पृष्ठ:QPCSM22 HINDI Literature-II.pdf/२

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Q1. Q2. SECTIONA निम्नलिखित काव्यांशों की लगभग 150 शब्दों में सप्रसंग व्याख्या कीजिए: पीछे लागा जाइ था, लोक वेद के साथि । आगै थैं सतगुर मिल्या, दीपक दीया हाथि ।। दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट । पूरा किया बिसाहुणां, बहुरि न आँवौं हट्ट ।। (a) (b) (c) (d) (e) (a) (b) (c) CRNA-S-HND बेद पुरान बिहाइ सुपंथ कुमारग कोटि कुचाल चली है । काल कराल, नृपाल कृपालन राज समाज बड़ोई छली है । बर्न-बिभाग न आस्रम धर्म, दुनी दुख-दोष-दरिद्र दली है । स्वारथ को परमारथ को कलि राम को नाम प्रताप बली है ।। रससिंगार-मंजनु किए, कंजनु भंजनु दैन । अंजनु रंजनु हूँ बिना खंजनु गंजनु नैन ।। तो पर वारौं उरबसी, सुनि, राधिके सुजान । तू मोहन कै उर बसी ह्वै उरबसी- समान ।। कौन हो तुम वसंत के दूत विरस पतझड़ में अति सुकुमार । घन-तिमिर में चपला की रेख, तपन में शीतल मंद बयार । नखत की आशा-किरण समान, हृदय के कोमल कवि की कांत - कल्पना की लघु लहरी दिव्य, कह रही मानस-हलचल शांत । धिक् जीवन को जो पाता ही आया विरोध, धिक् साधन जिसके लिए सदा ही किया शोध । जानकी ! हाय, उद्धार प्रिया का हो न सका । 10x5 = 50 'असाध्य वीणा' कविता का मूल स्रोत क्या है ? कवि ने कविता-सृजन की प्रक्रिया को किन स्तरों पर प्रस्तुत किया है ? 2 10 10 10 10 भाव, भाषा एवं विचार की दृष्टि से निराला की 'कुकुरमुत्ता' कविता का मूल्यांकन कीजिए । 20 “गुप्त जी ने 'भारत-भारती' में अतीत का गौरव गान, वर्तमान को रचनात्मक ऊर्जा एवं जागरण का संदेश देने हेतु किया है ।” स्पष्ट कीजिए । 10 15 15