पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४७३

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tuv ०१२ • उद्धार करनेको इच्छासे सेना इकट्ठी करने लगे। पुत्रके अभावमें अफगानी सेनाने अय युद्ध करना नहीं - भागलपुरमें कुछ सेना संग्रह कर वे वद्ध मानके पश्चिम चाहा और राजकुमारको छोड़ कर संधि कर ली। इस पहाड़ी रास्तेसे रवाना हुए। इधर सैयद खाको फहला समय भी मूसलाधार पृष्टिसे सारे बङ्गालके नद, नदी, भेजा कि ये काटोयाकी राहसे आ कर उनसे मिले। जलाशय आदि प्लायित हो गये थे। इसी कारण मान. "इस समय बङ्गालमें वर्षाका दारुण प्रमाव था। अवि सिंहने उनका सन्धि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। . भान्त,जलधारासे समस्त पूर्वदङ्गाल जलमग्न हो गया। गवान कुतल्लू खांके लड़के इस समय दिल्लीश्वरकी

उस महाकटके समय सेना संग्रह करना कठिन जान वश्यता स्वीकार कर राजा मानसिंहका अभिनन्दन करने के

., कर अभागे सैयदने राजा मानसिंहसे वह यात्रा रोक लिये गन्तो ईसाके साथ राजाके समीप पहुंचे। दिल्लीश्वर- रखनेकी प्रार्थना की। कारण, दलबल के साथ उड़ीसा को उन्होंने १५० हाथी और कुछ वहुमूल्य धनरत्न नजरमें जाने विविध रोगोंसे आक्रान्त हो सेनाक्षय होनेकी दिये थे।

अधिक संभावना है। . राजा मानसिंह इस संबाद पर इस समय जो संधि हुई, उसमें अफगान राजकुमारों.

हताश हो गये। तव तकके लिये सेनादलके रहनेके | ने शान्तभावसे उड़ीसा शासन करनेको अनुमति लिये उन्होंने द्वारिकेश्वर नदीके किनारे जहानाबाद ग्राम पाई। वे सम्राट अकबर शाहके नामसे सिका चलाते 2 में छावनी डाल दी। थे। जितने राजकीय फागजात थे उनमें वौदशाही - जब मुगलगण जहानाबादमें रह कर सहकारी मुहर चिपकी रहती थी। इस प्रकार उनको राजमक्ति- शासनकर्त्ता सैयदकी बाट जोह रहे थे, ठीक उसी समय से प्रसन्न हो मानसिंहने उन्हें सम्मानसूचक परिच्छ. । पुतलू खाने धारपुर और पाचवी प्रदेशोंको लूटनेके | दादि दिये थे। फुतल्लू खाँके पुत्रोंने राजाके इस सतर- । लिये अपना सेनादल भेजा। जहानाबाद छावनीसे २५, यहारसे प्रसन्न हो कृतज्ञ हृदयसे पवित्र तीर्थ पुरीधाममें कोस दूर अफगानी सेना भारी ऊधम मचा रहे हैं, सुन, श्रीजगन्नाथदेवका मन्दिर और भूसम्पत्ति रामा मान- कर मानसिंह स्थिर न रह सके। उन्होंने दुत्तोंका अभि- सिंहके हाध समर्पण की। 'प्राय व्यर्थ करनेको इच्छासे अपने लड़के जगत्सिंहको सम्राट्के शासनकालके ३५वे वर्षमें राजा मानसिंह- 'दलबल के साथ भेजा। जगत्सिंहके साथ युद्धमें हार ने सौभाग्यवलसे अफगान युद्ध जीता तथा पुरीको 'खा कर अफगानोंने दुर्गम भाग कर आश्रय लिया। यहां-। हस्तगत किया सही. किन्तु उनमें उद्यमहोनता और से उन्होंने बालकराज जगसिंह के निकट छल-सन्धिका कार्यकारिता शक्तिका अभाव देख कर वादशाह उन पर प्रस्ताव कर भेजा । इधर कुनलू खाँकी सेनाफे पहुंचने पर अप्रसन्न रहा करते थे। जब तक खाजा ईशा जीवित उन्होंने संघि तोड़ दी और रातो चुपकेसे जगसिंहके | रहा, तब तक मुगल-पठानमें किसी प्रकारका मनोमालिन्य शिविर पर आक्रमण कर दिया। फेवल आक्रमण ही नहीं हुआ। किन्तु संधिके दो वर्ष याद पृद्ध मंत्रीका नहीं, उनकी छावनीको खार छार भी कर डाला । रातको देहान्त हुआ । अब अफगानोंने माजा मुलेमान और इस प्रकार विपद् देख कर मुगलसेना तितर बितर हो खाजा ओसमानको अधिनायकता विद्रोही हो कर जग. 'गई। राजेपुन जगत्सिंहको बन्दी कर अफगान लोग | नाथदेवका मन्दिर आक्रमण किया और लूटा। 'वसन्तपुरको ओर भाग गये। इस अपमानसूचक परा ___ अफगानोंके इस अत्याचारसे कुद्ध हो धार्मिक राजा भय तथा शत्रुके हाथ पुत्रको मृत्यु आशङ्कासे राजा मानसिंहने उग्र मूर्ति धारण की। उन्होंने हिन्दूधर्मके "मानसिंह कुछ समयके लिये किंकर्तया विमूढ हो। अपमान करनेवालोका समूल उच्छेद करने के लिये याद्- गये थे। --- ।. . शाहसे अनुरोध किया। दादशाहसे आदेश पा कर दिल्लीश्वरके सौभाग्यवशतः इस घटनाके कुछ दिन मानसिंहने अफगानोंको विध्वस्त करनेके लिये जो बाद ही फुतलखाको मृत्यु हो गई। सरदारफे उपयुक्त । सेनादल विहारमें था झारखण्ड पथप्ते (छोटनागपुर)