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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२३१

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ब्रैस्तलितास्क की सन्धि
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अत्यन्त समृद्धिशाली देश है। ताँबा, सोना, हीरा और रेडियम यहाँ की मुख्य उपज है । राष्ट्र-संघ के शासनादेश के अधीन वेलजियम, पिछले जर्मन-पूर्वीय–अफ्रीका के एक भाग, रुन्दा उरन्दी, पर भी शासन करता है। बैसरेबिया-काला सागर क्षेत्र में एक प्रान्त ; क्षेत्रफल १७,१५० वर्गमील ; जनसंख्या २८,६७,००० , जिसमे ३,१५,००० यूक्रेनी; १६,०६,००० रूमानी, ३,५३,००० रूसी और शेष मे यहूदी, जर्मन, बलगारी, तातार आदि अल्पसख्यक जातियाँ हैं । १३६७ ई० से १८१२ तक बैसरेबिया मोल्दाविया का एक भाग रहा, जिस पर तुर्की का आधिपत्य था । १८१२ के रूस-तुर्कीयुद्ध मे रूस के हाथ आगया । १८५६ मे मोल्दाविया को दे दिया गया। १९१७ की रूसी क्रान्ति के बाद मोल्दाविया मे प्रजातंत्र कायम होगया । बीच के काल में यहाँ राजनीतिक उथल-पुथल रही और वर्तमान विश्वयुद्ध से लाभ उठाकर, जुलाई १९४० मे, सोवियत रूस ने इसके समीप के क्षेत्र को रूमानिया से लेकर, मोल्दावी सोवियत में मिला दिया। जब जर्मनी और रूमानिया ने रूस से युद्ध छेड़ा तब, जुलाई १९४१ मे, रूमानियनो ने बैसरेबिया और उसके साथ सोवियत मोल्दावी इलाके पर भी क़ब्ज़ा कर लिया । बै स्तलितास्क की सन्धि—३ मार्च १९१८ को एक ओर जर्मनी, आस्ट्रिया, बलग़ारिया और तुर्की, दूसरी ओर रूस के बीच हुई संधि । रूस मे तब कम्युनिस्ट क्रान्ति का झमेला था, इसलिये वह किसीभी प्रकार शान्ति चाहताथा । जर्मनी ने इस स्थिति से मनमाना लाभ उठाया । रूस को रूसीपोलैण्ड, लिथुआनिया, लैटवबिया, एस्टोनिया और बाल्टिक सागर के अन्य द्वीपो पर से अपना प्रभुत्व त्यागकर जर्मनी तथा ग्रास्ट्रिया का इन देशो पर प्रभुत्व स्वीकार करना पडा । साथ ही उसे फिनलैण्ड, जार्जिया तथा यूक्रेन की (जहाँ जर्मनी ने कठपुतली सरकार बना रखी थी) स्वाधीनता भी स्वीकार करनी पड़ी। रूस ने ६ अरब मार्क्स का सोना भी क्षतिपूर्ति में देना स्वीकार किया । इस प्रकार उसे ३४ प्रतिशत जनसख्या, ५४ प्रतिशत उद्योगधन्धो और ६० प्रतिशत अपनी कोयले की खदानों से हाथ धोना पडा। कालासागर और ख़ासकर बाल्टिक सागर से उसका सम्बन्ध टूट गया। जर्मनी को वरसाई की सन्धि से शिकायत है, किन्तु इस सन्धि की शतों