पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३००

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नियों के निवासियों तक बढ़ा दिया है। मष्ट होते हुए। साम्राज्य की मकस करते हुए सम लोगों ने भी गारा जातियों किस संसार की समीजातियों में जासिगत लघर्ष चल रहा है। उनका पालन होना ही चाहिये। नहीं तो मामवजाति स्वयं मएको मायगी। विभिन्न रंगों की जातियाँ कमा कमी मित नही सकता। क्योकि सनक सिमान्त अलग २ या उनका (२८३ ) पते हुए मो केवल मात्र अर्मम सैनिकों से पार न पा सक। रंगीन जातियों को दृष्टि में गोरो आतियों के प्रति सम्मान भल सो लिये मी सुप्त हुमा है कि ये आपस में हा जरी गरिक इसके साधम में उन्होंने जो घृणित मिथ्या का प्रचार दिया था जिसको सुन स्वयं मिष्या को भी शर्म माती। मांस की शान्ति ने पह सिशाम्त स्थिर कर दिया है कि अपने देश की रक्षा फरमा प्रत्येक नागरिक का भघश्य कर्तव्य है और इस सियालको में भी सहेदिल से ताद कहा है। पर अंग्रेमी और फ्रांसिस मे तो इस सियास्त का अपने उप रोमन की हो जमीन पर.गोगेंही के दिन लोगों मेरगीम माति बहार दिया। उसी सह परिणाम देखते हैं राष्ट्रों के स्वास्थ्य सम्बन्धों नियम बिलकुल सिपर है। 1 } 7 रवि क नियम भी मिला।। जातियों की मिलावट | 13. सन् १९२२ में प्रोकमानपटने फ्रांस के एशियाई