पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६८४

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६६ मिस कोई निर्दिष्ट घर न था। प्रकृतिका वैचित्रमय विशाल , शरीर विज्ञान (Anatomy)-के' सम्बन्धमें एक वष्र्ड . . राज्य उनका आवास स्थल था। अन्धकी रचना की। ईसाके ५००० वर्ष पूर्व मिसमें किन्तु प्रकृतिने उनके प्रतिकूल आचरण करना | शरोर-विज्ञानका सम्यक अनुशीलन देख कर पाश्चात्य . आरम्भ किया। नेदाघ सूर्यको तीक्ष्ण रश्मि और वर्षा- पण्डित विस्मित हुए थे। अथोपिस्ने एक प्रकारके - की अविराम धार में अपने स्त्री पुत्रको ले कर घे केशवर्द्धन तेलको सृष्टि की थी और अनचिकित्सामें भी .. प्याकुल हो उठे। अद्भुत निपुणता दिखलाई थी। . : .. ____ऐसे समय एक मानवीय महापुरुषने उनके अनन्त | पिनाइटचंशोय चतुर्थ राजा यूनेफेसके राजत्य घासगृहको छुड़ा दिया ; विशालत्व छोड़ पर क्षुद्रत्वको - कालमें मिसमें एक बहुत बड़ा अकाल पड़ा था। इसमें सङ्कीर्ण सीमामें आबद्ध कर दिया ; भ्रमणकारियों स्वेच्छा बहुत आदमी मर गये । उनके समयमें 'फोचोम, पूर्वक गमन परित्याग कर नये मानव समाजको सृष्टिके (Kochome ) नगरमें सबसे पहले पिरामिड़ तय्यार साथ साथ झोपड़ों को बनाया। ये मानवीय महापुरुष हुआ ।. इसी समय स्त्रियों के राज्याधिकारको न्याय ही मेना ( या मनु) या फारोवंशके (rharoah) प्रति | संगत स्वीकार कर इसे राजकीय कानूनोंमें मिला, दिया ठाता हैं। 'फारो' शब्दका अर्थ गृह है अर्थात् जिन्होंने | गया । , प्रथम वंशके राजत्वकालमें ही , सभ्यताका सबसे पहले गृहका निर्माण किया और मनुष्यको ग्राम (पूर्ण अंग हो ) यथासम्भव विकाश हुआ था। • दूसरे यास करनेको शिक्षा दो थे ही फारया या फारो हैं। फारोंके राजत्वकालमे', साहित्यविज्ञानको 'मालोचना मेनाने सिंहासन पर बैठ नयप्रतिष्ठित राज्यको रक्षा! आरम्भ हुई। चतुर्थ फारो उपेनफेसके राजत्यकालमें करने के लिये लाइबियनोंको युद्धनें पराजित किया और सकाराका पहला पिरामिड तय्यार हुआ। पञ्चम फारोंके सुरक्षित मेमफिस् नगरको स्थापना की । पोछे उच्छृङ्खल राजत्यकालमें दर्शनशास्त्रको उन्नति हुई और देव. मानव जातिको सामाजिक नियमों में बद्ध करनेके लिये देवोको पूजा-पद्धति श्राद्ध-तच्चादि विषयक व्यवस्था. . गियाका बन्धन तय्यार किया अर्थात् माईन कानून शास्त्र संगृहीत हुआ। आत्माका विनाश नहीं है यह बनाया। यही मिसको.'मेना' या 'मनुसंहिता' है । इस तरह मत उसी समय प्रचलित हुआ था। . . . . . .. .. बनावटी समाजकी स्थापना कर उन्होने नाना प्रकारकी तृतीय घंशसे चतुर्थ वंशके अन्त: तक मिसके बड़े बनायटो चीजों का मनुष्यका मन आसक्त करा दिया बड़े कई पिरामिड तैयार हुए थे। इसीलिये इस नये नये विलास और अभावको सृष्टि की। आप्त | समयको पिरामिड-युग कहते हैं । तृतीय वंशके दूसरे ( rtah ) मन्दिर निर्माण कर सूर्यको पूजाका प्रचार ! राजाने विकित्साके शास्त्रमें इतनी उन्नति की थी, कि . किया। इसके सिवा मेनाने राज्यमें सर्व प्रकारको उस समय के लोग उसको Esculapius या धग्यरतरी . सुश्खला और सुख समृद्धिको सृष्टि की। ६२ वर्ष। कहते थे। इसो समय बड़े बड़े जहाज तैयार हुए थे । राज्य कर उन्होंने दरियाई घोड़ों के साथ युद्ध कर प्राण और वाणिज्य के लिये नाना देशों में आते जाते थे। शिल्प- . स्याग किया। कुछ लोगोंका कहना है, कि नोलनदमें विद्या और वस्तु-शिल्प तथा स्थापत्यने षड़ी उमति स्नान करते समय उनको घडिपालने पकड़ लिया था। फो। सव विषयों में साम्राज्यके बाहरी और भीतरी वैभव... ___उनको मृत्युके बाद उनके घंशके नौ राजाओंने ३५० की वृद्धि हुई। . . . . . . . . . वर्ष तक राजत्व किया था। मेनाके पुत्र तेता (Teta): इस युगमें मिसदेश शतरंग खेलना जानता था। या माथोपिस (Athothis)-ने मेपिस् नगरमें एक वृहत् चतुर्थवंशके राजा खुफुके राजत्वकालमें सर्वोच्च पिरा- अट्टालिका निर्माण की । इसके पहले थिनिस (Tihinis), मिड निम्मित हुआ । इसी समय ६४ अध्यायोंसे पूर्ण नगर मेनाको राजधानी थी। इसीलिये मेनापंशको एक धर्मपुस्तक लिखो गई। इसी तरह प्रथम वंशसे . थिनाइट ( Thinete) राजयंश कहते हैं। अथोथिस्ने दशम वंशकै राजत्वकाल तक अर्थात् २००० वर्षों तक