पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/३४७

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पदमूद ३०५ यनी थी। सिवा इनके दो सौ रोप्य प्रतिमायें भो। ओर चला। कानपुरके दक्षिण पाण्डु नदीके तोर थी। वीस दिन तक लूटते रहने पर भी महमद लूटन पर अभी भी उसका ध्वंसावशेष मौजद है। ब्राह्मणोंने सके। महमूदकी यशता स्वीकार नहीं की। यह फिला पर्वतके नगर लूटपाट कर विधी महमद पत्थरकी मूर्तिको उच्च स्थान पर बना था। रक्तपातके भयसे कितने ही तोड़ने लगा। कई दिनों में मन्दिरोंको तोड फोड. आग | प्राण-रक्षाके लिये दुर्गसे नीचे फूद पड़े। किन्तु ये कोई लगा.फर उसने स्वाहा कर दिया । सहन सहन भी प्राण वचा न सके। कितने हीने युद्ध किया, अंतमे मल्यवान् शिल्पनैपुण्य भस्मराशिमें परिणत हो गई। सुलतानने दुर्ग पर अधिकार कर लिया। इसके बाद महमदने नृशंसतापूर्वक लोगोंको मारने लगा। यहांसे मुलतान भल्सी या अस्नीके दुर्गको योस दिनों तक हत्याकार्य चलता रहा। नदोजल रक्त । ओर चला। इस नगरसे फतेहपुर,दस मोल पर उत्तर- धारामें परिणत.हो गया। प्रयं गड़ाके किनारे अवस्थित था। इसका यथार्थ नाम ___ कन्नौज पर आक्रमगा। अश्विनो दुर्ग था। कहा गया है, कि सूर्यपुल अश्विनी . मधुराको तोड़ फोड़ कर महमद कन्नौज लूटनेके लिये कुमारने.यहां.एक महायज्ञ सम्पन्न,फर अपने नामानुसार चला । उस समय वहांका राजा जयपाल राज्य करता था। इसका नाम अश्विनो रखा। यहांके राजा चन्देल भोज सुलतानका भाना सुन तथा मधुराको हालत देख सुन कर अत्यन्त बलवान् थे। कन्नौजके राजाको भी इनसे -यह गड़ा पार कर भाग गया। रास्ते में जो पहाड़ी किले पराजित होना पड़ा था। अश्विनी दुर्गके चारों ओर थे, उनको एक एक कर महमद जीतने लगा। कितने ही | अथाह जलसे भरी खाई थी। इस खाईके चारों ओर मुसलमान यन गये, कितने होने युद्ध भी किया। किन्तु , घोर पन बड़े बड़े अजगरोंसे पूर्ण था। जंगल ऐसा महमूदसे सभीने हार खाई। इन किलोंसे उसने बहुत | घना था, कि दिनको रातका भ्रम होता था और इनमें ..धन लाभ किया। बहुतेरे सर्प गर्जन करते थे। चल सुलतानके आने- इसके बाद. सुलतान दुर्मेध प्राचोरचेष्टित सात की बात सुन कर ऐसा घबरा गया मानो यम उसको दुर्गोसे परिशोभित कन्नौज नगरमें आ पहुँचा । कन्नौज पकड़नेके लिये आ रहा है। अय वह क्षण भर भो ठहर फा सातों दुर्ग भागोरधोके जलसे हो बनाये गये थे। न सका और वहांसे भागा। गङ्गाके गमोर जलको कल-कलनाद धारामें ये दुर्ग प्रया- सुलतानके हुक्मसे पांचों दुगों के भीतरसे धनरत्न हित हो रहे थे। .गडाके किनारे दश हजार पत्थरोंके लूटा गया। दुर्गको सेनाओं पर दुगै ढाह दिया गया । मन्दिर थे। मन्दिरमें अङ्कित लेखोंसे मुलतानको मालूम बेचारे जीते ही डूब गये और यमलोक सिधारे। बहु- हुआ,था, कि यह सब तीन हजार पहलेके बनाये हुए थे। तेरो स्त्रियां.मर गई'.और कुछ कैद हुई। यहांक अधिवासी भाग गये। जो भागे नहीं थे, उन्होंने इसके वाद सुलतानने.सहारनपुरके निकर यमुनाके

भूपटित हो कर मन्दिरोंको रक्षाको प्रार्थना को। किन्तु | किनारे पराक्रान्त हिन्दूराजा चांदराय :पर चढ़ाई को।

ये सव-भी मारे गये। चांदरायकी कोतिध्वजा सारे भारतवर्ष में फहरा रही . ..मुलतानने सब मन्दिरोंको तहस नहस कर दिया। थो। फिर भी पुरुजयपालके साथ अनेक वार युद्ध में इनामन्दिरों में जो राशि-राशि मणिमुक्ता मिली,वह वर्णना पराजित होकर चांदरायने उससे सलह और अपनी तोत है। सारो स्त्रियां कैद को जा कर महमूदके संग लड़कीका विवाह उसके पुत्र भीमपालके साथ कर देना .. चलीं। एक लाख ८, घोड़े, हाथो और फोर्जे लुटो | चाहा। जयपालने अपने पुत्र आनन्द्रपालको विवाह । हुई चीजोंको.ले.कर धोझके मारे दये, हुए वहांसे रवाने | साज सज्ञा कर उसके यहां विवाह करनेके लिये मेज दिया। चांदरायने भीमपालको सव साथियों के साथ इसके बाद सुलतान ब्राह्मणों के अध्युपित मुझ,दुर्गको कैद कर लेना चाहा ।पोछे जयपालने चांदरायके कहने के Vol. XVII, 77