पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१८

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बाद में या तो अपना जीवन ही अर्पण कर दिया था अपना उज्ज्वल युवाकाल कष्टों और मुसीबतों में मिताया है। राम में से कितनी ही के नाम भी हमें नहीं मालूम है । उन्हों ने चुपचाप काम करके फट सह और सर्वसाधारण से प्रशंसा पाने को कमी नाफाक्षा नहीं की। उन्हों ने अपने हषय के रक्त से सींचकर मारत की स्वतन्त्रता के छोटे से मरम पौधे को पाला था। अब हम में से कितने ही लोग टालमटोल और समझौता करते थे, घे धीर स्टे रहे और इंफेकी घोट फहते रहे कि देशवासियों को स्वतन्त्रता का अधिकार है संसार के सामने घोषणा की कि भारत की इस गिरी हुई अवस्था में भी उसके भीतर जीवम की चिमगारी बनी हुई है क्योंकि यह अत्यामार और गुलामी के आगे सिर मुस्काने से इनकार करता है । हमारे राष्ट्रीय प्राम्दी- सन का भयन एफ एक ईट जोड़ने से बना है और भारत यहुधा अपने शहीदों को पड़ी हुई लाशों पर से छोकर आगे बढ़ा है। पुराने महारथी हमारे साय मले हो न हो, पर उम का साहस हमारे साय प्रय भी है और माज भी मारत पतिन दास और विजय जैसे शहीद पैदा कर सकता है । श्राज भाप इसी सुन्दर मीरास का प्रबंध हमारे हाथ सौंपना चाहते हैं। मैं अच्छी तह जामता हूँ कि इस प्रतिष्ठित पदपर संयोगवश ही पथ गया है। प्राप की इच्छा किसी दूसरे को ही चुनमे की थी शो 3 माम संसार में सर्वोपरि है और उससे वर्दिया चुमाव दूसरी F /