पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३०३

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1 (२४) उपनिवेशों के सम्बन्ध में लिखते हुए कहा है कि इण्डोषार के फिर चीन के अधिकृत होने की सम्मावमा होही है। या इसके पचाने का कोई उपाय है तो यह यही है कि भगले र पपी के भीतर इन दोनों की निश्चित झाति तैयार की माय । मामय समाज का विकास इस तरह को मिमित आतिय के द्वारा नहीं हुआ करता। बल्कि इससे उनकी रक्षा ही करनं चाहिये । पंफ समोन दार्शनिक मे इन राष्ट्रों के सम्बन्ध में एक बार कहा था कि ये 'ईश्वर के विचार है। अतः ईश्वर वे विचारों का एक साथ गड़बड़ घोटाला फरना मनुष्यों को अनधिकार वेटा होगी। लोग यह मा कहा करते हैं कि इस तरह की मिलावट स उनमें जान पैदा होती है पर मेरो तो दूढ़ धारणा है कि किसी जाति में विदेशा शत्रुओं के रक्त समिश्रण से सनका विकास कमी सम्भव नहीं। मुसरी मैं इसमें कोई लाभ नहीं देखता कि रंगीन मातियों के रकमें गोरो जातियों का रक मिलाया जाय । इन रगीन जातियों को कोन कहे गोरी जातियों में ही कितनो जातिगत विशेषताएं हैं। जो परस्पर नहीं मिल सकती । उनको मात्मा और जोश में कुछ ऐसी प्राकृतिक मिक्षक्षणवा रहती है जो पूर्णतया मिल ही नहीं सकती। संयुक्तराज्य में कोमातियों के समिश्रण से सफलता मिली है पर ये जातियों परस्पर मावविरोधी नहीं थीं।" 11