पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३०

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( १९६ ) और इसी लिये सम्म में 'भारतीय प्रतिनिधि म भेजे जाये इसकी पेष्टा ब्रिटिश गवर्नमेंट ने की थी। Y + यह राष्ट्र सन्ध क्या बला है इसे यूरोप के प्रसिद्ध आदर्श वादी लेसक धर्नारशा के शब्दों में सुनिये- "हमारे राजनीतिम, प्रेसिडएट विल्सन को प्रादर्शवाद की श्रोट में पदानुसरण कर वास्तव में स्वयं श्रादर्शवाद को ही बदनाम कर रहे हैं। क्या तुमायह समझते हो कि इन मिरस्वीफणा कामफरेन्सों से कभी भी मामय समाज की मसार हो सकती है ? मैं तो कहता हूँ हरगिज़ नहीं। यह तो एक निरा अमिनय है जो धूत अपने स्वार्थों के लिये कर रहे है। यह उनकी घूसता का एक ढोग मात्र है। इससे यह कमी न समझो कि पास्तयिक निरस्त्रीकरण का मार्ग कमी भी परिमस होगा। क्योकि वास्तविक निरस्त्री- फरण एकदम असम्भव है। जब अब तुम निरस्त्रीकरण का मिश्षय करोगे तुम्हारा शस्त्रवल अधिक व्यापक होगा । यदि चाहे तो भी राष्ट्र यास्तष में कमी मी निरस्त्र नहीं हो सकते यही कारण है कि राष्ट्र निरस्त्रीकरण कानफरेन्सों के लिये इतने उत्सुक हैं। शस्त्रीका तो कमी पूर्ण होता ही नहीं। कोई मी राम वास्तष में युद्ध के लिये कमी भी तैयार नहीं कहा जा सकता। पेमारा जर्मनी तो कमी सैयार ही म था,