सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१९६
फ्रांस
 


जर्मनी के सामने बिला शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। फ्रान्स का उत्तरी आधा भाग और स्पेनी सीमान्त तक का समस्त समुद्री तट जर्मन-अधिकार में चला गया। समस्त युद्ध-सामग्री जर्मन-इटालियनो की चौकसी में रख दीगई और उन्हीके आधिपत्य मे ख़ास-ख़ास बन्दरगाहो के लड़ाकू जहाज़ों को निरस्त्र कर देना तय हुआ। यह भी कि जर्मन-विरोधी शरणार्थियो को जर्मनी के सुपुर्द कर दिया जायगा। बरतानिया के विरुद्ध युद्ध करने के लिये फ्रांसीसी समुद्रीतट और बन्दरगाहों के उपयोग की सहमति जर्मनी को दे दी गई। इटली के साथ भी, जिसने १० जून को फ्रास के विरुद्ध युद्ध-घोषणा की थी, पृथक् सन्धि कीगई। वरतानिया ने पेताॅ के इस विश्वासघात का प्रतिरोध किया और फ्रासीसी बेड़े को शत्रु के हाथ पड़ने से रोकने की कार्यवाही की। फ्रांसीसी बेड़े मे ८ लड़ाकू जहाज, २० क्रूजर, ६० विव्वसक और ७७ दुबक्नी कश्तियाँ थी। इनमे से २ लड़ाकू जहाज बरतानवी बन्दरगाहो पर ले आये गये, २ डुवा दिये गये और २ को वरतानवी नाविक और हवाई हमलों द्वारा बुरी तरह तोड-फोड़ डाला गया, १ को सिकन्दरिया में निरस्त्र कर दिया गया। केवल एक फ्रास के लिए बचा। दूसरे अनेक फ्रांसीसी लड़ाकू जहाज़ बेकार कर दिये गये, पकड़ लिये गये या निरस्त कर दिये गये। इसके बाद पेतॉ-सरकार ने बरतानिया से सम्बन्ध तोड लिया।

फ्रास के अनधिकृत दक्षिण-पश्चिमी भाग के विशी नगर मे पेतॉ ने अपना सदर मुकाम बनाया। विशी राजनीतिक अथवा सामाजिक दृष्टि से कोई महत्त्वपूर्ण नगर नही है। उसके पास ही प्राकृतिक खनिज द्रव्ययुक्त जल के कुछ चश्मे हैं, जहाँ रुग्ण मनुष्य जल पीने अथवा चश्मो मे नहाने और स्वास्थ्य-लाभ करने जाया करते हैं। अन्तिम फ्रांसीसी पार्लमेंट की अन्तिम बैठक विशी मे हुई और अपनी सम्मति से उसने अपने अस्तित्व की इतिश्री कर दी। ९३२ डिपुटी और सीनेटरो मे से ६४९ उपस्थित थे, जिनमे से ५६९ मतो से प्रस्ताव स्वीकृत किया गया कि पेतॉ की सरकार फ्रास का नया विधान तैयार करे। इस विधान का मूलाधार पिछले प्रजातन्त्र के "स्वाधीनता, समानता और सहचारिता" के स्थान पर "परिश्रम, परिवार और पितृभूमि" माना प्रजातंत्र के राष्ट्रपति ने त्यागपत्र दे दिया और पेतॉ ने “राज्य का