्य अवस्थित है। को गोपालन्दसे कुष्ठिया तक रेलपथ ग्वान्ना गया तथा भूपरिमाण ४२८ वगेमौल है। लोकसंख्या प्रायः ३१८२८५/ नदीकूल पर बाँध दं कर ष्टं मनकी रक्षा की गई है । है। हम उपविभागमै ११७८ ग्राम और नगर लगत तथा| यह बांध तैयार करनम लगभग १३०० गोपालन्द, वेलगाको और पॉगमा नामक स्थानमें तोन किन्तु उक्त वर्ष के अगम्त माममें नदी में डम तरहको बाढ़ पुलिस थाना है। हम उपविभाग उत्त आई कि उस बांधका मुदृढ़ स्तम्भ, रेल प्टेमन, और नदी प्रवाहित है। भूमि उर्वग है । दूमरे मब-डिविः | निकटस्थ ग्रामके बहुतमे अश नष्ट हो गये थे। जनोंकी अपेक्षा इमको कुरमो ऊची हैं, परन्तु जलवायु ___ नदोस्थ नौका या ष्टोमरसे ग्लगाड़ी हारा माल बोझ कुछ भी स्वास्थ्यकर नहीं। मलेरिया ज्वरका प्रावल्य कर लाना हो गोपालन्दको व्यवमाय है। आमाममें होने रहता है। यहां ईष्टर्न बङ्गाल ष्टेट रेलवेका पूर्व भाग | वाले द्रव्योंको कोड़ पार्श्वस्थ जिला समूहको उत्पन्न फसल आ गया है। जहाजोंसे भी लोग यातायात करते हैं। उक्त रेल द्वारा कलकत्ता भेजी जाती है । गोपालन्दसे २ उक्त जिलेकी नदीकुलस्थित प्रधान वाणिज्य | कई एक ष्टीमर आसाम, मिराजगञ्ज, ढाका और काछाड़ स्थान और नगर । यह अक्षा० २३ ५१ उ० और देशा ! आइतेि हैं। ८६ ४६ प०में गङ्गा ओर ब्रह्मपुत्र नदी पर अवस्थित है | | गोईजी ( देश. ) छिलका रहित एक प्रकारको मछली ५० वर्ष पहले यह सिफे मछली बेचनेका स्थान था। उम | जिसका मुख और पूछ एक ही तरहके होते हैं । समय या एक सामान्य ग्राम रूपसे परिचित रहा | गोइठा (हि.) गोंडा देखी। डकेत नदी पर पारोहियोंके ऊपर बहुत उत्पात मचाय | गोड'ठौरा (हिं. पु० ) गोइठा रखनेका स्थान वह जगह