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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४१३

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मायुरक-मादागास्कार ! "सन्चे द्विजा कान्यकुब्जा माधुरं मागधं विना। मादयित्न (सं० वि० ) अत्यन्त मदकर, बहुत नशा लाने- , वराहस्य तु धर्मेण माथुरो जायते भुवि ॥" वाला। मथुरा देखो। मादयिष्णु (सं० वि० ) हपोप्तादक, आनन्द बढ़ानेवाला। ... ५ कायस्थोंकी एक जाति। ६ वैश्योंकी जाति 1 6 | मादर (फा० स्त्री० ) मां, माता । मथुरापान्त । ( नि० ) ६ मथुरा सम्बन्धी, मथुराका। मादरज़ाद । फा० वि० ) १ जन्मका, पैदाइशी । २ एक मोथुरक.(सपु०) १ मथुरादेशसम्बन्धीय, मथुराका। मांसे उत्पन्न, सहोदर भाई । ३ जैसा मांके पेटसे निकला २ मथुराका अधिवासी, यह जो मथुरामें रहता हो। ! था वैसा हो, विलफुल नंगा। माथुरदेश्य ( स०.लि.) मथुरादेशभय, मथुराका। मादा ( फा स्त्री०) स्त्री ज्ञातिका प्राणी, नरका उलटा। माधुरी-मथुरानाथरूत तत्त्वचिन्तामणिदोधिति नामक इस शब्दका व्यवहार बहुधा जीव जंतुओंके लिये ही न्यायग्रन्थकी प्रसिद्ध टोकर। होता है। माथे (हिं० वि०) १ माथे पर, सिर पर । २ भरोस, सहारे मादागारकार-भारत महासागरका एक बड़ा द्वोप । यह पर । । अफ्रिका महादेशके मोजाम्बिक उपकूलसे २४० मील माद (सं० पु० ) माद्यते इति-मद घञ्, नुमभावः । १ दपे, पूर्वमें अक्षा १२ से २५ ४५ उ० तथा देशा० ४३ से घमंड, शेखी । २ हप, प्रसन्नता।३ मत्तता, मस्तो। । ५१ पृ०के मध्य अवस्थित है। उत्तर-दक्षिणमें यह केप माद (हिं० पु०) छोटा रस्सा। एम्बासे केप सेएट-मेरी तक ९६० मील लम्बा और मादक (सं० पु०) माद्यति वांगमे हृप्यतीति मद ण्वुल ।। केप इएसे केप केलिक्स तक ५०० मोल चौड़ा है। १ दात्यह पक्षी, पपीहा । २ मादक द्रश्य, नशा उत्पन्न । कहीं कही इसकी चौडाई २०० मील भी देखी जाती है। करनेवाला पदार्थ। ____इसका पूर्व-उपकूल पूर्वोत्तरमुखी एक सीधमें चला "इन्द्रियाणि महाभाग मादकानि मुनिश्चितम् । गया है। केवल एएटोनिल उपसागर उसके वीचमें अदारस्य दुरन्तानि पञ्च व मनसा सह ॥" पड़ता है। उत्तर पश्चिम उपकूलमें श्रम्वासे सेएट आनद्र, (देवीभाग० ११२४६४) अन्तरोपके मध्य टिम्पादकी, नरिन्दा, मजीमा और चेम्वा- ३ अहिफेण, अफीम । ४ भङ्गा, भांग । ५ हरिणभेद, कोरा तथा दक्षिण पूर्व में कर्करद्वीपसे वाराकोटा द्वीपफे एक प्रकारका हिरन । ६ प्राचीनकालका एक प्रकारका | मध्य मार्डरर और सेएट अगस्टिन उपसागर है । फिर अख। इसके विषयमें यह प्रसिद्ध है, कि उसके प्रयोगसे । इसके निकट हो कमरो कोयेरिम्वा, जोयन डिनोमा, शत्रुमे प्रमाद उत्पन्न हो जाता है। (नि०७ नशा उत्पन, यूरोपा और फरासियोंके अधिकृत सेण्टमेरो आदि कितने करनेवाला, नशोला । । छोटे छोटे द्वीप है। मादकता (स' स्त्रा०) मादक होनेका भाव, नशीलापन। इस द्वीपके उत्तर दक्षिणमें एक गिरिश्रेणी देखी जाती मादन (सं० पु०) मादयति विरहिणः मद-णिच-ल्युट ।। है। समुद्रपृष्ठसे उसकी चोटियां १०से १२ हजार फोट लङ्ग, लौंग । मादयति वित्तविकार मुत् गदयतीति ऊंची होगी। इस पर्वतसे यहुत-सी नदियां निकल कर मद-णिच-ल्यु । २ कामदेव । ३ मदन वृक्ष । ४ धुस्तर समुद्र में गिरी हैं। केपसेएट आनद और केपपसादा- पक्ष, धतूरेका गाछ । (वि.) ५ हपंकारयिता, प्रसन्न के वीचका स्थान असंख्यानदियोंसे वेटिन एक जलाभूमि • करनेवाला। .. . ' है। यह जलाभूमि समुद्रके उपकूलसे प्रायः ८० मोल मादनी (सं० स्त्री०) मादन स्त्रियां डोप । १ माकन्दी, तक फैली हुई हैं। आंवला ।२विजया, मांग। । सेएट अगष्टाइन उपसागरको ओङ्गलहे नदीके मुहाने मादनीय (सं० लि.) मत्तताजनक, मादकता उत्पन्न | पर साण्डिद्वीप है। यहां यूरोपीय जहाज लंगर डाल फरनेवाला। .... , .. ' . . कर रहत है। सादागर अपन साथ लाय हुप द्रव्याक