मालवा यामनाको सेवा करने पर भी मालयाको समृदि जरा , मुन्दरी हिन्दू नर्तकीने इसको एकदम अपने फाय मोग घटी। नूर उद्दोनका लएका महमूद १५१२६०३ कर लिया था। राजा बहादुरने रूपमतीफे प्रणायके बदले राजगद्दी पर येठा । इसके राज्याभिषेकके जुन्द्रमसे में मांह नगरमें एक सुन्दर भवन बना दिया। अभी तक मालयाको सम्पत्तिमा पता चलता है। भी उसके खंडहर पाये जाते हैं और अपने देशको भाषा. महमूदप भाइयोंके पट्यन्लसे राज्यमें शीघ्र ही में रूपमतोके प्रणयपूर्ण गीतोंको ‘मने शिताये अशान्ति फैली । जब इसके एक भाईने चन्देरी पर चढ़ाई : मिलनी हैं। .. को तब इसने राजपूत राजाधोंसे सहायता मांगो ओर : . इधर राजा बहादुर रूपमतीफे साथ भोगविलासमें मदारीराय राजपूतको प्रधान मन्त्री बनाया। कुछ ही लोन था उधर १५६१ ई० में अकबर बादशाहको विजय दिनों महमूद मदागेराय पर मन्देह करने लगा और । कोर्ति माह नगर तक भा पहुंची। १५०००में मालया छलप्रपंचसे उसे हटानेकी चेष्टा करने लगा। इसमें अपनी स्वाधीनता यो दिलोफे बादशाह गफयरफे अधीन राजपूत लोग विगढ़ उठे। महमूद गुजरात भाग गया। हो गया। मांह नगरके खंडहरोंकी जांच करनेसे मालूम गुजरातफे राजा मुजफ्फर शाहने इसका पक्ष लिया।। होता है, कि मालयाके राजा अपने राज्यकालमें सीमाय राजपूत लोग महमूदको पकड़नेके लिये गुज- सम्पत्तिको उश सोमा तक पहुंच गये थे। इस स्थानके । गतको और बढ़े। दिन्दू मुमलमानोंमें घमसान लड़ाई। स्थापत्य शिल्पको देस शिल्पशाल जाननेवाले इस हुई। इस लड़ाईम प्रायः १६००० राजपून सैनिक जूझ । नगरकी भूरि-भूरि प्रशंसा कर गये है। गरे। प्रायः एफ लाग्न मुसलमान सैनिकोंके मरने पर बीच बीचमें जोधपुरफे राजपूत रामाभोंने मालग्राफ मुसलमान लोग विजयी हुए। । कुछ अंशों पर अधिकार कर लिया था। मुसलमानों स समय मेवाहफे राणा सङ्ग अर्थात् संग्रामासह की शक्ति क्षीण होने पर लालाजीने मालयामें रायगढ़ चारों ओर अपनी प्रधानता फैला रहे थे धौर, नेमूरलङ्ग नामक राजधानी कायम की थी । पोछे उनके पोते थल. का पंशन मुगल सेनापति वायर शाद भी दिलीफे राज भद्रसिंह मालयाफे राजा दुए । इस समय मालया सिंहासन पर दांत गाये हुए था। ऐतिहासिक लोग अजमेर आदि अनेक स्वाधीन राज्यों में घट गया। काने हैकि वायरका सम्पुदय न होता तो मिलजीवंश. इनके शासनकाल में मराठोंने शक्तिशाली हो मालपा के अन्त दोने पर भारतसाम्राज्य राजपूतोंके हाथ मा पर चढ़ाई की। जयपुर. प्रतियाता प्रसिद्ध जयसिंहने बाजी माता रायको मालया जय फरने में बड़ी सहायता पहुंचाई थी। १५२६१० महमूदशा मार कर. गुजरात राजा कहा जाता है, कि जयसिंध और पाजीरायके बीच बहुस . वहादुरशाह फुछ दिनों तक मालयाकी गद्दी पर बैठा। लिया पढ़ी हुई थी। जयसिंहने प्राणप्रमुए मराठाराय. इस समपसे ले कर जमवर शासन समय तक ३७१ को पुट करने की इच्छाले सहायता की । जयसिंहको सदा मालगाम अराजकता फैली रही और राष्ट्रयिष्य होता यताफे विना वासीराय मालपामें हिन्दूराज्यको स्थापना | गदों कर सकते। मह लोगोंफ मायाम इस विषयका हुमा यहादुर शाहको भगा मायाका राजा का विस्तार साय वर्णन है। पठा। परनान् मन्द मा हादर मालनी की उपाधि ले मुसलमान इतिहासकार किरिस्ताने लिantir . माइ नगरम १५३०१०को मास्टयाफे सिंहासन पैटा गो मुगलसाम्राज्यफे अध:पतनफे बाद गुमरात मराठा लोगों • परमादमे १५४२मे हार पर गुजगत भाग गण के अधिकारमें भाया। २०३४ ६० पायागे मालपासे इस समय सुजल गरमाह मधीन सामन्त रूप चौय लिया। उमपं. वाद मि मारहाटफरने मालपा. मालयाफे सिंहासन पर पेटा। यह मो अत्यन्त इन्द्रिय- में अपना राज्य बढ़ापा। उनफे सत्तराधिकारी होग सोलुप पा सरानपुरको रूपमसो गामक एक अत्यन्त ममा तक इस राज्यका भोग कर पा रहे है। मरादर
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