पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २५६ ) लाम ही हुआ है । गत महायुद्ध में यदि हालैम्प इस सन्धि के श्राधार पर सटस्थ न रहता भीर जर्मनी का साथ देता तो अंग्रेजों की बड़ो फठिनाइयां बढ़ जाती। घिस्सार और अन सख्या के ख्याल से एचईस्टान्धीम। सारे स सार में महत्व पूर्ण कहे जाते हैं। भारतीय महासागर से प्रशान्त महासगरतफ मलका जल रमा मध्यसे न्यू गाना तक जितने टापू है प्रायः उन सभी में गुवों का अधिकार है। केवल पोनियों का कुछ भाग अंग्रेजों के हाथ में है। और टिमूर का पूर्वी मार्ग पुर्तगाल के हाथ में । इतनो भूमि यहाँ उपनिवेश के कार्यों के लिये रयों के पास है कि मुहत क और भूमि की जरूरत ही न पडेगी। रचो मे यहाँ शिक्षा प्रचार और कृषि की खूष उन्नति को है। फिर मो प्राय उपद्रव होते रहते है, और उन्हें शमन करने में सचों को काफ़ा शक्ति लगानी पड़ती है। सन् १३ में सचों मे अपने उपमिधेशों की रक्षा के लिये एक शक्तिमाम जहाज़ो घेडा खड़ा करने का विचार किया था। पर महायुर समाप्त हो जाने से वह बन न सका, फलत इस समय भी ईट इन्डोज अरक्षित है, यदि कोई घटना हो तोच शक्ति उसको रक्षा नहीं कर सकती, इसो कारया सबसे ज्यादा उस्सुकता-राष्ट्र संघ को हल करने की इचों को थो और है, 1 2 24