पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/९१

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ग-गंडनौ है, किन्तु किसी दूम य ननकै माथ युक्त होने पर विप-, गगैरन ( हिं० स्त्रो० ) गोरक्षतण्ड ला, गुलशकरी। इसके रीत फल होता है । ( इतरबाक रटोका ) पत्रोंमें दो नोक रहतीं और पुष्य पाटलवर्ण लगते हैं। समें कोलका , गीत । २ गणेश । ३ गन्धर्व । गगैरनका फल परिपक्व होने पर फट कर पांच टकई ४ एक गुरुवर्ण . हो जाता है । गार को रन । गंगई (हि. स्त्री०) गलगलिया । मैना जातिको एक गगेका ( हिं० पु० ) काकाण्डौक्षुप, एक झाड़ी' इमके चिड़िया जो ग्यारह इंच लम्बी भूरे रङ्गकी होती और पत्र थेणीरूपमे मीकोंमें सुसज्जित रहते और क्षुद्र शुद्ध भारतके प्रायः सभी प्रान्तीम मिलती है। यह खेता, मैदा- फल लगते हैं । गाङ्गरुक एक पार्वत्य वृक्ष है। नां और जगन्नौमि फिरती है। दमक अण्डा देनका कोई गंगोटी ( हिं० स्त्री. ) गङ्गातीरस्थ मृत्तिका, गङ्गाको ठिकाना नहीं है। यह झाड़म घोमला बना लेती और मट्टी। चार अगड़े देती है। गगई बोलनेमें खूब तेज है। | गगौलिया ( हि पु० ) निम्बुकभेद, किमी किस्मका नीबू । गंगकुग्यिा (हि . स्त्री० ) हरिद्राभेद एक प्रकार लम्बी। यह ग्वट्टा ओर दानदार होता है। और बडी गांठवालो हलदी या कटकमें होती है। गजिया ( हिं स्त्री० ) १ खारी, कोई जालीदार थैली। गंगतिरिया (हि. स्त्री० ) वृक्षविशेष, जलपीपर। यह | इसमें धमिया घाम डालते हैं । २ पात्रविशेष, कोई सजन भूमिमें होती है । इमकी पत्तियां नुकीलो निकलती | बर्तन । यह मट्टीका बनता, मुह तङ्ग रहता और देख है। इसमें पीपल जैमो बाल आती है । इमका दूमरा | नमें चपटा लगता है। ३ रुपया डालनेको कोई थली । नाम पनिमिंगा है। जलपिप्पली देखा। यह मूतमे जालीदार बनायी जाती है गंगवरार (हिं. पु. ) गङ्गा या किमी दूमरी नदीको गजडी ( हि वि० ) गांजाखोर, गांजा पीनवाला । धारा या वाठक हटनसे निकली हुई भूमि। इम पर | गठकटा ( हि . पु० ) गांठ काट लेनेवाला, जो कमरमें नदीकी मिट्टी जमी रहती है बध रुपये मे चाकू या किमी दूमरी चौजमे कपड़े को ग रि स्त्री० ) वनी नामकी एक कपाम। इसके | काट कर निकाल लेता हो। पत्र दीर्घ तथा विस्तत और तन्तु सूक्ष्म एवं कोमल गठजोड़ा. गठबन्धन को लगते हैं। पुष्पक नोचेको कमरखी पत्तियां दीघ और गंठबन्धन (हि. पु० ) १ ग्रन्विबन्धन, खूटजोड़ाई। या बैंगनी होती हैं। इसे विहारमै जेठो बंगलाम भोगला, | पति तथा पत्नीका उत्तरीय वस्त्रका प्रान्तभाग परस्पर बरारमें टिकड़ी जड़ी आदि कहा जाता है। बांधनेमे होता है। विवाहमें ही इसका प्रारम्भ है। गंगला (जि. पु.) एक प्रकारका शलगम। यह गङ्गाक गठबन्धन सामदान और पूजार्चनादिके समय किया किनार होता और आकारमें दीर्घ और अच्छा लगता है। जाता है । २ विवाह, शादी। ३ मैत्री, दोस्ती। गंगवा (हि. पु०) वृक्षविशेष । यह दक्षिणमें समुद्र गठिवन (हिं. स्त्री० ) गन्धिपर्व टेखो। किनार तथा ब्रह्म, अन्दामान और मिहन्नमें उपजता है। गठवा (हि पु० ) धागोंका एक जोड. : इममें सामवान यह चिर हरित् रहता है। इममे खेतवर्ण दुग्ध नि:सृत | या नयी पायीका तागा पुराने कपडके तागसे मिलाया होता जो वायु लगनेसे जमता और काला लगता है। जाता है ताजा दूधका स्वाद खट्टा होता और बहुतोका मत है कि | गडधिमनी ( हिं, स्त्री० ) १ चाटुकारिता, खुशामद, जहरीला भी है। इसके काष्ठम दियामलाई आदि | चापलूमी । २ मखत मिहनत, कडी मशक्कत । ३ बैठक, बनायी जाती हैं। बैठाई। गंगशिकस्त (हि. पु० ) नदीसे काटी हुई जमीन। | गड़तरा ( हि पु. ) गतग, बच्चोंके नीचे विशया जाने गगेटो (स. स्त्री० ) ओषधिविशेष, एक पत्तो । यह पिड़- वाला कपडा। काको प्रवाहित करती और मलमूत्रल रहती है। गहनी (हि. स्त्री० ) गगहाला, मरहटो। . Vol. VI. 23