सवार हुए। यह जहाज़ हाग्काग् या तोकियो पर ठहरे बिना सीधा कनाडा चला गया। यह जहाज़ तीन-चार मास तक कनाडा के बन्दरगाह पर खड़ा रहा, परन्तु सिखो को कनाडा में प्रविष्ट न होने दिया गया। कनाडा की सेना के सैनिकों तथा इस जहाज़ के यात्रियों में खूब संघर्ष रहा। यात्रियों को अनेक यातनाएँ भोगनी पडीं। खाने की सामग्री भी समाप्त होगई। अन्त में भारत मंत्री के हस्तक्षेप से जहाज को वापस भारत लौटना पड़ा।
भारत लौटकर बजबज में जहाज ने लगर डाला। सिखो को यह आज्ञा दी गई कि वे रेलगाड़ी में बैठकर सीधे पंजाब चले जायें। परन्तु सिख रेल में सवार होने से पहले सरकार के पास एक दख़ास्त भेजना चाहते थे। सरकार ने ज़बरदस्ती उन्हे पंजाब भिजवाया। गोली भी चली। बाबा गुरुदत्तसिंह जहाज़ में से गायब होगये। क़रीब ७ बर्ष तक वेष बदलकर वह छिपे रहे। इस समय में ख़ुफिया पुलिस बराबर उनकी तलाश में रही। नवम्बर १९२१ में बाबा गुरुदत्तसिंह महात्मा गान्धी से मिले। गान्धीजी ने उन्हे यह सलाह दी कि वह गिरफ़्तार होजायॅ। बाबाजी गिरफ़्तार होगये और उन्हे क़ैद की सज़ा दी गई। २८ फरवरी १९२२ को वह लाहोर जेल से मुक्त कर दिये गये। कलकत्ता में उन्होने भारत मन्त्री के विरुद्व कई लाख रुपये हर्जाने का दावा किया, परन्तु वह ख़ारिज होगया।
कोमिण्टर्न--यह 'कम्युनिस्ट इण्टरनैशनल' शब्द का संक्षिप्त रूप है।
को मिन तांग (Kuo Min Tang)--यह चीन देश की राष्ट्रीय संस्था है। सन् १९०५ में डा० सन यात-सेन ने इस संस्था की स्थापना की। इस दल का उद्देश्य चीन की स्वाधीनता की रक्षा तथा प्रजातंत्र-राज्य की स्थापना है। राष्ट्रीय-संगठन, राष्ट्रीय एकता इसका मूल मंत्र है। वर्तमान समय में चियाङ्ग काई शेक इस दल के प्रमुख नेता हैं।
क्रोट्स--उत्तर-पश्चिमी यूगोस्लाविया में रहनेवाली स्लैव प्रजा। इनकी संख्या ४०,००,००० है। क्रोट्स कैथलिक मत के माननेवाले हैं।
क्रोपाटकिन--इनका पूरा नाम प्रिस पीटर क्रोपाटकिन है। जन्म सन्
१८४२ मे हुआ। यह रूस के प्रसिद्ध भूगोल-विज्ञान-वेत्ता थे। इन्होने साम्यवादी अराजकतावाद’ सिद्धान्त का विकास किया। जब इन्होने यह अनुभव