पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 और ब्रिटेन की बालुफालीन प्रतिद्वन्यता थी घेसे ही मानको* (२६२), केसम्यम्ध में फिसो प्रकार का सशय हो नहीं रह जाता। यह सूचना पर गोपनीय था और गुप्त रूप से प्रचलित पिया गया था। परन्तु कलकृत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय पत्र 'फारवर्ड' का कहीं से उस को एक प्रति मिल गई और उसने उसे प्रकाशित कर मण्हा फोड कर दिया। उक्त सूचना पत्र में ले० जनरल सर ऐयम स्कोन मे अन्य बातो के सिवा एक वात उस में यह लिखी थी कि "अन्य देशों की सेनाओं के विकाश और उन्नति देख कर हमारी भारतीय सेनाओं में भी उन्नति की आवश्यकता प्रतीत होती है जिसके । लिये अगले कई बपों में कम से कम पाठ करोड़ रुपये सच ।। करने का जबरम है जो सेना के लिये श्राधुनिक सैगिक सामान जुटाने के काम में लगाये जायंग जैसे १६१४० के जर्मन अंग्रेज सग्राम का कारण जर्मनी 1 1 1 को स्पष्ट दिस्वाद दे रहा है कि जो महायुद्ध निधने वाला है पर ब्रिटेन और बोलशेषिक स कालाग डाट के कारण ही विड़ेगा और सम्भवतः उसका क्षेत्र भी भारत की सीमा के पहुत नि कट ही होगा । तथापि निश्चय पृर्वक श्रमो यह कोद मदी कह सकता कि एणचण्डी की घोर गर्जना पहले पहल कहाँ पर और कब होगी। उसी उद्देश्य से सम के मेता यूरोप की भोर से अपना ध्यान इटा अपनी सारी शकि एशिया के राष्ट्रों को