पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/७७७

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गीरासो-मोर्जा नासिर जाति । पे डोम मीरामी नामसे पुकारे जाने हैं। पहले । विशेष। दाक्षिणात्य और यम्बई में जमीदारोंसे लगाना ये डोम थे, किन्तु जब मुसलमान बने, तब मुसल- की वसूलीका इसी तरहका कायदा है। तामीलमें ‘मान डोम कहलाये। गोतविद्या ही इनका जातीय } इसको कनिपालो कहते हैं। यह हमारे देश मोरगी . व्यवसाय है। कहीं कहीं ये धार्मिक गीत गाते या कहीं शब्दका प्रतिरूप है। जो रेयत वशानुगत राजकर कहीं भाटोंको तरह गाने फिरते हैं। अपनी पुत्रियोंको ) दे कर अपनी जमीन पर काबिज है, स्वय' सरकार मो शैशवावस्थासे हो नृत्यगानको शिक्षा देते हैं। ये वहां उसके सत्वको छीन नहो सकती। पखावजी, कलायत, फव्याल या गल्पकार कहे जाते हैं। मोरी ( फा० सी० ) १ मीर होनेका भाव । २ खेलमें धारी नामक मुसलमानों के साथ इनका लेन देन चलता लड़केका सर्वप्रथम होना। ३ ग्येलमें लड़कोंका अपना है। नृत्य-गीतमें पटु मोरासी रमणियां सम्रान्त महि| दांय खेल कर खेलसे अलग हो जाना। लायोंके निकट जा कर तरह तरहका खिलवाड़ दिखला मोर्जा अलोवेग-बदाक्सानका रहनेवाला तथा सम्राट उनका चित्त रंजन किया करती हैं । इस काममें | अकवरका एक उच्चपदस्थित कर्मचारी । जहांगीरके राज्य. उनकी आमदनी भी कम नहीं होती। फालमें यह चार हजार संनाफा अधिनायक हुआ। सम्राट पुरुष फेवल ढोलक, मजीरा ( करताल ) और किगरी जहांगीर जिस समय प्रसिद्ध साधु मैनहोन चिस्तिकी या वंशी यजा कर गान किया करते हैं। जाट जातिके । मसजिद देग्नने अजमेर गये थे उस समय अलीचेग विवाह और अन्त्येष्टिक्रियाके समय ये आ कर नाचते। उनके साथ था। भलोयेग अपने भूतपूर्व मिल साह- गाते हैं। वाज खांका मकबरा देख शोकके मारे अपनेको भूल गया ___लोगीका कहना है, कि सुलतान अलाउद्दीन पिलजोः। और मकबरेको आलिंगन कर उयस्परसे उनमें गुणका के समय १२६५ ई०में अपोरग्युशरु नामक एक मुसल- कोर्तन कर रहा था कि इसकी मृत्यु हो गई। 'मान कवि द्वारा आमन्त्रित हो कर ये मुसलमान मोर्जाईमा और मोर्जा इनायत उल्ला-सम्राट शाहआलम. धना दिये गये। एक समय इस धंशके उद्दौला गामक । के राज्यकालमें ये टाटाप्रदेश शासनकर्ता थे। दोनों एक मनुष्य अयोध्या-राज सरकारको कार्यविधि मकवरे समुन्न्चल पोले रंगके संगमर्मर पत्थरके दने हुए परिदर्शन किया करते थे। सिया इसके अलावास नामक हैं। इनमें यये शिल्पनिपुणता दिखलाई गई है । वहाँकी दूसरे एक व्यक्तिका नाम दिखाई देता है। उसने एक यूरो गिलालिपिको पढ़नेले मालूम होता है, कि १६४८ ई०में पोय रमणीसे विवाह किया था। इसकी कन्याके साथ उन्होंने अपनी मानवलीला समाप्त की थी। मासोर उद्दीन हैदरका विवाह हुआ। मीर्जा गा-आजिम शाहको सभाके एक कवि। "तूह उत्तर-पश्चिम प्रदेशमें इनकी निन्दाजनक कई बातें ! फन् उल् हिन्द" नामक हिन्द-संगीतको एक अपूर्व पुस्तक मचलिन है- इन्होंने लिया है। इस पुस्तकम हिन्दू साहित्यका संक्षिप्त डोम बनिया पास्ती तिनों वैमान। । इनिहास वर्णन किया गया है। उन्होंने प्रसिद्ध पण्डितों " , "पाप डोम और दोम ही दादा, मियां कहे मैं सो जादा।"। की सहायतासे "रागाणय" तथा "रागदर्पण" भादि रस्यादि। पुस्तकों की रचना की थी। . सिधुप्रदेशमें मीरासी भाट या शायरका कार्य मौजा नासिर-नवाय मुजाउद्दौलाका मातामह । यह करते हैं। ये सरदारोंके साथ रणक्षेत्रमें जा कर युद्ध- मम्राट वहादुर शाहले राज्यकालमें हिन्दुस्तान माया के समय शेरे' बना यना कर सिपाहियों को उत्तेजित पा । १७०८ में सम्राट ने इसे पटनाया शासनकत्ता करते हैं। भारतके अन्यान्य स्थानों में ये वनिया, बनाया। इसी स्थानमें इसकी मृत्यु हुई। 'माई और गणकका काम करते हैं। मी नासिर-माजदरानके रहनेवाले एक कविताये मोरासी-मुसलमान राजाओं द्वारा लगाया राजकर-1 अन्धे धे। सम्राट शाह आलमफे राज्यकालमें 2" .